Lok Sabha Speaker 2024: लोकसभा अध्यक्ष पद की दौड़ हुई शुरू, NDA गठबंधन में खींचतान जारी, जानिए अध्यक्ष पद की दौड़ में कौन है सबसे आगे?

Lok Sabha Speaker 2024: केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार के शपथ ग्रहण के बाद अब सबकी निगाहें लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर टिक गई हैं।

Update: 2024-06-11 14:21 GMT

Lok Sabha Speaker 2024: केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार के शपथ ग्रहण के बाद अब सबकी निगाहें लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर टिक गई हैं। इस बार भाजपा चुनावों में बहुमत का आंकड़ा पार नहीं कर पाई और 240 सीटों पर ही रह गई, जिसके चलते लोकसभा अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए उसे अपने सहयोगियों, विशेष रूप से TDP प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और JDU प्रमुख नीतीश कुमार को साथ लाने की जरूरत होगी।

लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए खींचतान

एनडीए गठबंधन में इस बार लोकसभा अध्यक्ष पद के चुनाव में खींचतान देखने को मिल सकती है। TDP और JDU, दोनों ही दल इस कुर्सी को हथियाना चाहते हैं। दोनों दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अपनी मंशा भी जाहिर कर दी है। भाजपा भी यह कुर्सी अपने पास रखना चाहती है, जिससे यह चुनाव और भी रोचक हो सकता है।

भाजपा के पिछले लोकसभा अध्यक्ष

भाजपा ने अपने पिछले दोनों कार्यकालों में अपने पार्टी के नेता को ही लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया था। 2014 से 2019 तक सुमित्रा महाजन और 2019-2024 तक ओम बिरला ने यह भूमिका निभाई थी।

लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव कैसे होता है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 93 के अनुसार, नई लोकसभा की पहली बैठक से ठीक पहले अध्यक्ष पद खाली हो जाता है। राष्ट्रपति नवनिर्वाचित संसदों को शपथ दिलाने के लिए एक प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करते हैं। इसके बाद साधारण बहुमत से लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है, जिसमें सदन में मौजूद आधे से अधिक सदस्यों को किसी विशेष उम्मीदवार को वोट देना होता है।

लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका

लोकसभा अध्यक्ष सदन संचालन का जिम्मेदार होता है और सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दलों के सदस्यों के बीच निष्पक्षता बनाए रखता है। अध्यक्ष के पास दलबदल के मामलों में सदस्यों को अयोग्य घोषित करने की शक्ति भी होती है, जो गठबंधन सरकार में बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।

TDP और JDU की मांग

TDP और JDU, दोनों दलों ने भाजपा को समर्थन देने के बदले में लोकसभा अध्यक्ष पद की मांग की थी। दोनों दलों को मंत्रिमंडल में दो-दो सीटें मिली हैं। मोदी सरकार में भाजपा के साथ अन्य दल भी हितधारक हैं, जिससे सरकार को सदन के पटल पर संकट का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में सदन के अध्यक्ष की भूमिका अहम हो जाती है।

विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया

आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने मांग की है कि लोकसभा अध्यक्ष का चयन TDP या किसी अन्य NDA गठबंधन सहयोगी से किया जाए। उन्होंने कहा कि भाजपा का अध्यक्ष संसदीय परंपरा के लिए घातक होगा। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने NDA सरकार में अपने सहयोगियों को बचे हुए विभाग देने के लिए भाजपा की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष का पद भी भाजपा के पास ही रहेगा।

अध्यक्ष पद की दौड़ में कौन है सबसे आगे?

रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा ओम बिरला को ही अध्यक्ष बनाए रखना चाहती है, जो राजस्थान के कोटा से चुनाव जीतकर आए हैं। अन्य नामों में दग्गुबाती पुरंदेश्वरी भी शामिल हैं। वह TDP संस्थापक एनटी रामा राव की बेटी हैं और आंध्र प्रदेश की भाजपा नेता एवं प्रदेशाध्यक्ष हैं। उन्होंने 2009 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री और 2012 में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाली थी। उन्होंने लोकसभा चुनाव में राजमुंदरी से जीत दर्ज की है। 

इस प्रकार, लोकसभा अध्यक्ष पद का चुनाव इस बार काफी दिलचस्प और महत्वपूर्ण साबित होने वाला है, जहां NDA के प्रमुख दलों के बीच खींचतान देखने को मिल सकती है।

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