पूर्व विधायक परेश ने सरकार से की न्यूनतम समर्थन मूल्य राज्यीय गारंटी अधिनियम बनाने की मांग, बोले…एमएसपी में सभी 24 कृषि उत्पादों को खरीदा जाए

Update: 2020-09-25 02:08 GMT

रायपुर, 24 सितंबर 2020। भाजपा नेता एवं वरिष्ठ पूर्व विधायक परेश बागबाहरा ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य ;एम.एस.पी.द्ध राज्यीय गारंटी अधिनियम बनाने की माॅंग की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी की स्वीकृृति वाले समस्त 24 कृषि उत्पादों को खरीदा जाये। राज्य सरकार इन्हें खरीदी करने में असफल सिद्ध हुई, जिसके कारण इन उत्पादों के कृषकों को अपना माल मंडियों में औने-पौने भाव में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है ।
उन्होंने इन 24 कृषि उत्पादों की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि इनमें से 14 कृषि उत्पाद खरीफ के है तथा 6 रबी के तथा अन्य व्यवसायिक उत्पाद है जिनमें प्रमुख रूप से धान सोसायटी से खरीदी, गेहूॅं, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी, चना, मॅूंगफली, सरसों, सूर्यमुखी, सोयाबीन, नाईगर बीज, गन्ना, अरहर, उड़द, कुसुम बीज, कपास, मसूर/मॅूंग, तोरिआ, तिल, जूट आदि है । परेश बागबाहरा ने समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पाद नहीं लिये जाने पर या समर्थन मूल्य से कम पर खरीदे जाने पर इस अधिनियम में दण्ड का प्रावधान किये जाने की माॅंग की है ताकि प्रदेश में कृषकों का शोषण रोका जा सके ।
उन्होंने अभी चल रहे संसद सत्र में, केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा पारित किए गए – कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य विधेयक ;फार्मर प्रोड्यूस ट्रेड एण्ड कामर्स बिल 2020द्ध, कृषक ;सशक्तिकरण व संरक्षणद्ध कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक ;प्राइस एसोरेन्स एण्ड फार्म सर्विसेस बिल 2020द्ध एवं आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक ;असेन्शियल कमोडिटी अमेंडमेेंट बिल 2020द्ध का स्वागत करते हुए इसे देश की आजादी के बाद कृषकों के जीवन में खुशहाली लाने वाले क्रांतिकारी कानून बताया । उन्होंने इस विधेयक के खिलाफ राज्य सरकार का अदालत ;न्यायपालिकाद्ध में जाने को हास्यास्पद बताया और आग्रह किया कि भारतीय संविधान से प्राप्त, राज्य सूचि के अंर्तगत प्रदत्त अधिकार अनुसार कृषि उत्पादन विपणन समिति ;ए.पी.एम.सी.द्ध एग्रीकल्चर प्रोडक्ट मार्केटिंग कमेटी कानून के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य राज्यीय गारंटी अधिनियम तुरंत बनाएं ।
उन्होंने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि वो धान का 2500/- रूपये प्रति क्विंटल देने से बचने के लिए इस विधेयक के बहाने कोर्ट में जा रही है जबकि केन्द्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य के अपने कानून में कोई भी परिवर्तन नहीं किया है । उन्होंने कोविड के इस महामारी में 15 क्विंटल के बदले 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान, 3000/- रूपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदने की माॅंग की ।

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