CG बिलासपुर का बैटल: सरकार की नाराजगी में जीत गए थे शैलेष, कांग्रेसियों ने साथ छोड़ा, ब्राह्मण वोट भी बंटे

बिलासपुर में सीवरेज प्रोजेक्ट में देरी के कारण मंत्री अमर अग्रवाल के खिलाफ नाराजगी थी. इसका लाभ शैलेष पांडेय को मिला था. मगर सरकार बनते ही ठेकेदार का रोका हुआ 30 करोड़ रुपए देने में निगम ने देर नहीं लगाई। यही वजह है कांग्रेस सिवरेज और खोदापुर का जिक्र करने से बच रही है।

Update: 2023-11-05 08:15 GMT

Chhattisgarh Assembly Election 2023

बिलासपुर. बिलासपुर विधानसभा की लड़ाई अब रोमांचक मोड़ की ओर बढ़ रही है. इस सीट पर भाजपा से अमर अग्रवाल और कांग्रेस से शैलेष पांडेय फिर आमने-सामने हैं. 15 साल की भाजपा सरकार की एंटी इन्कमबेंसी और सीवरेज प्रोजेक्ट की लेटलतीफी के कारण 2018 का चुनाव अमर अग्रवाल हार गए थे और अमर की नाराजगी के कारण शैलेष जीत गए थे. इस बार परिस्थितियां बदल गई हैं. कांग्रेस के आधे कार्यकर्ता कोटा और आधे बेलतरा में शिफ्ट हो गए हैं. अमर की उम्मीदवारी और बेलतरा में ब्राह्मण के बजाय रजनीश सिंह को प्रत्याशी बनाने की पिछली नाराजगी को भाजपा ने साध लिया है. बेलतरा से सुशांत शुक्ला को प्रत्याशी बनाया गया है. इससे ब्राह्मण वोट बैंक भी अमर के साथ आ गया है.

आजादी के बाद से ही बिलासपुर सीट कांग्रेस के पास रही. यहां से 1951 से लेकर 1985 तक लगातार कांग्रेस जीतती रही. 1990 में पहली बार मूलचंद खंडेलवाल ने जीत के सिलसिले को ब्रेक किया. इसके बाद एक बार फिर बीआर यादव चुनाव जीते. 1998 से 2018 तक अमर अग्रवाल लगातार विधायक रहे. 2018 में हुए चुनाव में वे हार गए थे. भाजपा या अमर अग्रवाल की हार के पीछे जो कारण थे, उनमें सीवरेज प्रोजेक्ट काफी अहम है. हालांकि अब सीवरेज प्रोजेक्ट का काम हो चुका है. बिलासपुर अब प्रदेश का अकेला शहर है, जहां सीवरेज सिस्टम बनाया गया है.

ब्राह्मण समाज की नाराजगी

बिलासपुर में लगातार चार बार अमर अग्रवाल विधायक बने. इसी दौरान लगातार तीन बार बद्रीधर दीवान बेलतरा सीट से विधायक बने. बेलतरा के साथ-साथ बिलासपुर में भी ब्राह्मण वोटर हैं. बेलतरा में ब्राह्मण कैंडिडेट होने का फायदा बिलासपुर में भी मिलता था. इस बार तो कांग्रेस ने बिलासपुर में बड़ा ब्राह्मण सम्मेलन कराया. इसे देखते हुए भाजपा ने सुशांत शुक्ला को अपना उम्मीदवार बनाया है. इसका लाभ बिलासपुर सीट पर भी मिल रहा है. ब्राम्हण वोटरों में नाराजगी इस बात को लेकर है कि कांग्रेस ने बेलतरा में ब्राम्हण सम्मेलन कराया और टिकिट दे दिया गैर ब्राम्हण को। भाजपा को इसका फायदा बिलासपुर में मिलता दिख रहा है। ब्राम्हण मतदाता विधायक के मुस्लिम व्यक्ति के पैर धोने के वायरल वीडियो से खफा है।

मुस्लिम के पैर धोकर उलझे

शैलेष पांडेय लगभग पांच साल तक अपने स्वभाव के कारण काफी चर्चा में रहे. वे हर समाज के बड़ों-छोटों के पैर छूते थे. आचार संहिता लागू होने से कुछ दिन पहले ही उनकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई. इसमें वे एक मुस्लिम व्यक्ति के पैर धो रहे थे. इस तस्वीर के कारण उनकी छवि और पैर छूने की प्रक्रिया को चुनावी चरणस्पर्श के रूप में प्रचारित किया जाने लगा है. विपक्ष को भी यह बोलने का मौका मिल गया कि वे सम्मान में नहीं, बल्कि चुनाव जीतने के लिए पैर छूते हैं। ये वीडियो उनका काफी नुकसान किया।

कानून व्यवस्था बड़ा मुद्दा

अमर अग्रवाल ने सियासी चतुराई दिखाते हुए कानून व्यवस्था को मुद्दा बना दिया है। जाहिर है, भू माफियाओं और अपराधियों से पूरा बिलासपुर शहर अक्रांत है। आए दिन लूटपाट, मर्डर आम बात हो गई है। भू माफियाओं का आतंक इस कदर सिर चढ़ कर बोल रहा कि ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष को आत्महत्या करना पड़ गया। कानून व्यवस्था पर विधायक लाचार बने रहे। इसका भी मैसेज अच्छा नहीं गया। बहरहाल, देखना रोचक होगा कि इस बार ऊंट किस करवट बैठता है।

अब तक के विधायक

वर्ष - विधायक - पार्टी

1951 - शिवदुलारे रामाधीन - कांग्रेस

1957 - शिवदुलारे रामाधीन - कांग्रेस

1962 - रामचरण राय - कांग्रेस

1967 - रामचरण राय - कांग्रेस

1972 - श्रीधर मिश्र - कांग्रेस

1977 - बीआर यादव - कांग्रेस

1980 - बीआर यादव - कांग्रेस

1985 - बीआर यादव - कांग्रेस

1990 - मूलचंद खंडेलवाल - भाजपा

1993 - बीआर यादव - कांग्रेस

1998 - अमर अग्रवाल - भाजपा

2003 - अमर अग्रवाल - भाजपा

2008 - अमर अग्रवाल - भाजपा

2013 - अमर अग्रवाल - भाजपा

2018 - शैलेष पांडेय - कांग्रेस




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