IAS विवेक ने ने एम्स के कोरोना केयर में बिताये 10 दिन के अनुभव किये शेयर…. लिखा- गजब व्यवस्था, ट्रामा सेंटर पहुंचते ही मरीज भूल जाता है आधा दुख तकलीफ…पढिये उन्होंने और क्या लिखा

Update: 2021-05-19 02:58 GMT

रायपुर 19 मई 2021। IAS विवेक देवांगन कोरोना से पूरी तरह स्वस्थ्य हो चुके हैं। भारत सरकार में ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त सचिव विवेक कोरोना पॉजेटिव होने के बाद 27 अप्रैल को दिल्ली एम्स में भर्ती कराये गये थे। 10 दिन के इलाज के बाद 6 मई को उन्हें एम्स से डिस्चार्ज कर दिया गया। अस्पताल में बिताये 10 दिन के अनुभव को IAS विवेक देवांगन ने NPG के साथ साझा किया है। विवेक देवांगन बताते हैं कि जिस तरह से 10 दिन अस्पताल में उनकी सेहत की देखभाल की गयी और एम्स में स्वास्थ्य की जिस तरह व्यवस्थाएं उन्होंने देखी, उसके बाद वो निसंकोच कह सकते हैं कि एम्स की हेल्थ फेसलिटी विश्वस्तरीय है।

त्रिपुरा कैडर के IAS विवेक ने वार्ड से लेकर प्राइवेट रूम तक में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें कहीं भी स्वास्थ्य व्यवस्था में कोई अंतर महसूस नहीं हुआ। पहले उन्हें TC 4 के बेड नंबर -1 में भर्ती कराया गया था, लेकिन उसके बाद उन्हें TC 5 के बेड नंबर 15 के शेयरिंग रूम में शिफ्ट किया गया। वो बताते हैं कि जैसी व्सवस्थाएं वार्ड में थी, वैसी ही व्यवस्थाएं उन्हें शेयरिंग रूम में भी मिली। वार्ड में उनके साथ 30 अन्य कोविड मरीज भर्ती थे, डाक्टर व पारा मेडिकल स्टाफ हर किसी से बराबर का व्यवहार करते दिखे, जो बताता है कि डाक्टरों के लिए हर मरीज उनकी प्रमुखता में है।

छत्तीसगढ़ के रहने वाले 1993 बैच के IAS विवेक बताते हैं कि एम्स में हमने देखा कि डाक्टर व पारा मेडिकल स्टाफ की ड्यूटी शिफ्ट 6-6 घंटे की होती है। ड्यूटी के दौरान सभी मेडिकल स्टाफ बिल्कुल ही पेशेवर तरीके से बिना किसी भेदभाव के काम करते हैं, जो विश्वस्तरीय चिकित्सीय सुविधा का अहसास कराती है। डाइटेशियन की निगरानी में मरीजों को खाना परोसा जाता है। खाने की क्वालिटी और फूड फैसलिटी बहुत ही शानदार है। अस्पताल में हर 2 घंटे पर बीपी की जांच, सुगर की टेस्टिंग के साथ-साथ जरूरत के मुताबिक ब्लड टेस्ट व चेस्ट सीटी टेस्ट भी होता रहता है।

केंद्र में एडिश्नल सिकरेट्री विवेक देवांगन के मुताबिक एम्स में मरीजों को रेमडेसिविर व डेक्सा भी जरूरत के मुताबिक उपलब्ध कराया जा रहा है। एम्स की व्यवस्थाओं की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि डाक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ का मरीजों के प्रति व्यववहार हमेशा सहयोगात्मक रहा। स्टाफ आपकी हर परेशानी को बेहद ही विनम्रता से समझता है, जबकि डाक्टर का एप्रोच हमेशा दोस्ताना होता है, जिसकी वजह से मरीज खुद को ना केवल अस्पताल में सुरक्षित महसूस करता है, बल्कि उसे ये भी अहसास होता है कि उसके आसपास सुरक्षा का कोई घेरा मौजूद है।

एम्स के ट्रामा सेंटर में आते ही डाक्टरों व मेडिकल स्टाफ की तरफ से इस तरह से मरीजों का ख्याल रखा जाता है कि मरीज का आधा दर्द व परेशानी तो अस्पताल आते ही खत्म हो जाती है। आईएएस कहते हैं कि एम्स में जिस तरह की स्वास्थ्य सुविधाएं हैं, इस मॉडल और व्यवस्थाओं को पूरे देश में लागू किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि देश की स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए वो हमेशा तैयार है। अगर देश की स्वास्थ्य व्यवस्था में बुनियादी स्तर पर सुधार के लिए किसी भी तरह की मदद की जरूरत होगी, मैं अपनी तरफ से हर सहयोग के लिए तैयार हैं।

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