Digital Census 2026: भारत में पहली बार होगी डिजिटल जनगणना, अब घर बैठे ऐसे भरें जानकारी...जानें पूरा प्रोसेस
भारत में इस वर्ष जनगणना को लेकर चर्चाएं काफी तेज हो गई है। कहा जा रहा है कि, इस बार बड़े स्तर पर जनगणना की जायेगी, जिसके लिए सरकार आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने वाली है। इसकी सहायता से लोगों के जनगणना में सहयोग मिलेगा।
Digital Census 2026 (NPG file photo)
नई दिल्ली। साल 2026-27 में भारत में पहली बार पूरी तरह से डिजिटल जनगणना होगी, जो कि देश के इतिहास में एक बड़ा बदलाव है। इस बार जनगणना करने के लिए केंद्र सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। अब लोगों को अपनी जानकारी देने के लिए कागज के फॉर्म नहीं भरने पड़ेंगे, बल्कि एक खास मोबाइल एप का इस्तेमाल किया जाएगा। यह एप एंड्रॉयड और आईफोन दोनों तरह के स्मार्टफोन के लिए उपलब्ध होगा।
इस नए तरीके से, परिवार का मुखिया अपने घर और परिवार के सदस्यों की जानकारी खुद ही इस एप में भर सकेगा। यह जानकारी भरने के बाद, एक जनगणना अधिकारी घर-घर जाकर इस डाटा को क्रॉस-चेक करेगा ताकि कोई गलती न हो। इस क्रॉस-चेकिंग के बाद ही डाटा को डिजिटल फॉर्म में अपलोड किया जाएगा। हर जनगणना अधिकारी को करीब 150 से 175 मकानों की जिम्मेदारी दी जाएगी ताकि काम सही ढंग से हो सके।
जनगणना का यह बड़ा काम दो चरणों में पूरा होगा।
पहला चरण: यह 1 अप्रैल 2026 से शुरू होगा, जिसमें केवल मकानों की गिनती की जाएगी।
दूसरा चरण: यह 1 फरवरी 2027 से शुरू होगा, जिसमें लोगों की संख्या, जाति और दूसरी जरूरी जानकारियां जमा की जाएंगी।
यह जनगणना आजादी के बाद भारत की 8वीं जनगणना होगी और कुल मिलाकर 16वीं जनगणना होगी। पिछली बार जनगणना 2011 में हुई थी, जिसका मतलब है कि देश में 15 साल बाद फिर से जनगणना होने जा रही है। 2021 की जनगणना COVID-19 महामारी की वजह से टाल दी गई थी।
इस बड़े काम के लिए सरकार ने देशभर में लगभग 34 लाख कर्मचारियों को नियुक्त किया है, जिन्हें तीन लेवल पर ट्रेनिंग दी जाएगी: राष्ट्रीय ट्रेनर, मास्टर ट्रेनर और फील्ड ट्रेनर। ये कर्मचारी गांव, शहर और मोहल्लों के छोटे-छोटे हिस्सों की जिम्मेदारी संभालेंगे ताकि कोई भी व्यक्ति या परिवार छूट न जाए।
जनगणना से पहले, सरकार ने देश के कुछ हिस्सों में प्री-टेस्ट कराने का फैसला किया है। मध्य प्रदेश के तीन जिलों - ग्वालियर, रतलाम और सिवनी को इसके लिए चुना गया है। यहां अक्टूबर और नवंबर के बीच 15 दिनों का एक अभियान चलेगा। इस प्री-टेस्ट का मकसद यह जानना है कि फील्ड में क्या दिक्कतें आ सकती हैं और उन्हें कैसे ठीक किया जा सकता है।
इस जनगणना से जुड़ी एक और अहम बात यह है कि, 31 दिसंबर 2025 के बाद से देश में किसी भी प्रशासनिक सीमा (जैसे शहर या गांव की सीमा) में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। यह इसलिए किया गया है ताकि जनगणना के दौरान कोई गड़बड़ी न हो।
मध्य प्रदेश जनगणना निदेशालय की निदेशक, भावना वालिम्बे ने बताया कि, एप में भरी जाने वाली प्रश्नावली में हर सदस्य का नाम, परिवार की स्थिति, घर और संपत्ति का ब्यौरा और रोजगार जैसी जानकारी शामिल होगी। उन्होंने यह भी बताया कि, फील्ड में आने वाली चुनौतियों की रिपोर्ट तैयार करके केंद्र सरकार को भेजी जाएगी ताकि फाइनल जनगणना शीट तैयार की जा सके। यह डिजिटल जनगणना न सिर्फ समय बचाएगी बल्कि इसे और भी सटीक और पारदर्शी बनाने में मदद करेगी।