UP Liquor Policy: योगी सरकार की नई आबकारी नीति, UP में शराब पीना हो जाएगा महंगा, एक ही दुकान में मिलेगी बीयर और अंग्रेजी शराब

UP Liquor Policy: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में प्रदेश की नई आबकारी नीति 2025-26 को मंजूरी दे दी गई है जिसके तहत शराब की बिक्री और लाइसेंसिंग प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं।

Update: 2025-02-06 07:32 GMT

UP Liquor Policy: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में प्रदेश की नई आबकारी नीति 2025-26 को मंजूरी दे दी गई है जिसके तहत शराब की बिक्री और लाइसेंसिंग प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इस नई नीति के माध्यम से प्रदेश सरकार का उद्देश्य 55 हजार करोड़ रुपये का राजस्व जुटाना है जो कि पिछले वर्ष के मुकाबले 4000 करोड़ रुपये अधिक है।

नई नीति के तहत अब देशी और विदेशी शराब, बीयर और वाइन सभी एक ही दुकान पर उपलब्ध हो सकेंगी। इसके अलावा शराब की दुकानों को ई-लॉटरी सिस्टम के माध्यम से लाइसेंस दिए जाएंगे (Uttar Pradesh) और पुराने लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं होगा। इस कदम से राज्य सरकार शराब के व्यापार को पारदर्शी और सुव्यवस्थित बनाने का प्रयास कर रही है।

नीति में एक और बड़ा बदलाव यह है कि अब प्रीमियम रिटेल दुकानों का लाइसेंस रिन्यूअल के लिए 25 लाख रुपये वार्षिक फीस देनी होगी। एक व्यक्ति, फर्म या कंपनी एक से अधिक लाइसेंस नहीं ले सकेंगे। इसके अलावा पहली बार कंपोजिट दुकानों को लाइसेंस जारी किए जाएंगे जिनमें देशी, विदेशी शराब, बीयर और वाइन एक स्थान पर मिल सकेंगी।

नई आबकारी नीति में मॉल्स और मल्टीप्लेक्स क्षेत्रों में प्रीमियम ब्रांड की दुकानों की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि एयरपोर्ट, मेट्रो और रेलवे स्टेशनों पर प्रीमियम रिटेल की दुकानें खोली जा सकती हैं लेकिन इसके लिए सक्षम स्तर से अनापत्ति प्राप्त करनी होगी। इसके साथ ही इन दुकानों के मुख्य द्वार भवन के अंदर होने की बाध्यता को भी हटा दिया गया है।

योगी सरकार की नई शराब नीति

इसी तरह विदेशी शराब 60 और 90 एमएल की बोतलों में भी उपलब्ध होगी जिससे ग्राहकों को अधिक विकल्प मिल सकेंगे। इसके साथ ही निजी उपयोग के लिए अधिक शराब खरीदने के लिए व्यक्तिगत होम लाइसेंस की सुविधा को आसान बना दिया गया है। इसके लिए सालाना 11 हजार रुपये की फीस और 11 हजार रुपये की सिक्योरिटी देनी होगी। यह लाइसेंस उन्हीं व्यक्तियों को मिलेगा जो तीन साल से लगातार अपना आयकर रिटर्न दाखिल कर रहे हों।

नई नीति में यह भी कहा गया है कि देशी शराब अब एसेप्टिक ब्रिज पैक में बेची जा सकेगी जिससे शराब में मिलावट की आशंका को समाप्त किया जा सकेगा। इस प्रकार उत्तर प्रदेश की नई आबकारी नीति ने शराब के व्यापार को न केवल व्यवस्थित किया है बल्कि इसमें पारदर्शिता और ग्राहकों के लिए अधिक विकल्प भी प्रस्तुत किए हैं।

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