Atul Kumar Anjan Death: कैंसर से CPI के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कुमार अंजान का निधन, एक महीने से लखनऊ के अस्पताल में थे भर्ती

Atul Kumar Anjan Death: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान का आज निधन हो गया। वह लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे। अतुल कुमार अंजान पिछले एक महीने से एक निजी अस्पताल में भर्ती थे।

Update: 2024-05-03 09:15 GMT

Atul Kumar Anjan Death: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान का आज निधन हो गया। वह लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे। अतुल कुमार अंजान पिछले एक महीने से एक निजी अस्पताल में भर्ती थे। भारतीय वामपंथी राजनीति में उनका नाम काफ़ी चर्चित था। वह सामाजिक कार्याें में भी काफी सक्रिय रहे। किसानो और मजदूराें के लिये उनके किये गये कार्यो की वजह से राजनेताओं के बीच उनकी अलग पहचान रही है। अतुल अंजान ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1977 में की। वह लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। वह सबसे मुखर और सक्रिय कम्युनिस्ट नेताओं में से एक थे, जिन्होंने एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी अपनी पहचान बनाई।

कई सालों तक रहे जेल में

अतुल कुमार अंजान उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध पुलिस-पीएसी विद्रोह के प्रमुख नेताओं में से एक थे। अतुल कुमार ने अपने राजनीतिक सफर के दौरान चार साल नौ महीने जेल में भी बिताए। उनके पिता डॉ एपी सिंह एक अनुभवी स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) की गतिविधियों में भाग लिया. इसके लिए उन्होंने ब्रिटिश जेल में लंबी सजा काटी थी। किसानों और श्रमिकों के हितों के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता ने लोगों से व्यापक प्रशंसा और सम्मान जीता। वह प्रभावशाली भाषण देने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने राजनीति में एक अलग मुकाम हासिल किया था।

जयंत सिंह चौधरी ने दी श्रद्धांजलि

इस बीच RLD प्रमुख और राज्यसभा सांसद जयंत सिंह चौधरी ने अतुल कुमार अंजान श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, "श्री अतुल कुमार अंजान जी के निधन से मैं स्तब्ध हूँ। वो एक बहादुर और समर्पित लोक सेवक थे। उन्हें अपनी भाव भीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।

कई भाषाओं के थे जानकार

अतुल कुमार अंजान छात्र राजनीति में काफी सक्रिय थे। वह छात्रों के मुद्दे उठाते रहे, जिससे वह इतने लोकप्रिय हो गए कि चार बार लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष पद का चुनाव जीते, फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह एक समय बहुत प्रभावशाली व्यक्ति थे, जो लगभग आधा दर्जन भाषाएँ जानते थे।

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