Supreme Court News: RTE उल्लंघन का आरोप, 105 प्राइमरी स्कूल को बंद करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार
Supreme Court News: 105 प्राइमरी स्कूलों को बंद करने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है। राज्य सरकार द्वारा स्कूलों को बंद करने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में सुनवाई का हवाला देते हुए सुनवाई से मना कर दिया है। पढ़िए सांसद की याचिका में क्या है मुद्दा।
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Supreme Court News: दिल्ली। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस निर्णय को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जिसमें राज्य सरकार ने 105 शासकीय प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने का निर्णय लिया है। याचिका दायर करने के बाद सांसद संजय सिंह ने अपनी याचिका वापस ले ली है। दरअसल राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। हाई कोर्ट में सुनवाई का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इनकार करने के बाद सांसद संजय सिंह ने अपनी याचिका वापस ले ली है।
राज्य सरकार ने पाया कि इन विद्यालयों में बच्चों की भर्ती बहुत ही ही कम है। लिहाजा इन विद्यालयों में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को पास के स्कूलों में मर्ज करने व कम उपस्थिति वाले विद्यालयों को बंद करने का फैसला लिया है। सांसद सिंह ने अपनी याचिका में संविधान के अनुच्छेद 32 का हवाला देते हुए राज्य सरकार के इस निर्णय को असंवैधानिक और मनमाना बताया था। याचिकाकर्ता सांसद सिंह ने राज्य सरकार के इस फैसले को संविधान के अनुच्छेद 21ए और बच्चों के निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 RTE Act के तहत बच्चों के संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया था।
ये है RTE का नियम-
RTE नियमों के नियम 4(1) (ए) के अनुसार, कम से कम 300 की आबादी वाली प्रत्येक बस्ती के एक किलोमीटर के दायरे में कक्षा 1 से 5 तक के लिए प्राथमिक विद्यालय स्थापित करना आवश्यक है। 6 से 11 वर्ष की आयु के बच्चे विशेष रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक समुदायों और लड़कियों पर इसका सबसे अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। "कई अभिभावकों ने सुरक्षा चिंताओं और रसद संबंधी असंभवताओं के कारण अपने बच्चों को स्कूलों से निकाल लिया है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें स्कूलों में प्रवेश से वंचित कर दिया गया और बच्चों को फिर से श्रम या "घरेलू काम" में धकेल दिया गया।
नियम 4(1) (ए) के साथ धारा 6 के तहत स्थापित होने के बाद किसी स्कूल को बंद करना या विलय करना, विधायी अधिकार से रहित कार्यकारी निर्देश के आधार पर नहीं किया जा सकता। याचिका के अनुसार इस तरह की कार्रवाई क़ानून के विरुद्ध है।