जानिए कौन हैं ‘यस बैंक’ के संस्थापक राणा कपूर, जिन्होंने लोन के लिए हर किसी को कहा ‘यस’… ट्रेनी से शुरू कर हेड तक अमेरिका में की 16 साल तक नौकरी…

Update: 2020-03-07 13:01 GMT

रायपुर 7 मार्च 2020। एक समय भारत के बेहतरीन बैंकर्स में शुमार राणा कपूर का नाम इस वक्त देश भर में चर्चा का विषय बन गया है। वजह है यस बैंक, जिसे संकट से उबारने के लिए सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को जिम्मेदारी दी है। राणा कपूर ने इसी यस बैंक की स्थापना 2004 में की थी। हालांकि, 2018 तक उन्होंने बैंक को ऐसी हालत में छोड़ा कि बोर्ड सदस्यों ने उन्होंने सीईओ पद छोड़ने तक के लिए कह दिया। नकदी के संकट में घिरे यस बैंक के ग्राहकों को इस समय परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ईडी की टीम ने कपूर से उनके आवास पर पूछताछ भी की। राणा कपूर ने 2003 में यस बैंक की नींव रखी थी। 2019 में उनकी नेटवर्थ 3770 करोड़ डॉलर थी। हम आपको बता रहें हैं यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर से जुड़ीं कुछ अहम जानकारी।

राणा कपूर ने 1973 में दिल्ली के फ्रैंक एंथनी पब्लिक स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की। इसके बाद 1977 में उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। राणा ने सफल बैंकर बनने के इरादे से अमेरिका के न्यूजर्सी स्थित रुटगर्स यूनिवर्सिटी से 1980 में एमबीए की डिग्री ली। राणा कपूर की तीन बेटियां हैं। उनकी पत्नी का नाम बिंदू कपूर है। राणा बचपन से ही बिजनेसमैन बनना चाहते थे। वो अपने दादा से कहा करते थे कि बड़े होकर बिजनेस करूंगा। दादा को यह सुनकर बहुत खुशी होती थी क्योंकि उनका ज्वेलरी का बिजनेस था जिसे बेटों कोई रुचि नहीं होने की वजह से बेचना पड़ा।

वह पोते के रूप में उस बिजनेस को फिर से जिंदा होता देख रहे थे। राणा के पिता एयर इंडिया में 37 साल पायलट रहे और तीनों चाचा भी प्रोफेशनल थे। इसीलिए शुरुआत में राणा ने भी यही रास्ता अपनाया। राणा ने न्यू जर्सी की रटगर्स यूनिवर्सिटी से एमबीए किया।

1979 में एमबीए करने के दौरान ही राणा ने अमेरिका के सिटीबैंक में बतौर इंटर्न अपने करियर की शुरुआत की। वह आईटी डिपार्टमेंट में थे। बैंकिंग क्षेत्र की चमक-धमक देखकर यहीं से उनका रुझान बैंकिंग में बढ़ा। इस क्षेत्र में बतौर बिजनेसमैन कदम रखने से पहले वो इस क्षेत्र का अनुभव लेना चाहते थे।

एमबीए करने के बाद उन्होंने 1980 में बैंक ऑफ अमेरिका में नौकरी शुरू की। इस बैंक से वो 15 साल तक जुड़े रहे। यहीं से उन्होंने बैंकिग की बारीकियों को सीखा। 15 साल के करियर में वह बैंक में होलसेल बिजनेस के प्रमुख के पद तक पहुंचे।

सहकर्मियों के साथ बनाया बिजनेस प्लान

बैंक में काम करते समय ही राणा कुमार ने अपने पांच सहकर्मियों के साथ मिलकर नॉन-बैंकिंग फाइनेंस के बिजनेस का एक प्लान बनाया। इसे उन्होंने अमेरिकन इंश्योरेंस ग्रुप के सामने पेश किया। उनका यह आइडिया खारिज हो गया। 15 साल बैंक ऑफ अमेरिका में काम करने के बाद उन्होंने 1996 से 1998 तक एएनजेड ग्रिंडलेज इंवेस्टमेंट बैंक में काम किया।

