MLA Charandas Mahant Biography in Hindi: विधायक चरण दास महंत का जीवन परिचय...

Update: 2023-12-19 13:05 GMT

MLA Charandas Mahant Biography in Hindi: कांग्रेस के चरणदास महंत सक्ती विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए हैं। कांग्रेस की सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने चुनाव जीत कर इस मिथक को तोड़ा कि छत्तीसगढ़ में कभी विधानसभा अध्यक्ष चुनाव नहीं जीतते। उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी खिलावन साहू को 12395 मतों के अंतर से चुनाव हराया। चरण दास महंत को कांग्रेस विधायक दल का नेता व नेता प्रतिपक्ष चुना गया है।

कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार में छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष रहें चरण दास महंत प्रदेश में कांग्रेस के किले को संभालने वाले मज़बूत स्तंभ हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि वे 15वीं लोकसभा के लिए छत्तीसगढ़ से अकेले कांग्रेसी सांसद थे। अपने मस्त स्वभाव और बेबाक बयानों के साथ वे हमेशा ही प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा कर देते हैं। कांग्रेस की सरकार बनने की स्थिति में जब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचने की उनकी संभावनाएं क्षीण हुईं तब समर्थकों में उदासी थी लेकिन उन्होंने उस पल भी गर्मजोशी से जवाब दिया..." सेमीफाइनल में भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, मैं और ताम्रध्वज साहू उतरे। मेरा और ताम्रध्वज जी का पत्ता कट चुका है। अब दो खिलाड़ी मैदान में हैं, देखते हैं बाज़ी कौन मारता है।" यानी "साफ बयानी और संघर्ष सदा मैदानी" यही राजनीति करने का उनका स्टाइल है।

बचपन बीता सख्त अनुशासन में

चरण दास महंत का जन्म चांपा के पास सारागांव में 13 दिसंबर 1954 को हुआ। पारिवारिक पृष्ठभूमि खेती-किसानी वाली थी। माँ भी खेती में हाथ बटाती थीं। जीवन में संघर्ष और अनुशासन ही काम आता है, यह सीख उन्हें बचपन से ही माता-पिता ने दी थी। । पिताजी बेहद अनुशासन प्रिय थे। वे बताते हैं कि चौथी कक्षा में पढ़ाई करते वक्त एक बार गुरूजी सही जवाब न देने के कारण उन्हें छड़ी से पीट रहे थे, तभी पिता बिसाहू दास जी सामने से निकले। उन्होंने न तो गुरूजी को रोककर मुझे बचाया और न ही कारण पूछा। बस इतना ही कहा कि गुरूजी, बच्चे को अच्छी शिक्षा दीजिएगा, और आगे बढ़ गए। बड़े होकर समझ आया कि यह अपने कार्य में मेहनत, अनुशासन और बड़ों के सम्मान की सीख थी।

राजनीति मिली विरासत में

चरणदास महंत के पिता, स्वर्गीय श्री बिसाहू दास महंत एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता होने के अलावा चांपा के पूर्व कांग्रेस विधायक और राज्य मंत्री रहे। 1952 में जीतना शुरू करने के बाद से वे कभी चुनाव नहीं हारे। वे लगातार छह बार विधायक चुने गए जब तक कि 1978 में उनकी मृत्यु नहीं हो गई।

चरणदास की रुचि थी पढ़ाई-लिखाई में

चरण दास महंत की प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में ही हुई। आठवीं कक्षा में वे बिलासपुर पढ़ने चले गए। मध्य प्रदेश के बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय के अंतर्गत मोतीलाल विज्ञान महाविद्यालय से उन्होंने बीएससी किया। मास्टर्स की डिग्री भी ली। फिर एम ए, एलएलबी और पीएचडी भी की। प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हुए और नायब तहसीलदार चुने गए।

