Benefits of Garudasana: गरुड़ासन क्या है, जानिए इसके फायदे और आसन के दौरान ध्यान देने वाली बात...
Benefits of Garudasana: गरुड़ासन एक प्रकार का योगासन है। इस आसन का नाम पौराणिक कथाओं में वर्णित पक्षियों के राजा गरुड़ के नाम पर रखा गया है। गरुड़ासन की उत्पत्ति संस्कृत शब्द गरुड़ से हुई है। इसे अंग्रेजी में ईगल पोज के नाम से भी जाना जाता है। यह योगासन मुख्य रूप से कंधे, कलाई, बाजू और पैर वाले हिस्से पर असर डालता है। साथ ही यह आपके टखनों और कूल्हों को भी मजबूत करने का काम कर सकता है। जो इस आसन को करना चाहते हैं, उन्हें शरीर का संतुलन बनाए रखने की अधिक आवश्यकता होती है..
गरुड़ासन के फायदे
गरुड़ासन करने से कई तरह के फायदे हो सकते हैं। इसकी जानकारी होने के बाद आप भी इस आसन को करने के बारे में जरूर सोचेंगे। वहीं, अगर गरुड़ासन के वैज्ञानिक महत्व की बात करें, तो इस पर अधिक रिसर्च नहीं हुई, लेकिन इसके बावजूद गरुड़ासन के महत्व से इंकार नहीं किया जा सकता। इस आसन के फायदे कुछ इस प्रकार हो सकते हैं।
गरुड़ासन करते समय आपको एक ही पैर पर शरीर का संतुलन बनाना पड़ता है। इससे शरीर का संतुलन बनाने में मदद मिल सकती है। इस योग के शुरुआत में आपको संतुलन बनाने में कठिनाई हो सकती है। इसलिए, शुरुआत में इस आसन को योग विशेषज्ञ की निगरानी में ही करें
गरुड़ासन करते हैं, तब इसका ज्यादातर प्रभाव जांघ और हिप्स पर होता है। इस हिस्से में आपको खिंचाव महसूस हो सकता है। इसलिए, गरुड़ासन के अन्य लाभ में जांघ और हिप्स के स्ट्रेचिंग को भी शामिल किया जा सकता है।
अगर मांसपेशियां कमजोर होती जा रही हैं, तो व्यक्ति को मांसपेशियों से संबंधित समस्या हो सकती है। ऐसे में गरुड़ासन पर भरोसा किया जा सकता है। जैसा कि हमने ऊपर बताया कि यह एक स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज है, जो शरीर में खिंचाव पैदा करने का काम कर करती है। इस आसन का फायदा खासकर पैर, घुटने और टखनों को मजबूत करने में दिख सकता है। साथ ही यह आसन पैर की मांसपेशियों में ऐंठन को दूर कर उन्हें मजबूत करने का काम भी कर सकता है
गरुड़ासन से पहले करें ये काम
- • अधोमुख श्वानासन
- • प्रसारित पादोत्तासन
- • उपविष्टकोणासन
- • वृक्षासन
- • गोमुखासना
- • गरुड़ासन को करने से पहले खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करें।
- • अब किसी समतल मैदान का चुनाव करें और योग मैट बिछाएं।
- • फिर योग मैट पर ताड़ासन यानी सीधे खड़े हो जाएं। इस दौरान आप सामान्य रूप से सांस लेने की प्रक्रिया जारी रखें।
- • अगले स्टेप में आपको घुटनों को थोड़ा मोड़ना है और दोनों हाथों को सामने की ओर करना है।
- • अब पूरे शरीर का संतुलन दाएं पैर पर ले आएं और बाएं पैर को ऊपर उठाएं।
- • इसके बाद बाएं पैर को दाईं टांग के आगे से घूमाते हुए पीछे ले जाएं।
- • इस दौरान बाईं जंघा, दाईं जंघा के ऊपर रहेगी।
- • अब अगले स्टेप में आपको दोनों बाजुओं को कोहनी से मोड़ते हुए क्रास करना है। इस दौरान बाईं बाजू को दाईंं बाजू के ऊपर रखना है।
- • फिर आपको दोनों हथेलियों को नमस्कार मुद्रा में लाने का प्रयास करना है।
- • अब इस मुद्रा में जितनी देर हो सके खुद को बनाकर रखें।
- • फिर धीरे-धीरे अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
- • अब यही प्रक्रिया आपको दूसरी ओर से भी करनी है।
- • इस आसन के तीन से पांच चक्र किए जा सकते हैं।