CG BJYM में बदलेंगे जिलाध्यक्ष: रायपुर, दुर्ग-भिलाई सहित कुछ और जिलों में नए अध्यक्ष, भगत की नई टीम आज-कल में
रायपुर। छत्तीसगढ़ भाजयुमो में आज-कल में नई टीम का एेलान हो जाएगा। रायपुर, दुर्ग-भिलाई सहित कुछ जिलों के अध्यक्ष बदले जाएंंगे, वहीं चार नए जिलों खैरागढ़, मोहला मानपुर, बिलागढ़-सारंगढ़ और सक्ती में अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी। प्रदेश की कार्यकारिणी में भी कई नए चेहरे नजर आएंगे।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने 11 सितंबर को अपनी नई टीम का ऐलान किया था। इसमें अमित साहू के स्थान पर आदिवासी चेहरे के रूप में रवि भगत को युवा मोर्चा की कमान सौंपी गई थी। सभी मोर्चा को कम से कम समय में नई टीम बनाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन तीन महीने से ज्यादा समय बीत चुका है और युवा मोर्चा में अब तक नियुक्ति नहीं हो पाई। सूत्रों के मुताबिक एक बार फिर 35 साल की उम्र सीमा के कारण नियुक्तियों में दिक्कत आ रही है। संगठन की ओर से स्पष्ट निर्देश थे कि हर हाल में 35 साल तक की उम्र सीमा के ही युवाओं को मौका दिया जाए, लेकिन कई वरिष्ठ पदाधिकारी अपने-अपने लोगों को एडजस्ट करने के लिए छूट के लिए लग गए।
खैर, अब लगभग स्थिति साफ हो चुकी हैै। कुछ 35 पार के युवाओं को शामिल करते हुए नई टीम का ऐलान किया जाएगा। रायपुर, दुर्ग-भिलाई सहित कुछ जिलों के अध्यक्ष बदलने की तैयारी है। इनमें जो नाम सामने आ रहे हैं, उसके मुताबिक गरियाबंद, बिलासपुर, धमतरी, महासमुंद और बस्तर के जिलाध्यक्ष बदले जा सकते हैं। हालांकि चुनावी वर्ष होने के कारण पार्टी न्यूनतम बदलाव के पक्ष में है। उन जिलों पर फोकस किया जाएगा, जहां-जहां के भाजपा जिलाध्यक्ष बदले गए हैं। हालांकि बदलाव की सुगबुगाहट के साथ ही विवाद की स्थिति भी निर्मित होने लगी है।
खबर है कि कुछ बड़े पदों पर सीधे नियुक्तियां की जा रही है। यानी जिन लोगों ने भाजपा में बूथ या मंडल में काम नहीं किया, उन्हें युवा मोर्चा में महामंत्री और उपाध्यक्ष बनाने की बातें आ रही है। इसमें एबीवीपी के युवाओं को प्राथमिकता मिलने की खबरों से ही भाजयुमो में लंबे समय से सक्रिय युवाओं ने अंदरूनी तौर पर विरोध शुरू कर दिया है। यह काफी गंभीर हो सकता है, क्योंकि ऐन चुनाव के साल में ऐसी किसी भी नियुक्ति का असर भाजपा के प्रदर्शन पर पड़ सकता है।
तीन महीने से भाजयुमो की गतिविधियां ठप
छत्तीसगढ़ में भाजयुमो के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद से ही लगभग तीन महीने से युवा मोर्चा की गतिविधियां ठप सी हो गई हैं। युवा मोर्चा को जो जिम्मेदारियां दी गई थीं, उसके मुताबिक बड़े स्तर पर कोई आंदोलन खड़ा नहीं हो सका। चुनावी साल और विपक्ष में होने की स्थिति में युवा मोर्चा को सबसे अहम कड़ी माना जाता है, क्योंकि हर छोटी-बड़ी गतिविधियों पर धरना-प्रदर्शन की जिम्मेदारी युवा मोर्चा की होती है, लेकिन इन परिस्थितियों में युवा मोर्चा कमजोर साबित हुआ।