जीवन में बहुत देखे उतार-चढ़ाव, झेली असहनीय पीड़ा

पढ़ाई के दौरान ही 1978 में उनके पिताजी की मृत्यु हो गई। काफी समय से वे बीमार चल रहे थे। महंत बताते हैं कि परिवार की आर्थिक दशा उस वक्त बेहद खराब थी क्योंकि पिताजी ने हमेशा सिद्धांतों वाली राजनीति की। उनकी मृत्यु के बाद उनकी जेब में 32 रुपए निकले। बैंक में मात्र 350 रुपए जमा थे। माँ के गहने बेचकर पिता का अंतिम संस्कार किया। परिवार सदमे में था, पर हमारे हिस्से की पीड़ा शायद तब भी बाकी थी। पिताजी गले में रुद्राक्ष की माला पहनते थे, जो सोने में गुंथी हुई थी। पिताजी को जब दफ़नाया गया तब माला उनके गले में थी। मात्र उस सोने के लालच में चोरों ने बाद में वापस खुदाई की और माला ले गए। हम सब अवाक रह गए इस गिरावट को देखकर। बात यहीं खत्म नहीं हुई। पिताजी के बाद माताजी को उसी वक्त टिकट दे दी गई। हमें थोड़ा बल मिला लेकिन तीन दिन के भीतर ही टिकट कट भी गई। वह ऐसा दौर था जब दुश्वारियों का अंत ही नज़र नहीं आ रहा था।

कैसे आए राजनीति में

महंत बताते हैं कि नौकरी करते छह महीने ही हुए थे कि पार्टी को उपचुनाव में मिली हार की समीक्षा के बाद अर्जुन सिंह ने मुझे टिकट थमा दी। पिताजी नहीं चाहते थे कि उनके परिवार से कोई राजनीति में आए, पर मेरी नियति में भी राजनीति ही लिखी थी, बस चुनाव जीत गया और 25 बरस की उम्र में एमएलए बन गया।

राजनैतिक सफर

महंत के राजनीतिक जीवन का प्रारंभ मध्य प्रदेश विधानसभा के साथ शुरू हुआ।वह 1980 से 1990 तक दो कार्यकाल के लिए विधानसभा सदस्य रहे। 1993 से 1998 के बीच वह मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री रहे। 1998 में उनके राजनीतिक करियर का एक अहम पड़ाव साबित हुआ। इस साल वह 12वीं लोकसभा के लिए चुने गए। 1999 में उनकी कामयाबी का सफर जारी रहा और वह 13वीं लोकसभा के लिए भी चुने गए। महंत 2006 से 2008 तक छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। इसके बाद 2009 में वह 15वीं लोकसभा के लिए भी चुने गए। 6 अगस्त, 2009 वह पब्लिक अंडरटेक्गिंस के सदस्य रहे। जबकि 31 अगस्त को विज्ञान और प्रौद्योगिकी समिति के भी सदस्य बनाए गए। महंत मनमोहन सिंह सरकार में राज्य मंत्री, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय का पदभार संभाला। 23 सितंबर, 2009 को, वह संसद सदस्यों के वेतन और भत्ते पर बनी संयुक्त समिति के अध्यक्ष नियुक्त किए गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में कोरबा सीट पर उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। 2018 में वे पार्टी की चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष बने। 2018 में ही प्रदेश की सक्ती विधानसभा सीट से प्रचंड बहुमत से जीते और 4 जनवरी 2019 को छत्तीसगढ़ विधान सभा के अध्यक्ष का पदभार सम्हाला। वे पूरे कांग्रेस सरकार के कार्यकाल दिसंबर 2023 तक विधानसभा अध्यक्ष रहें। 3 दिसंबर 2023 को घोषित नतीजों में कांग्रेस की सरकार की प्रदेश से विदाई हो गई और कांग्रेस विपक्ष में आ गई। तबसे चरणदास महंत नई भूमिका में गए हैं। वे कांग्रेस विधायक दल के नेता व छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद सम्हाल रहें हैं।

