Budget 2026 : चीन की आर्थिक घेराबंदी तोड़ने की तैयारी में भारत, जानें क्या हैं मोदी सरकार का सबसे बड़ा व्यापारिक मास्टरप्लान
Budget 2026 : भारत की अर्थव्यवस्था इस समय एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। केंद्र की मोदी सरकार आगामी बजट 2026 में व्यापार को लेकर कुछ ऐसे कड़े और दूरगामी फैसले लेने की तैयारी में है
Budget 2026 : चीन की आर्थिक घेराबंदी तोड़ने की तैयारी में भारत, जानें क्या हैं मोदी सरकार का सबसे बड़ा व्यापारिक मास्टरप्लान
Budget 2026 India China Trade : नई दिल्ली : भारत की अर्थव्यवस्था इस समय एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। केंद्र की मोदी सरकार आगामी बजट 2026 में व्यापार को लेकर कुछ ऐसे कड़े और दूरगामी फैसले लेने की तैयारी में है, जो चीन के साथ हमारे रिश्तों और व्यापार की पूरी तस्वीर बदल सकते हैं। भारत इस समय दो मोर्चों पर व्यापारिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। एक तरफ अमेरिका के साथ ऊंचे टैरिफ की समस्या है, तो दूसरी तरफ चीन के साथ लगातार बढ़ता व्यापार घाटा (Trade Deficit) सरकार के लिए सबसे बड़ी सिरदर्द बन गया है।
Budget 2026 India China Trade : अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्तों की बात करें, तो वहां भारत का एक्सपोर्ट तो बढ़ा है, लेकिन अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर लगभग 50 फीसदी तक टैरिफ लगाया हुआ है। इससे भारतीय सामान वहां महंगा हो जाता है और हमारे निर्यातकों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। हालांकि भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर लगातार बातचीत चल रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। जब तक यह टैरिफ कम नहीं होता, तब तक भारतीय बाजारों और विदेशी निवेश पर इसका दबाव बना रहेगा।
चीन के साथ समस्या अमेरिका से भी कहीं ज्यादा गंभीर और गहरी है। भारत और चीन के बीच का व्यापार घाटा अब 100 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर चुका है। इसका सीधा मतलब यह है कि भारत चीन से बहुत ज्यादा सामान खरीद रहा है, लेकिन उसे अपना सामान बेच नहीं पा रहा है। यह स्थिति भारत की कमाई के लिए बड़ा नुकसान है और इससे देश का पैसा बाहर जा रहा है। सबसे ज्यादा मार हमारे छोटे और मझोले उद्योगों (MSME) पर पड़ रही है, जो चीन के सस्ते आयातित सामानों के सामने टिक नहीं पा रहे हैं।
इसी समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार बजट 2026 में बड़ा दांव खेलने जा रही है। सरकार का मुख्य उद्देश्य इंपोर्ट (आयात) पर निर्भरता कम करना और मेक इन इंडिया को नई ऊंचाई पर ले जाना है। सरकार ने लगभग 100 ऐसे प्रोडक्ट्स की पहचान की है, जिन्हें हम चीन से मंगाने के बजाय खुद अपने देश में बना सकते हैं। इनमें इंजीनियरिंग का सामान, स्टील उत्पाद, मशीनरी, और रोजमर्रा के उपभोक्ता सामान जैसे सूटकेस और फ्लोरिंग मटेरियल शामिल हैं। इन पर वर्तमान में इंपोर्ट ड्यूटी काफी कम है, जिसे सरकार बढ़ाने पर विचार कर रही है।
आंकड़े बताते हैं कि चीन की पैठ भारतीय बाजार में कितनी गहरी हो चुकी है। उदाहरण के तौर पर, भारत में इस्तेमाल होने वाली छतरियों और चश्मों का एक बहुत बड़ा हिस्सा सीधे चीन से आता है। यहाँ तक कि खेती में इस्तेमाल होने वाली कुछ मशीनों में चीन की हिस्सेदारी 90 फीसदी तक है। वित्त वर्ष 2026 के शुरुआती महीनों में भारत ने चीन से 84.2 बिलियन डॉलर का सामान मंगाया, जबकि उसे सिर्फ 12.2 बिलियन डॉलर का सामान बेचा। यह 72 बिलियन डॉलर का अंतर ही सरकार की सबसे बड़ी चिंता है।
आगामी बजट में सरकार दो स्तरों पर काम कर सकती है। पहला, अनावश्यक आयात होने वाले सामानों पर टैक्स (इंपोर्ट ड्यूटी) बढ़ाना, ताकि विदेशी सामान महंगा हो जाए। दूसरा, स्थानीय निर्माताओं को आर्थिक मदद और पीएलआई (PLI) जैसी योजनाओं के जरिए प्रोत्साहित करना। इससे न केवल चीन पर निर्भरता कम होगी, बल्कि देश के भीतर एक मजबूत 'सप्लाई चेन' भी विकसित होगी। सरकार का इरादा साफ है कि भारतीय उद्योगों को आत्मनिर्भर बनाया जाए ताकि वे दुनिया के किसी भी देश पर निर्भर न रहें।
कुल मिलाकर, बजट 2026 केवल आंकड़ों का लेखा-जोखा नहीं होगा, बल्कि यह भारत की एक नई आर्थिक रणनीति का ब्लूप्रिंट साबित हो सकता है। यदि सरकार इन योजनाओं को सही तरीके से लागू करने में सफल रहती है, तो आने वाले वर्षों में भारत-चीन व्यापार की तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी। यह कदम न केवल व्यापार घाटे को कम करेगा, बल्कि भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में एक निर्णायक मोड़ साबित होगा।