Tulsi Vivah 2022: जानिए कितने बजे है शुभ मुहूर्त और सही पूजा विधि व महत्व...

Update: 2022-11-04 00:30 GMT

Tulsi Vivah 

NPG डेस्क I  तुलसी विवाह हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है. देवउठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है. इसके बाद से शुभ विवाह के मुहूर्त प्राप्त होने लगते हैं क्योंकि देवउठनी एकादशी से चातुर्मास का समापन हो जाता है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह होता है. इस दिन व्रत रखने और तुलसी का भगवान शालीग्राम के साथ विवाह कराने का विधान है आइए जानते हैं तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में...

तुलसी विवाह 2022 शुभ मुहूर्त

तुलसी विवाह तिथि- 05 नवंबर, 2022 शनिवार

एकादशी तिथि आरंभ- 04 नवंबर को शाम 6 बजकर 08 मिनट पर

एकादशी तिथि समाप्त- 05 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 06 मिनट पर

तुलसी विवाह पूजा विधि

तुलसी विवाह पूजा विधि के अनुसार, इस पूजन में शामिल होने वाले लोगों को स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिए. हालांकि इस दिन पूजा के दौरान काले वस्त्र ना पहनें.

तुलसी विवाह कराने वालों को इस दिन व्रत रखना होता है. ऐस में संभव हो तो इसका पालन करें.

इस दिन शुभ मुहूर्त में तुलसी के पौधे को आंगन में पटले पर रखें. आप चाहे तो छत या मंदिर में भी तुलसी विवाह संपन्न करा सकते हैं.

तुलसी के गमले की मिट्टी में ही एक गन्ना लगाएं और उस पर लाल चुनरी से मंडप सजाएं.

तुलसी के गमले में शालिग्राम पत्थर भी रखें.

तुलसी और शालिग्राम की हल्दी करें. इसके लिए दूध में हल्दी भिगोकर लगाएं.

गन्ने के मंडप पर भी हल्दी का लेप लगाएं.

इसके बाद पूजन करते हुए इस मौसम में आने वाले फल जैसे- आवंला, सेब आदि चढ़ाएं.

पूजा की थाली में ढेर सारा कपूर रखकर जलाएं. इससे तुलसी और शालिग्राम की आरती उतारें.

आरती करने के बाद तुलसी की 11 बार परिक्रमा करें और प्रसाद बांटे.

तुलसी विवाह के बाद नीचे दिए मंत्र से भगवान विष्णु को जगाएं.

भगवान विष्णु को जगाने का मंत्र

उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये

त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌

उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव

गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः

शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव

तुलसी विवाह का महत्व

इस साल देवशयनी एकादशी 04 नवंबर को है. इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से बाहर आएंगे. उनका पूजन होगा. फिर अगले दिन उनके शालीग्राम स्वरूप का तुलसी से विवाह कराते हैं. तुलसी विवाह से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. उनकी कृपा से धन, वैभव, सुख आदि में वृद्धि होती है. वे अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. धार्मि​​क मान्यताओं के अनुसार, तुलसी विवाह कराने से व्यक्ति को एक हजार अश्वमेध यज्ञ कराने के समान फल प्राप्त होता है.

Tags:    

Similar News