Chhattisgarh Assembly Election 2023 Basana Assembly Seat 40: बसना विधानसभा: यहां के अजब आंकड़े, दो बार पिता और पुत्र बनें विधायक, महेंद्र बहादुर एकमात्र जिन्होंने लगतार दो चुनाव जीता, ऐसा कारनामा भी दो बार किया
Chhattisgarh Assembly Election 2023 Basana Assembly Seat 40.
सरायपाली राजपरिवार के इस गढ़ में दिलचस्प रही है चुनावी जंग, जानिए...कौन वह एक मात्र नेता जो लगातार दो बार जीता...
Chhattisgarh Assembly Election 2023 Basana Assembly Seat 40. एनपीजी एक्सक्लूसिव
रायपुर। बसना विधानसभा के चुनावी आंकड़ों की अजब-गजब कहानी है, जो काफी दिलचस्प है। वैसे तो यहां सरायपाली राजपरिवार का वर्चस्व काफी रहा है। यही कारण है कि बसना सीट से सरायपाली राजपरिवार के सदस्यों ने 9 चुनाव में जीत दर्ज की। यहां से पिता ने भी चुनाव जीता और उनके बेटे ने भी चुनाव जीता। यही नहीं यहां से लगातार दो बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड केवल राजा महेंद्र बहादुर सिंह के नाम है और वो भी दो बार। इनके अलावा ऐसा कोई भी प्रत्याशी नहीं रहा, जिसने लगातार दो बार विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की हो।
आजाद भारत में जब पहली बार लोकसभा और विधानसभा चुनाव हुए तो उसमें बसना विधानसभा का नाम भी शामिल था। वर्ष 1951 में हुए इस पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जयदेव सतपथी को प्रत्याशी बनाया। जबकि उनके सामने विष्णु शरण निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरे। पहले चुनाव में सरायपाली विधानसभा में कुल 53475 मतदाता थे, जिनमें से 19224 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। जब चुनाव परिणाम सामने आए तो कांग्रेस को 12072 वोट मिले, जबकि निर्दलीय प्रत्याशी के खाते में 4581 वोट आए। इस तरह कांग्रेस के जयदेव बसना विधानसभा के पहले विधायक चुने गए। बसना विधानसभा में अब तक कुल 15 विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें से कांग्रेस ने 10, भाजपा ने 2 चुनाव में जीत दर्ज की। दो बार निर्दलीय प्रत्याशी और 1 बार जनता दल ने चुनाव जीता है।
महेंद्र बहादुर एकमात्र, जिन्होंने लगातार दो चुनाव जीता
बसना विधानसभा की जनता ने हर चुनाव में विधायक बदल दिया है। लेकिन राजा महेंद्र बहादुर सिंह के साथ ऐसा नहीं है। महेंद्र बहादुर बसना के एकमात्र ऐसे विधायक हैं, जिन्होंने लगातार दो चुनाव जीता, वो भी दो बार। 1980 के बाद 1985 के चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की। इसी तरह 1993 और 1998 का चुनाव भी महेंद्र बहादुर ने जीता। इस क्षेत्र से सर्वाधिक 5 बार विधायक चुने जाने का रिकॉर्ड भी महेंद्र बहादुर के नाम है। महेंद्र बहादुर सिंह ने 1967 में हुए चुनाव में 5358 वोट के अंतर से जीत दर्ज की। साल 1980 में उन्होंने बीजेपी के पुनीतराम को 10206 वोट के अंतर से हराया। 1985 में एक बार फिर 11131 वोट के अंतर से जीत दर्ज की। हालांकि 1990 में हुए चुनाव में उन्हें पूर्व विधायक लक्ष्मण जयदेव सतपथी से हार का सामना करना पड़ा। 3 साल बाद 1993 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने महेंद्र बहादुर को टिकट नहीं दिया तो वे निर्दलीय ही चुनाव में उतरे और भाजपा के नरसिंह प्रधान को 6118 वोट के अंतर से हराकर बसना से चौथी जीत दर्ज की। 1998 के चुनाव में उन्होंने भाजपा के डॉ त्रिविक्रम भोई को 7049 वोट के अंतर से हराकर फिर से विधायक बनें।
पिता के बाद बेटे ने जीता चुनाव
बसना विधानसभा में पिता और बेटे ने भी चुनाव जीता है। ऐसा एक नहीं दो बार हुआ है। 1951 में जयदेव सतपथी ने चुनाव जीता। वहीं उनके बेटे लक्ष्मण जयदेव सतपथी ने 1972 और 1990 का विधानसभा चुनाव जीता। इसी तरह राजा बीरेंद्र बहादुर सिंह ने यहां से 1957 और 1977 में चुनाव जीता और उनके बेटे राजा देवेंद्र बहादुर सिंह ने 2008 और 2018 में चुनाव जीता।
एक नजर साल 2018 के विधानसभा चुनाव पर
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बसना विधानसभा क्षेत्र से कुल 15 प्रत्याशी चुनावी मैदान में किस्मत आजमाने उतरे। कांग्रेस ने यहां से पूर्व विधायक देवेंद्र बहादुर सिंह को प्रत्याशी बनाया। वहीं भाजपा ने एजुकेशनिस्ट से नेता बने डीसी पटेल को चुनावी मैदान में उतारा। इससे नाराज होकर बसना नगर के तात्कालीन नगर पंचायत अध्यक्ष संपत अग्रवाल ने भाजपा से बागी हो गए और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में कूद पड़े। भाजपा को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा और कांग्रेस के राजा देवेंद्र बहादुर ने इस सीट से 17508 वोट से चुनाव जीता और क्षेत्र से दूसरी बार विधानसभा पहुंचे। भाजपा इस सीट पर 36394 वोट के साथ तीसरे नंबर पर थी। वहीं दूसरे नंबर पर भाजपा से बागी हुए संपत अग्रवाल थे। संपत अग्रवाल ने अपने पहले ही चुनाव में 50027 वोट हासिल किए।
बसना विधानसभा से इन्होंने जीता चुनाव..
वर्ष | विधायक | पार्टी |
1951 | जयदेव सतपथी | कांग्रेस |
1957 | बीरेंद्र बहादुर सिंह | निर्दलीय |
1962 | अब्दुल हमीद दानी | कांग्रेस |
1967 | महेंद्र बहादुर सिंह | कांग्रेस |
1972 | लक्ष्मण जयदेव सतपथी | कांग्रेस |
1977 | बीरेंद्र बहादुर सिंह | कांग्रेस |
1980 | महेंद्र बहादुर सिंह | कांग्रेस |
1985 | महेंद्र बहादुर सिंह | कांग्रेस |
1990 | लक्ष्मण जयदेव सतपथी | जनता दल |
1993 | महेंद्र बहादुर सिंह | निर्दलीय |
1998 | महेंद्र बहादुर सिंह | कांग्रेस |
2003 | डॉ त्रिविक्रम भोई | भाजपा |
2008 | देवेंद्र बहादुर सिंह | कांग्रेस |
2013 | रूपकुमार चौधरी | भाजपा |
2018 | देवेंद्र बहादुर सिंह | कांग्रेस |