मरवाही उप चुनाव: “प्रवेश” का कारवां जारी.. जोगी के क़रीबी रहे शिव नारायण तिवारी.. समीर अहमद बाबला.. पंकज तिवारी कांग्रेस में शामिल…  अमित जोगी बोले – “भले दल में नही पर दिल में रहेंगे.. उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ”

Update: 2020-10-09 10:43 GMT

मरवाही,9 अक्टूबर 2020। मरवाही उप चुनाव में छजका समर्थकों और जोगी के क़रीबियों के कांग्रेस प्रवेश का सिलसिला जारी है। कांग्रेस के मंचों में वायदों के अतिरिक्त अगर कुछ अनिवार्य रुप से होता है तो वह “प्रवेश” होता है। हालाँकि इन “प्रवेश” के सिलसिले से अमित जोगी के चुनावी अभियान को कितना असर पड़ेगा और एन “क़त्ल की रात” ये प्रवेश क्या रंग दिखाएगा,मरवाही की मतगणना से ही स्पष्ट होगा।
यह भी है कि कांग्रेस के मंच पर जो प्रवेश कराए गए हैं वे शत प्रतिशत सही माने नहीं जा रहे हैं। मंच से क़ाफ़िले के निकल जाने के बाद कांग्रेसी साफ़ा गले में लटकाए लोगों से संवाद संकेत देता है कि प्रवेश के फेर में कुछ गड़बड़ी हो जा रही है। लेकिन मरवाही के भीतर तापमान इतना गर्म है कि इस “प्रवेश में कुछ गड़बड़ी” पर कोई ज़्यादा ध्यान नहीं दे रहा है।
“प्रवेश” का यह मामला आज भी मरवाही में दर्ज हुआ है। जोगी परिवार के करीबी शिव नारायण तिवारी, समीर अहमद बबली और पंकज तिवारी को कांग्रेस में “प्रवेश” दिलाया गया है। कोई दो मत नहीं है कि यह तीनों नाम जोगी के बेहद क़रीबियत की पहचान रखते है, ज़ाहिर है इसे खूब प्रचारित करने की कोशिश है।
अमित जोगी ने इस प्रवेश पर वही पुरानी प्रतिक्रिया दी है, जो मानों जुमला सा हो गया है कि जब भी छजका का कोई साथी जाए, अमित जोगी यह शब्द किसी संवेदना प्रकटीकरण की तर्ज़ पर चिपका देते हैं। अमित ने ट्विट किया है और लिखा है
“ आदरणीय शिव नारायण तिवारी मेरे बड़े पिताजी और समीर अहमद बबला जी और पंकज तिवारी मेरे भाई समान हैं।कठिन से कठिन समय में उन्होंने मेरे परिवार का साथ दिया था।।वे भले ही अब मेरे दल में नहीं हैं लेकिन मेरे दिल में सदैव रहेंगे। मैं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ ।”
जबकि स्व. अजीत जोगी ने छजकां के रुप में नई पार्टी का गठन किया,तब उनके गढ़ मरवाही में छजकां प्रवेश की आँधी चली थी, उस आँधी में भी अडिग अविचल जो लोग कांग्रेस के साथ खड़े रहे, वे इस “प्रवेश के हर्ष प्रदर्शन” से मंच के ठीक नीचे या कि मंच में रहते हुए क्या सोचते हैं, यह जानना कठिन नही है।
मरवाही ने 2001 का उप चुनाव देखा है, यही वह उप चुनाव था जबकि अजीत जोगी के राजनैतिक परिचय में पहली बार मरवाही विधायक जूड़ गया था। वह उप चुनाव जिन्हे याद होगा वे इस उप चुनाव को देखते हुए बहुत कुछ सोच रहे होंगे, जिसमें यह सोच भी होगी कि जिस उप चुनाव ने मरवाही से जोगी को जोड़ा था वैसा ही एक उप चुनाव क्या जोगी से रिश्ता तोड़ देगा।
ऐन चुनाव के दौर में “प्रवेश” कैसे और किन परिस्थितियों में होता है, राजनीति को सामान्य समझ रखने वाले को यह पता होता है। बहरहाल प्रवेश का सिलसिला जारी है, और “जीत की उम्मीद से” मौजुद कांग्रेस के लिए ऐसे प्रवेश कितने सार्थक होंगे इसके लिए दस नवंबर तक का इंतजार करना ही होगा।

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