8th Pay Commission: लाखों कर्मचारियों के लिए खुशखबरी! कब से लागू होगा 8वां वेतन आयोग? सरकार ने संसद में दिया बड़ा अपडेट
Pay Commission Update: 8वें वेतन आयोग को लेकर सरकार ने संसद में बताया कि लागू होने की तारीख तय नहीं हुई है या नहीं। जानिए रिपोर्ट, एरियर और वित्तीय बोझ से जुड़ी पूरी जानकारी।
Pay Commission Update: देश के लाखों सरकारी कर्मचारी और पेंशनभोगी 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के लागू होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अब इसे लेकर बड़ा बयान दे दिया है। वित्त मंत्रालय ने लोकसभा में बताया कि 8वें केंद्रीय वेतन आयोग को कब लागू किया जाएगा, इस पर फिलहाल कोई अंतिम तारीख तय नहीं की गई है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि आयोग की जिन सिफारिशों को सरकार मंजूरी देगी, उन्हें लागू करने के लिए बजट में पर्याप्त वित्तीय प्रावधान किया जाएगा।
1 जनवरी 2026 से लागू होने की अटकलों पर विराम
सरकार का यह बयान उस वक्त आया है जब पहले संकेत मिल रहे थे कि 8वां वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकता है। नीति स्तर पर यह ऑप्शन भी चर्चा में था कि इसे FY28 से लागू किया जाए और 1 जनवरी 2026 से पांच तिमाहियों का एरियर कर्मचारियों को दिया जाए। हालांकि नए बयान में वित्त मंत्रालय ने किसी भी संभावित तारीख की आधिकारिक घोषणा नहीं की है, जिससे कर्मचारियों की उम्मीदों पर फिलहाल पानी फिर गया है।
18 महीने में आएंगी सिफारिशें, DA-DR मर्ज पर भी स्थिति साफ
मंत्रालय के मुताबिक 8वां वेतन आयोग अपनी गठन तिथि 3 नवंबर 2025 से 18 महीनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा। सरकार पहले ही यह वाज़ेह कर चुकी है कि आयोग आधिकारिक रूप से अधिसूचित (Notify) किया जा चुका है। साथ ही यह भी साफ कर दिया गया है कि कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (DA) और पेंशनरों के महंगाई राहत (DR) को बेसिक पे में मर्ज करने का फिलहाल कोई प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है।
सरकारी खजाने पर भारी बोझ की आशंका
8वें वेतन आयोग के नए सैलरी स्ट्रक्चर का सरकारी वित्त पर पड़ने वाले असर को लेकर भी चिंता बढ़ती जा रही है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के सदस्य नीलकंठ मिश्रा ने पहले कहा था कि अगर 8वां वेतन आयोग FY28 में लागू किया गया, तो इसका केंद्र और राज्यों पर कुल वित्तीय बोझ 4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकता है। यदि इसमें पांच तिमाहियों का एरियर भी जोड़ दिया जाए, तो यह रकम बढ़कर करीब 9 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। यही वजह है कि सरकार इस फैसले पर बेहद संतुलित और चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहती है।