Netanyahu Arrest Warrant: बेंजामिन नेतन्याहू और योआव गैलेंट के खिलाफ ICC ने जारी किया गिरफ्तारी वारंट, जानिए पूरा मामला

Netanyahu Arrest Warrant: अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ गाजा में युद्ध अपराधों के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।

Update: 2024-11-21 13:52 GMT

Netanyahu Arrest Warrant: अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ गाजा में युद्ध अपराधों के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इसके अलावा, हमास के नेता मोहम्मद दाइफ के खिलाफ भी ऐसा ही वारंट जारी किया गया है। 

ICC के अनुसार, नेतन्याहू और गैलेंट ने मानवता के विरुद्ध अपराध किए हैं। इनमें गाजा की नागरिक आबादी को भोजन, पानी, दवा, चिकित्सा, ईंधन और बिजली जैसी आवश्यक वस्तुओं से वंचित करना शामिल है।

कोर्ट का बयान

"नेतन्याहू और गैलेंट ने 8 अक्टूबर 2023 से 20 मई 2024 तक गाजा में युद्ध अपराध किए। यह मानने के पर्याप्त आधार हैं कि इन दोनों ने जानबूझकर गाजा की जनता को बुनियादी जरूरतों से वंचित किया।"

मोहम्मद दाइफ के खिलाफ आरोप

ICC ने हमास के नेता मोहम्मद दाइफ के खिलाफ 7 अक्टूबर 2023 से इजरायल और फिलिस्तीन के क्षेत्र में मानवता के खिलाफ अपराध और युद्ध अपराधों का वारंट जारी किया।

इन आरोपों में शामिल हैं

  • इजरायल पर रॉकेट हमला।
  • 7 अक्टूबर को हमास द्वारा किया गया हमला, जिसमें 1,000 से अधिक इजरायली नागरिक मारे गए।

इजरायल ने दावा किया था कि उसने जुलाई 2024 में मोहम्मद दाइफ को मार गिराया है, लेकिन इस दावे की पुष्टि नहीं हुई है।

पहली बार लोकतांत्रिक देश के नेता पर ICC वारंट

यह पहली बार है जब ICC ने किसी लोकतांत्रिक देश के नेताओं पर युद्ध अपराधों के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। यह कदम इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष को लेकर अंतरराष्ट्रीय कानून के संदर्भ में एक बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।

इजरायल की प्रतिक्रिया

इजरायल सरकार ने ICC के इस फैसले को राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है। उन्होंने इसे इजरायल की राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के प्रति पक्षपातपूर्ण बताया है। ICC का यह फैसला अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इजरायल-फिलिस्तीन विवाद और मानवाधिकारों के उल्लंघन की ओर आकर्षित करता है। यह घटना एक नई बहस को जन्म दे सकती है कि युद्ध के दौरान उठाए गए सुरक्षा उपाय और मानवाधिकारों के हनन के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए।

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