Some special dates in Pitru Paksha 2024 : पूर्वजों के देहावसान की तिथि मालूम नहीं... तो फिर कैसे होगा तर्पण, यहाँ जानें

Some special dates in Pitru Paksha: इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर दिन मंगलवार से होने जा रही है. इन 15 दिनों में कई ऐसी शुभ तिथियां हैं जिनमें श्राद्ध अवश्य करने चाहिए.

Update: 2024-09-13 11:29 GMT

Some special dates in Pitru Paksha :  यदि आपको अपने पूर्वजों के देहावसान की तिथि मालूम नही हैं तो, इस समस्या के समधान के लिए पितृपक्ष में कुछ विशेष तिथियां भी नियत की गई हैं जिस दिन श्राद्ध करने से हमारे समस्त पितृजनों की आत्मा को शांति मिलती है।  

साल में 15 दिन ऐसे होते हैं जो हमारे पूर्वजों को समर्पित रहते हैं, जिन्हें हम पितृ भी कहते हैं. इन 15 दिन के दौरान लोग अपने-अपने मृत पूर्वजों का तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान इत्यादि करते हैं. इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस 15 दिन को पितृपक्ष भी कहते हैं. इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर दिन मंगलवार से होने जा रही है. इन 15 दिनों में कई ऐसी शुभ तिथियां हैं जिनमें श्राद्ध अवश्य करने चाहिए. 


यह तिथियां हैं-

1. 17 तारीख, पूर्णिमा श्राद्ध:

यह तिथि नाना-नानी के श्राद्ध के लिए उत्तम मानी गई है। यदि नाना-नानी के परिवार में कोई श्राद्ध करने वाला न हो और उनकी मृत्युतिथि भी ज्ञात न हो तो इस तिथि को श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। इससे घर में सुऽ-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

2. 22 तारीख, पंचमी श्राद्ध:

इस तिथि पर उन परिजनों का श्राद्ध करने का महत्व है जिनकी मृत्यु अविवाहित स्थिति में हुई हो। इसे कुंवारा पंचमी भी कहते हैं।

3. 25 तारीख, नवमी श्राद्ध:

यह तिथि माता के श्राद्ध के लिए उत्तम मानी गई है। इसलिए इसे मातृनवमी कहते हैं। इस तिथि पर श्राद्ध करने से कुल की सभी दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध हो जाता है।

4. 27 और 28 , एकादशी व , द्वादशी श्राद्ध:

इस तिथि को परिवार के उन लोगों का श्राद्ध किए जाने का विधान है जिन्होंने संन्यास लिया हो।

5. 30 त्रयोदशी एवं 1 अक्टूबर चतुर्दशी श्राद्ध:

यह तिथि उन परिजनों के श्राद्ध के लिए उपयुत्त है जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो जैसे- दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या, शस्त्र के द्वारा आदि।

6. 2 अक्टूबर सर्वपितृमोक्ष अमावस्या:

किसी कारण से पितृपक्ष की सभी तिथियों पर पितरों का श्राद्ध चूक जाएं या पितरों की तिथि याद न हो तब इस तिथि पर सभी पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं। इस दिन श्राद्ध करने से कुल के सभी पितरों का श्राद्ध हो जाता है।




भरणी श्राद्ध 21 को

ज्योतिषचार्य दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार विष्णु धर्मोत्तर पुराण तथा वराह पुराण मे सुर्य के कन्या राशी में प्रवेश करने को ही पितृ पक्ष की संज्ञा दी है | 21 सितम्बर को भरणी नक्षत्र है और चतुर्थी तिथि हैl कूर्म पुराण तथा अग्नि पुराण में वर्णित है कि भरणी और रोहिणी जैसे सम नक्षत्रों में पितृओं को दिया गया तर्पण," गया" में दिये गये तर्पण के तुल्य होता है | वायु पुराण तथा श्राद्ध प्रकाश मे वर्णित है कि भरणी श्राद्ध के दिन दिया गया तर्पण मनुष्य की शारीरिक,मानसिक,पारीवारिक एवँ आर्थिक समस्याओं से मुक्ति दिलाता है l इस दिन पितृओं को दिया गया तर्पॅण जीवन मे काल सर्प दोष जैसी समस्याओं से मुक्ति दिलाएगा l इस दिन नाग बली नारायण बली की क्रिया करवाना भी उत्तम रहेगा l

21 तारीख को अपरान्ह काल में काँसे के पात्र मे जल लेकर वसु, रुद्र और आदित्य रूपी अपने पितरों को काली तिल,जौ,उडद,चावल एवँ कुशा से दक्षिण दिशा की ओर मुख कर के तर्पण देंl

हमारे पितर हैं, सन्देशवाहक शास्त्रों में लिखा है,ॐ अर्यमा न तृप्यताम इदं तिलोदकं तस्मै स्वधा नमः।ॐ मृत्योर्मा अमृतं गमय। पितरों में अर्यमा श्रेष्ठ है।अर्थात, अर्यमा पितरों के देव हैं। अर्यमा को प्रणाम। हे! पिता, पितामह, और प्रपितामह। हे! माता, मातामह और प्रमातामह आपको भी बारम्बार प्रणाम। आप हमें मृत्यु से अमृत की ओर ले चलें।

इसका सीधा अर्थ यह है कि हम वर्ष भ्रर देवों को समर्पित विभिन्न पर्वों का आयोजन करते हैं, और हम से कुछ अनुभव भी करते हैं कि हमारी प्रार्थना देवों तक नही पहुँच रही है| हमारे पूर्वज देवों और हमारे मध्य सेतु का कार्य करते हैं,और हम जब पितरों को इन पंद्रह दिनों में तृप्त कर देते हैं तो देवों तक हमारी प्रार्थना बडी आसानी से पहुँच जाती है|


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