1998 से उनका बिजनेसमैन बनने का सफर शुरू हुआ। नीदरलैंड के बैंक राबोबैंक के बिजनेस को भारत में स्थापित करने में राणा ने अहम भूमिका निभाई। इस तरह वो राबो बैंक की नॉन-बैकिंग फाइनेंस कंपनी के सीईओ बन गए। इसमें अपने दो पार्टनर्स अशोक कपूर और हरकित सिंह के साथ उनकी 25 फीसदी हिस्सेदारी थी।

2003 में पड़ी यस बैंक की नींव

राबो बैंक भारत में ज्यादा मशहूर नहीं हो पा रहा था लेकिन राबो बैंक की वजह से राणा को बैंकिंग सेक्टर में नई पेहचान मिली। 2003 में राणा और उनके साथियों ने राबो बैंक की अपनी हिस्सेदारी बेच दी। साथ में उन्हें रिजर्व बैंक से बैंकिंग का लाइसेंस भी मिल गया। इस तरह 200 करोड़ रुपये की पूंजी के साथ 2003 में यस बैंक की नींव पड़ी।

यस बैंक की पहली ब्रांच अगस्त 2004 में मुंबई में शुरू हुई। बैंक शुरू होने के बाद हरकित सिंह अलग हो गए और राणा के साथ अशोक कपूर ही बचे, जो उनके रिश्तेदार भी थे। अगले ही साल, 2005 में बैंक का आईपीओ भी आ गया और इससे उन्हें करीब 300 करोड़ रुपये मिले।

राणा कपूर के बारे में एक बात मशहूर थी कि जिसे किसी बैंक से लोन नहीं मिलता था उसे यस बैंक लोन देता था। 2008 से यस बैंक ने लोन देना शुरू कर दिया। वह लोन देने के लिए घर पर भी मीटिंग कर लिया करते थे। उनकी छवि ऐसी बन गई कि वे किसी को लोन देने में न नहीं कहते हैं।

जनवरी 2019 तक यस बैंक देश का पांचवां सबसे बड़ा प्राइवेट कर्जदाता बन गया। यस बैंक ने दीवान हाउसिंग, जेट एयरवेज, कॉक्स एंड किंग्स, कैफे कॉफी डे जैसी कई कंपनियों को लोन दिया, जिनकी छवि फाइनेंस के क्षेत्र में बिगड़ चुकी थी। जिन कंपनियों को लोन दिया, उनमें से कई डिफॉल्टर होने लगीं।

एनपीए लगातार बढ़ने के बाद 2017 में करीब 6,355 करोड़ रुपये के बैड लोन्स का खुलासा हुआ। आरबीआई ने 2018 में राणा के कार्यकाल में तीन महीने की कटौती कर दी। सितंबर 2018 में बैंक के शेयर 30 फीसदी तक गिर गए। बैंक की खराब हालत देखते हुए राणा को अपने शेयर बेचने पड़े। आरबीआई ने राणा के ऊपर कर्ज और बैलेंसशीट में गड़बड़ी के आरोप लगाए और उन्हें चेयरमैन के पद से हटा दिया। बैंक के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी चेयरमैन को इस तरह हटाया गया।

 

2008 में बैंक के तत्कालीन चेयरमैन और राणा के साथी अशोक कपूर की मुंबई आंतकी हमले में मौत हो गई। अशोक की 12 फीसदी हिस्सेदारी उनकी पत्नी मधु को मिल गई। 2013 में मधु ने राणा पर गंभीर आरोप लगाते हुए यस बैंक को कोर्ट में घसीट लिया।

मधु ने दावा किया कि कंपनी बोर्ड में डायरेक्टर नियुक्त करने में उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं दिया जा रहा है। दो साल चले केस में मधु की जीत हुई। मधु की बेटी ने राणा पर आरोप लगाते हुए कहा था कि राणा अंकल ने इसे आधुनिक महाभारत बना दिया। इस मामले की वजह से राणा और यस बैंक दोनों की छवि को काफी नुकसान हुआ।

राणा कपूर को 2005 में अर्न्सट एंड यंग कंपनी की तरफ से स्टार्टअप आंत्रप्रेन्योर ऑफ द ईयर के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। हालांकि, बैंक ने कई लोगों को जोखिम भरे लोन दिए थे। इसी के चलते बैंक पर एनपीए का काफी बोझ बढ़ गया था। सितंबर 2018 में बैंक के बोर्ड ने ऐलान किया कि उन्होंने राणा कपूर से जनवरी 2019 तक सीईओ पद छोड़ने के लिए कह दिया है।

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