Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस को चुनाव से पहले बड़ा झटका, आयकर विभाग से मिला 1700 करोड़ का नोटिस, जानिए पूरा मामला

Lok Sabha Elections 2024: दिल्ली हाई कोर्ट से पुनर्मूल्यांकन मामले में निराशा हाथ लगने के बाद आयकर विभाग ने कांग्रेस को दूसरा झटका दिया। आयकर विभाग ने कांग्रेस को 1,700 करोड़ रुपये का नोटिस भेजा है, जो 2017-18 से लेकर 2020-21 के लिए है।

Update: 2024-03-29 10:31 GMT

Lok Sabha Elections 2024: दिल्ली हाई कोर्ट से पुनर्मूल्यांकन मामले में निराशा हाथ लगने के बाद आयकर विभाग ने कांग्रेस को दूसरा झटका दिया। आयकर विभाग ने कांग्रेस को 1,700 करोड़ रुपये का नोटिस भेजा है, जो 2017-18 से लेकर 2020-21 के लिए है। इसमें ब्याज और जुर्माने की रकम शामिल है। यह रकम और बढ़ सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पार्टी अब 3 अन्य मूल्यांकन वर्षों के लिए आय के पुनर्मूल्यांकन का इंतजार कर रही है, जो रविवार को पूरा होगा।

कांग्रेस के वकील और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने नोटिस की पुष्टि करते हुए आयकर विभाग की कार्रवाई को अलोकतांत्रिक और अनुचित करार दिया। तन्खा ने कहा कि पार्टी कानूनी चुनौती को आगे बढ़ाएगी। उन्होंने कहा कि आयकर विभाग ने नोटिस बिना प्रमुख दस्तावेज के दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें मूल्यांकन आदेशों के बिना मांग नोटिस प्राप्त हुआ। बता दें कि गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने कांग्रेस की पुनर्मूल्यांकन की याचिका खारिज कर दी थी।

गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति यशवन्त वर्मा और पुरूषेन्द्र कुमार कौरव की पीठ ने कांग्रेस द्रारा दायर आयकर कार्रवाई के खिलाफ याचिका खारिज कर दी थी। पीठ ने कहा कि विभाग के पास कांग्रेस के पुनर्मूल्यांकन की कार्यवाही शुरू करने के पर्याप्त सबूत थे, जिनके आधार पर कार्रवाई शुरू हुई और पार्टी के वित्तीय रिकॉर्ड में बेहिसाब लेनदेन है। कांग्रेस ने वर्ष 2014-15, 2015-16 और 2016-17 तक के आयकर विभाग की पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही को चुनौती दी थी।

दिल्ली हाई कोर्ट में गुरुवार को कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया था कि कर पुनर्मूल्यांकन के लिए वैधानिक समयसीमा होती है। उन्होंने बताया था कि आयकर 6 मूल्यांकन वर्षों तक ही इसे कर सकता है। उन्होंने पुनर्मूल्यांकन की कार्रवाई को आयकर अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ बताया था। वहीं आयकर विभाग ने दावा किया था कि किसी वैधानिक प्रावधान का उल्लेख नहीं हुआ और छिपाई गई राशि 520 करोड़ रुपये से अधिक है।

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