संघर्ष से बने मंझे राजनेता:–

पहली बार महंत को विधायकी इतनी आसानी से मिली कि उन्हें लगा राजनीति आसान है। पर धीरे-धीरे समझ आया कि यह शह, मात और घात का खेल है। कब उलटफेर हो जाए, पता ही नहीं चलता। महंत कहते हैं कि पक्का कबीरपंथी हूं इसलिए सब झेल जाता हूँ। राजनीति के अलावा 'कबीर चिंतन', 'हिन्दू कहे मोहे राम प्यारा मुसलमान रहमान', 'छत्तीसगढ़ के सामाजिक-धार्मिक आंदोलन' का लेखन, प्रकाशन किया। छत्तीसगढ़ महतारी नामक फिल्म भी बनाई। आदिवासियों के उत्थान को छत्तीसगढ़ के विकास की आधारशिला मानते हैं और इसके लिए विभिन्न उपाय नाटक, नृत्य - गीत आदि कार्यक्रम समय-समय पर कराते हैं।

कौन-कौन है चरण दास महंत के परिवार में:–

चरण दास महंत के परिवार में पत्नी ज्योत्सना महंत जो स्वयं भी कोरबा से सांसद हैं, तीन बेटियां सुरभि, सुप्रिया और भानुप्रिया और एक बेटा सूरज महंत हैं। परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताना हर आम इंसान की तरह उन्हें भी बहुत प्रिय है।

चरण दास महंत 11 बार चुनाव लड़ चुके हैं, विधानसभा, लोकसभा के सदस्य भी रह चुके हैं। वे छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वे वर्तमान में भी विपक्ष में रहकर छत्तीसगढ़ की सेवा में व्यस्त हैं।

सक्ती विधानसभा में 214046 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। कांग्रेस के चरण दास महंत को 81519 वोट मिले। भाजपा के खिलावन साहू को 69124 वोट मिले। चरण दास महंत ने 12395 मतों के अंतर से चुनाव जीता। तीसरा स्थान गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के जितेंद्र चौहान का रहा उन्हें 3464 वोट मिले नोटों को 909 वोट मिले इस विधानसभा में उम्मीदवारों की संख्या 14 थी।

कांग्रेस के चरण दास महंत की राजनीतिक शख्सियत के आगे भाजपा के खिलावन साहू बौने साबित हुए। हालांकि उनकी जीत का अंतर पिछले चुनाव की अपेक्षा आधे से भी कम रहा। पिछले विधानसभा चुनाव में 30 हजार से अधिक मतों से चुनाव जीते थे। पर इस बार 12395 मतों से ही चुनाव जीता। जिले में बसपा के वोट कांग्रेस की और मूव हुए जो कांग्रेस की जीत का बड़ा फैक्टर बनी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सक्ती विधानसभा से ही चुनाव प्रचार के दौरान कर्ज माफी की घोषणा की थी जिसका लाभ महंत को मिला।

महंत बड़े ओबीसी नेता है। मुख्यमंत्री की रेस में होने की वजह से उन्हें लाभ मिला।जांजगीर कृषि प्रधान जिला है। यहां एकमात्र फसल धान की ली जाती है। इसके लिए किसान सहकारी समितियां से कर्ज भी लेते हैं। कांग्रेस में कर्ज माफी और 200 यूनिट तक फ्री बिजली देने की घोषणा की थी। इस पर ही जिले के किसानों ने वोट किया और कांग्रेस को लाभ मिला। कांग्रेस की घोषणाओं पर जनता ने विश्वास किया। पिछले चुनाव के तत्काल बाद हुई कर्ज माफी से किसान वोटर प्रभावित रहे। कांग्रेस की सरकार आने पर इस बार भी कर्ज माफी होने की उम्मीद जनता को रही जो कांग्रेस के वोटो में तब्दील हो गई।

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