Chhattisgarh Polling First Phase: पहले चरण की टॉप 5 सीट: जानिए पहले चरण के टॉप 5 सीटों का सियासी समीकरण

Chhattisgarh Polling First Phase: पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, पांच बार के विधायक व मंत्री कवासी लखमा, पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज की प्रतिष्ठा दांव पर।

Update: 2023-11-07 04:58 GMT

Chhattisgarh Assembly Election 2023 रायपुर। छत्तीसगढ़ में पहले चरण की 20 सीटों पर वोटिंग शुरू हो चुकी है। इन सीटों पर पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज, मंत्री कवासी लखमा, मोहम्मद अकबर व मोहन मरकाम और पूर्व मंत्री केदार कश्यप, विक्रम उसेंडी, लता उसेंडी और महेश गागड़ा की किस्मत दांव पर है। पहले चरण में 20 सीटों में कुल 223 प्रत्याशी हैं। मोहला मानपुर, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर, कांकेर, केशकाल, कोंडागांव, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंटा में सुबह 7 से अपराह्न 3 बजे तक वोटिंग होगी, जबकि पंडरिया, कवर्धा, खैरागढ़, डोंगरगढ़, राजनांदगांव, डोंगरगांव, खुज्जी, बस्तर, जगदलपुर और चित्रकोट में सुबह 8 से शाम 5 बजे तक वोट डाले जाएंगे।

जानिए टॉप-5 सीटों पर क्या है समीकरण...

1. राजनांदगांव: पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के खिलाफ कांग्रेस से गिरीश देवांगन मैदान पर हैं। मुख्य मुकाबला इन दोनों के बीच ही है। डॉ. रमन के खिलाफ इससे पहले कांग्रेस ने दो महिला प्रत्याशी दिए थे। इस बार सीएम भूपेश बघेल के करीबी गिरीश देवांगन हैं। गिरीश कहीं और से टिकट मांग रहे थे लेकिन पार्टी ने उन्हें 15 साल सीएम रहे डॉ. रमन के खिलाफ उतारकर कद बढ़ा दिया है।

2. दीपक बैज: पीसीसी अध्यक्ष व बस्तर सांसद दीपक बैज फिर से चित्रकोट विधानसभा से चुनाव मैदान में हैं। उनके खिलाफ इस बार विनायक गोयल भाजपा प्रत्याशी हैं। पीसीसी अध्यक्ष होने के नाते यहां बैज की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

3. लता उसेंडी: भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लता उसेंडी के खिलाफ पूर्व पीसीसी अध्यक्ष व वर्तमान में मंत्री मोहन मरकाम चुनाव लड़ रहे हैं। तीसरी बार दोनों भिड़ रहे हैं। इस बार दोनों का चुनाव काफी रोचक होगा, क्योंकि हारने के बाद फिर मौका मिलेगा या नहीं, यह तय नहीं है।

4. मोहम्मद अकबर: कवर्धा सीट से मंत्री मोहम्मद अकबर के खिलाफ भाजपा ने विजय शर्मा को टिकट दिया है। यहां पूरा चुनाव हिंदू मुस्लिम के मुद्दे पर केंद्रित हो गया है। 2018 में मोहम्मद अकबर रिकॉर्ड मतों से जीते थे। इस बार झंडा विवाद के कारण वे घिरे हुए हैं। हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के लिए भाजपा यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को यहां लेकर आई थी।

5. केदार कश्यप: पूर्व सांसद बलीराम कश्यप के बेटे केदार कश्यप का यह अंतिम चुनाव हो सकता है, क्याोंकि केदार के हारने की स्थिति में पार्टी किसी नए उम्मीदवार को मौका दे सकती है। फिलहाल उनकी भिड़ंत पिछले प्रतिद्वंद्वी चंदन कश्यप से ही है।

सत्ता का दरवाजा खुलेगा या बंद हो जाएगी किस्मत

पहले चरण में बस्तर संभाग की 12 सीटें हैं। इन सीटों को सत्ता की चाबी कहा जाता है, क्योंकि यहां के रुझानों के आधार पर ही बाकी सीटों पर फर्क पड़ता है. बस्तर के ट्रेंड पर गौर करें तो लगातार दो बार किसी एक पार्टी को सारी सीटें नहीं मिली है, इसलिए ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार कांग्रेस कमजोर हो सकती है। पिछली बार कांग्रेस ने 11 सीटें जीती थी। लोकसभा चुनाव में प्रचार से पहले दंतेवाड़ा के भाजपा विधायक भीमा मंडावी की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। इसके बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस की देवती कर्मा ही जीती थीं।

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