मोदी कैबिनेट: देश में तैयार किया जाएगा बड़े स्तर का वाई-फाई नेटवर्क, आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के लिए 1584 करोड़ रुपये की मंजूरी…. जानें कैबिनेट के और फैसले

Update: 2020-12-09 06:06 GMT

नईदिल्ली 9 दिसबंर 2020। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के लिए 1,584 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी है। इसके साथ योजना की पूरी अवधि यानी 2020-2023 तक के लिए 22,810 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। इस योजना के तहत 58.5 लाख कर्मचारियों को फायदा होगा। इस योजना का मकसद कंपनी जगत को नयी नियुक्तियों के लिए प्रोत्साहित करना है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नयी रोजगार योजना के लिए 22,810 करोड़ रुपये के व्यय की मंजूरी दी है। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने बुधवार यहां कहा कि आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत सरकार दो साल तक कंपनियों और अन्य इकाइयों द्वारा की गई नयी नियुक्तियों के लिए सेवानिवृत्ति कोष (ईपीएफ) में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की ओर से अंशदान करेगी। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 2023 तक 22,810 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इससे करीब

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि यह फैसला बुधवार को आयोजित हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिया गया। उन्होंने बताया कि इसके तहत देश में सार्वजनिक डाटा केंद्र खोले जाएंगे। इसके लिए कोई लाइसेंस, शुल्क या पंजीकरण नहीं होगा। नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच बातचीत के सवाल पर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यह प्रक्रिया अभी चल रही है।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इसके साथ ही कैबिनेट ने कोच्चि और लक्षद्वीप द्वीप समूह के बीच सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल कनेक्टिविटी के प्रावधान को भी मंजूरी दे दी है। उन्होंने बताया किकैबिनेट ने उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लिए व्यापक दूरसंचार विकास योजना के तहत अरुणाचल प्रदेश और असम के दो जिलों में मोबाइल कवरेज उपलब्ध कराने के लिए यूएसओएफ योजना (USOF Scheme) को अनुमति दे दी है। व्यापक दूरसंचार विकास योजना 2374 गांवों में मोबाइल कवरेज उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई है।

संतोष गंगवार के मुताबिक, जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी तब ऑर्गनाइज्ड सेक्टर में 6 करोड़ रोजगार थे जो अब बढ़कर 10 करोड़ रोजगार मिल चुके हैं. इसके अलावा केंद्रीय कैबिनेट ने अरुणाचल प्रदेश, असम के दो जिलों में USOF योजना को मंजूरी दी है. कैबिनेट ब्रीफिंग के दौरान जब मंत्रियों से किसान आंदोलन और कृषि कानून में बदलाव की बात की गई तो जवाब मिला कि सरकार किसानों के साथ बात कर हल निकाल रही है.

आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना को 1 अक्टूबर 2020 को लागू माना जाएगा. सरकार इसके लिए 22,810 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करेगी. मौजूदा वित्त वर्ष में इस पर 1584 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इस स्कीम से 58.5 लाख कर्मचारियों को फायदा होगा. एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि इस योजना अवधि में लगभग 58.5 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलने की संभावना है. इस योजना के तहत केंद्र सरकार एक अक्‍टूबर 2020 को या उसके बाद और 30 जून, 2021 तक शामिल सभी नए कर्मचारियों को दो वर्ष की अवधि के लिए सब्सिडी प्रदान करेगी. बयान में कहा गया, ‘‘जिस कंपनी में 1000 कर्मचारी हैं वहां केन्‍द्र सरकार दो वर्ष की अवधि के लिए 12 प्रतिशत कर्मचारी योगदान और 12 प्रतिशत नियोक्‍ता योगदान (दोनों) वेतन भत्तों का 24 प्रतिशत ईपीएफ में योगदान देगी.’’

किसे मिलेगा लाभ?

इसके मुताबिक जिन रोजगार प्रदाता संगठनों में 1000 से अधिक कर्मचारी हैं वहां केन्‍द्र सरकार नए कर्मचारियों के संदर्भ में दो वर्ष की अवधि के लिए ईपीएफ में केवल 12 प्रतिशत कर्मचारी योगदान देगी. कोई कर्मचारी जिसका मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है और वह किसी ऐसे संस्‍थान में काम नहीं कर रहा था जो एक अक्‍टूबर 2020 से पहले कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन (ईपीएफओ) से पंजीकृत था और उसके पास इस अवधि से पहले यूनिवर्सल एकाउंट नंबर या ईपीएफ सदस्‍य खाता नंबर नहीं था तो वह इस योजना के लिए पात्र होगा.

कोई भी ईपीएफ सदस्‍य जिसके पास यूनिवर्सल एकाउंट नंबर है और उसका मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है और यदि उसने कोविड महामारी के दौरान इस वर्ष मार्च से सितंबर के बीच की अवधि में अपनी नौकरी छोड़ दी और उसे ईपीएफ के दायरे में आने वाले किसी रोजगार प्रदाता संस्‍थान में सितंबर तक रोजगार नहीं मिला है तो वह भी इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र है. बयान में कहा गया कि सदस्‍यों के आधार संख्‍या से जुड़े खाते में ईपीएफओ इलेक्‍ट्रॉनिक तरीके से इस योगदान का भुगतान करेगा. इस योजना के लिए ईपीएफओ एक सॉफ्टवेयर को विकसित करेगा और एक पारदर्शी एवं जवाबदेह प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी.

 

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