Delhi Liquor Scam: केजरीवाल सरकार की नीति से शराबियों की हो गई थी मौज: फिर ऐसे हुआ पूरे मामले का भंडाफोड़ और एक के बाद एक जेल पहुंचत गए नेता...
Delhi Liquor Scam: आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए जेल जाने वाले देश के पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं। देश के इतिहास में इससे पहले कोई भी मुख्यमंत्री जेल नहीं गया था। पढें वो कहानी जिसकी वजह से दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को जाना पड़ा है जेल।
Delhi Liquor Scam: एनपीजी न्यूज डेस्क
दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने 2021 में नई आबकारी नीति लेकर आई। इस नीति के लागू होते ही दिल्ली में शराबियों की मौज हो गई। दिल्ली देश का पहला राज्य बन गया जहां शराब की बिक्री बढ़ाने के लिए ऑफर दिए जाने लगे। एक के साथ एक फ्री और लो प्राइज जैसे कई ऑफर शराब दुकानों में दिए जाने लगे। मुख्यमंत्री केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री और दिल्ली सरकार के आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया का दावा था कि नई नीति से राज्य सरकार का राजस्व बढ़ जाएगा। लेकिन खोल ऐसा बिगड़ा की पूरी सरकार संकट में फंस गई। सिसोदिया पहले से जेल में हैं और केजरीवाल को भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिफ्तार कर लिया है।
जानिए... किसने किया भंडाफोड़
दिल्ली में हुए कथित शराब घोटाला का फंडाफोड़ किसी और ने नहीं बल्कि केजरीवाल सरकार के मुख्य सचिव ने किया था। दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार ने 2022 में एक रिपोर्ट जारी की। मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में शराब नीति को गलत बातते हुए कहा कि यह शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई है। इस नीति में सोची समझी रणनीति के तहत लाइसेंस शुल्क बढ़ा दिया गया। इससे शराब के छोटे ठेकेदार मैदान से बाहर हो गए। इसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली। इस बीच आनन-फानन में केजरीवाल सरकार ने पुरानी नीति फिर से लागू कर दी।
शराब गया गोवा चुनाव में
ईडी की चार्जशीट के अनुसार शराब नीति से मिले रिश्वत में से 45 करोड़ रुपये गोवा के चुनाव में खर्च किए गए। ईडी ने गोवा विधानसभा चुनाव में आप के प्रत्याशी रहे कुछ नेताओं के बयान भी दर्ज किए हैं जिन्होंने बताया कि उन्हें चुनाव लड़ने के लिए नगद राशि दी गई थी। चार्जशीट के अनुसार नई शराब नीति से आप को 100 करोड़ रुपये मिले। वहीं, मनीष सिसोदिया को 2.2 करोड़, संजय सिंह को 2 करोड़ और विजय नायर को 1.5 करोड़ रुपये मिले थे।