ब्रेकिंग: मंत्रिमंडल विस्तार पर ब्रेक? कठपुतली मंत्रियों के चक्कर में शपथ ग्रहण पर असमंजस का साया
विष्णुदेव कैबिनेट विस्तार इस बार भी टलता दिख रहा। कल 18 अगस्त को 11 बजे शपथ ग्रहण का टाइम लगभग तय हुआ था। मगर ताज़ा अपडेट ये है कि कम-से-कम कल तो शपथ नहीं होगा। नए मंत्रियों के नामों को लेकर अगर कश्मकश बढ़ा तो हो सकता है मंत्रिमंडल विस्तार आगे बढ़ जाए।
रायपुर। जानकरों का कहना है कि आज शाम तक नए मंत्रियों का पिक्चर क्लियर नहीं हुआ तो फिर मंत्रिमंडल विस्तार आगे बढ़ सकता है। हालांकि, कल रात 8 बजे तक निश्चित था कि शपथ ग्रहण 18 अगस्त को सुबह 11 बजे होगा। इस समय तक गजेंद्र यादव, खुशवंत साहेब और राजेश अग्रवाल का नाम तय माना जा रहा था। खबर आई कि शपथ लेने के लिए राजेश अग्रवाल अम्बिकापुर से रायपुर रवाना हो गए हैं।
इसके बाद भाजपा में परदे के पीछे पता नहीं क्या हुआ कि रात 9 बजे से कैबिनेट विस्तार टलने पर कानाफूसी चलने लगी। सरकार में बैठे बड़े लोगों के साथ पार्टी के जिम्मेदार लोग स्वीकार करने लगे थे कि मंत्रिमंडल विस्तार आगे बढ़ सकता है।
अलबत्ता, NPG.NEWE के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि विस्तार अभी टला नहीं है, ये अवश्य है कि अब 18 अगस्त को शपथ समारोह नहीं होगा। वजह? तीन में से दो नामों पर अंतर्द्वंद्व की स्थिति है। जाहिर है, कल शाम तक दावेदारों में अमर अग्रवाल और लता उसेंडी के नाम की भी चर्चा थी। मगर बाद में संघटन ने गजेंद्र, खुशवंत और राजेश का नाम फाइनल कर दिया। इसके बाद बताते हैं, रायपुर से दिल्ली तक तेज़ सियासी बॉलिंग हुई और फिर 18 अगस्त को शपथ समारोह को टाल दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि अगर आज शाम तक नाम फाइनल नहीं हुआ तो एक बार फिर कैबिनेट विस्तार आगे बढ़ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो यह तीसरा मौका होगा, जब मंत्रिमंडल विस्तार स्थगित किया जाएगा। पहली बार 25 दिसंबर 2024 को शपथ होना लगभग तय हो गया था। तब अमर अग्रवाल का नाम काटने बस्तर से किरण सिंहदेव का नाम आगे बढ़ा दिया गया। हालांकि, पार्टी नेतृत्व इस सियासी खेल को समझ बाद में किरण को पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाकर उनके मंत्री बनने पर ब्रेक लगा दिया था।
बता दें, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के कल शाम राज्यपाल से मिलने राजभवन जाने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की सियासी सरगर्मियां एकाएक बढ़ गई थी। अघोषित तौर पर तीन नाम भी आ गए थे।
कठपुतली मंत्री क्यों?
यह तीसरा मौका है, जब शपथ ग्रहण स्थगित होता दिख रहा है। पहली बार अमर के चक्कर मे, तो दूसरी बार पुरंदर मिश्रा के चक्कर में शपथ टल गया था। अब सवाल उठता है, पुराने लोगों का विरोध क्यों? संगठन में बैठे लोग कठपुतली मंत्री क्यों चाहते हैं? तो इसका एक ही जवाब होगा, संघटन को यस मैन चाहिए। इस समय 10 मंत्री में से 7 ऐसे हैं कि उनसे कुछ भी करवा लो...लिखवा लो। मगर अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर, लता उसेंडी से कुछ भी नहीं कराया जा सकता। संघटन चाहता है, इशारे पर नाचने वाला मंत्री हो, पुराने मंत्री ऐसा करेंगे नहीं। इस समय दो-एक मंत्री को छोड़ दें, तो किसी का कुछ काम दिख नहीं रहा। राजनीतिक पंडितों का भी मानना है कि विष्णु देव के पास टीम ही अच्छी नहीं होगी फिर रिज़ल्ट बढियां कैसे आएगा। सत्ताधारी पार्टी को इस पर गौर करना चाहिए।