सिकरेट्री टीके पाण्डेय को कोरोना, मिनिस्ट्री में हड़कंप, बस्तर के नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में बेचने होने वाली अंतर मंत्रिमंडलीय समूह की बैठक टली

Update: 2020-06-10 06:31 GMT

एनपीजी नेशनल ब्यूरो
नई दिल्ली, जगदलपुर, 10 जून 2020। ब्यूरोक्रेसी से एक बड़ी खबर आ रही है। भारत सरकार के सिकरेट्री टीके पाण्डेय कोरोना पाॅजिटिव पाए गए हैं। पाण्डेय इंवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट विभाग के सिकरेट्री हैं। उन्हें कोरोना होने से फायनेंस मिनिस्ट्री में हड़कंप मच गया है। 48 घंटे के लिए आफिस बंद कर दिया गया है। पाण्डेय के संपर्क में आने वालों को भारत सरकार के गाइडलाइन के अनुसार एहतियात बरतने के लिए कहा गया है। सिकरेट्री को कोरोना होने के कारण जगदलपुर के नगरनार स्टील प्लांट के विनिवेशीकरण के लिए आज होने वाली अंतर मंत्रिमंडलीय समूह की बैठक स्थगित हो गई है।
पाण्डेय 1987 बैच के उड़ीसा कैडर के आईएएस हैं। एनडीए-2 में उन्हें इंवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट का सिकरेट्री बनाकर दिल्ली लाया गया। उनके दिल्ली आने के बाद एयर इंडिया का प्रायवेटाईजेशन की प्रक्रिया तेज हुई है।
उधर, नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में सौंपने के लिए आज दिल्ली के फायनेंस मिनिस्ट्री में ढाई बजे अंतर मंत्रिमंडलीय समूह की अहम बैठक होने वाली थी। इसमें नगरनार प्लांट के बारे में निर्णायक फैसला लिया जाता। मगर सिकरेट्री तुहीन कांत पाण्डेय को कोरोना पाए जाने के कारण बैठक आगामी समय तक के लिए बैठक स्थगित कर दी गई है।
दिल्ली के फायनेंस मंत्रालय के सूत्रों से पता चला है, इंवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट विभाग ने बैठक स्थगित करने की जानकारी सभी को भेज दी है। अफसरों ने कहा है कि जल्द ही बैठक की नई तारीख तय की जाएगी।
जगदलपुर के पास नगरनार में एनएमडीसी 22 हजार करोड़ की लागत से स्टील प्लांट स्थापित कर रहा है। इसका 95 फीसदी काम पूरा हो गया है। डेढ़ हजार से अधिक लोगों की नियुक्तियां भी हो गई है। इनमें आठ सौ से अधिक तो नगरनार के स्थानीय लोग हैं, जिनकी जमीन ली गई है।
जानकारों का कहना है, नगरनार भिलाई स्टील प्लांट से भी क्षमता में बड़ा है। प्लांट के प्रारंभ होने के बाद जगदलपुर के पास एक नया स्टील सिटी बन जाएगा। लेकिन, इसके चालू होने के पहले ही इस पर ग्रहण लगता जा रहा है। तमाम विरोधों के बाद भी भारत सरकार ने विनिवेशीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। नगरनार अगर बिक गया तो बालको के बाद छत्तीसगढ़ का दूसरा प्लांट होगा, जो प्रायवेट हाथों में चला जाएगा।

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