Supreme Court News: फाइव स्टार ट्रीटमेंट मिला तो जेल सुपरिंटेंडेंट होंगे सस्पेंड- सुप्रीम कोर्ट ने एक्टर की जमानत रद्द की
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने दोटूक कहा कि आरोपी चाहे कोई हो, कानून से ऊपर नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा कि सेलिबिट्री स्टेटस के आधार पर एक्टर को जेल में फाइव स्टार सुविधा मिली तो सबसे पहले जेल सुपरिंडेंट पर कार्रवाई होगी। उनको सीधे सस्पेंड कर दिया जाएगा। हत्या के आरोप में एक फिल्म अभिनेता को दी गई जमानत को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ये आदेश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश की कापी देशभर के हाई कोर्ट को भेजने का निर्देश रजिस्ट्री को दिया है।
Supreme Court News
Supreme Court News: दिल्ली। रेणुकास्वामी हत्याकांड में एक्टर दर्शन को दी गई जमानत को सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने रद्द कर दी है। एक्टर दर्शन के साथ ही पवित्रा गौड़ा सहित पांच अन्य आरोपियों को पूर्व में दी गई जमानत को डिवीजन बेंच ने रद्द कर दी है। बेंच ने यह भी आदेश जारी किया है कि फिल्म अभिनेता को उनके सेलिब्रिटी स्टेटस को देखते हुए जेल के भीतर कोई विशेष सुविधा ना दी जाए। फाइव स्टार होटल जैसी सुविधा की शिकायत मिली तो कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी डिवीजन बेंच ने दी है। हत्याकांड के संबंध में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए कर्नाटक राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील पेश करते हुए चुनौती दी है।
हाई कोर्ट द्वारा एक्टर को दिए गए जमानत आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। डिवीजन बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि हाई कोर्ट के जमानत आदेश में गंभीर कानूनी खामियां हैं। डिवीजन बेंच ने यह भी कहा कि हाई कोर्ट ने जमानत देते हुए एक्टर दर्शन के सेलिब्रिटी स्टेटस को सामने रखकर बिना सोचे समझे विवेक का प्रयोग किया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हर समय कानून का शासन बनाकर रखा जाए
किसी भी स्तर पर न्याय प्रदान करने वाली प्रणाली को किसी भी कीमत पर कानून के शासन को बनाए रखना चाहिए। अभियुक्त कोई भी हो, चाहे वह कितना भी बड़ा या छोटा क्यों न हो, वह कानून से ऊपर नहीं है। डिवीजन बेंच ने कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून से नीचे नहीं है। कानून का पालन एक अधिकार के रूप में मांगा जाता है, किसी एहसान के रूप में नहीं। समय की मांग है कि हर समय कानून का शासन बनाए रखा जाए।
बेंच ने कहा- एक्टर दर्शन को कानून से ऊपर ना समझा जाए
मामले की सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने जेल अफसरों को हिदायत देते हुए कहा कि एक्टर दर्शन को कानून के ऊपर ना समझें। डिवीजन बेंच ने रजिस्ट्री को निर्देशित करते हुए कहा कि आदेश की प्रति देशभर के हाई कोर्ट को भेजी जाए। इसके अलावा देशभर के राज्य सरकारों के माध्यम से सभी जेल अधीक्षकों को दी जाए। डिवीजन बेंच ने दोटूक कहा कि जिस दिन हमें पता चलेगा कि आरोपियों को जेल के भीतर फाइव स्टार जैसी सुविधा दी जा रही है,सबसे पहले जेल सुपरिंटेंडेंट व अन्य सभी अधिकारियों को सस्पेंड कर देंगे।