शारदीय नवरात्रि 2025 : घट स्थापना प्रात: 11.36 से 12.24 बजे तक, जानें नवरात्र में क्या करें क्या न करें... हर उम्र की कन्या पूजन का अलग महत्व

Sharadiya Navratri 2025 :

Update: 2025-09-21 14:37 GMT

Sharadiya Navratri 2025  : आज से शारदीय नवरात्रि प्रारम्भ हो रहा है. घट स्थापना हेतु सर्वश्रेष्ठ अभिजीत मुहूर्त प्रात : 11.36 से 12.24 बजे तक है. आज से माँ के भक्त नौ के बजाय दस दिनों तक माँ की आराधना करेंगे.

आइये इस शारदीय नवरात्र जानें नवरात्र में क्या करें और क्या न करें. और अलग-अलग उम्र की कन्या के पूजन से होने वाले लाभ के बारे में. 


जानें नवरात्र में क्या करें


(1) गृह में ज्योति प्रज्वलित कर सकते हैं मगर ध्यान रहे 9 दिनों तक कोई न कोई को ज्योति देखते रहना हैऔर पूजा करना है।

(2) दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें कम से कम एक माला जपे 108 बार बीज मंत्र -ॐ ह्री हुँ:दुर्गायै नमः से जाप करें पूर्वाभिमुख होकर ।

(3) पांडाल के दुर्गा प्रतिमा में निरंतर 9 दिनों तक प्रातः काल व सायंकाल आरती पूजा करें ।

(4) घर मे ज्योति दर्शन या पांडाल में माँ दुर्गा के दर्शन करने जाए तो पहले अपने पांव धो ले तभी जाये।

(5)  नवरात्र में अपनी माँ और अपनी माँ के उम्र की महिलाओं से आशीर्वाद प्राप्त करें।

(6) नव रात्रि जागरण करें, ब्रम्हचर्य का पालन करें ।

(7) माँ की सेवा पूर्ण निःस्वार्थ भाव से अपनी माँ की तरह ख्याल रखते हुए नव दिनों तक सुंदर सेवा करे ।




 नवरात्र में क्या ना करें-👉


(1) नव दिनों तक नाखून दाढ़ी मूँछ और सिर के बाल ना बनवाये।

(2) व्रत (उपवास) रखने वाले को चमड़े से निर्मित बेल्ट, जूता, बैग, पर्स इत्यादि का इस्तेमाल नही करना चाहिये ।

(3) व्रत रखने वाले को नव दिनों तक नींबू नही काटना चाहिये साथ ही लहसून ,प्याजऔर मांस को त्याग देना चाहिये ।

(4) माँ की पूजा करते समय साधक की ध्यान सिर्फ माँ पर होनी चाहिये और माला जाप करते समय हाथ पैर नही हिलाना चाहिए बिल्कुल शांत भाव से पूजन करें ।

(5) गलत लोगों की संगति न करें, माताओ बहनों का अपमान न करें ।

नव कन्या कुमारी पूजन




(1) आयु -दो वर्ष, नाम -कुमारी ,फल-दुःख दारिद्रता दूर ।

(2) आयु-तीन वर्ष, नाम-त्रिमूर्ति,फल-धर्म ,अर्थ, काम की प्राप्ति।

(3) आयु-चार वर्ष,नाम-कल्याणी, फल-विजय व ऐश्वर्य की प्राप्ति।

(4) आयु-पांच वर्ष,नाम-रोहणी, फल-रोग नाश।

(5) आयु-छ:वर्ष, नाम-कालिका, फल-शत्रु नाश।

(6) आयु-सात वर्ष, नाम-चंडिका, फल-ऐश्वर्य की प्राप्ति।

(7) आयु-आठ वर्ष, नाम-शाम्भवी, फल-दरिद्रता, दुःख निवारक।

(8) आयु-नव वर्ष, नाम-दुर्गा, फल-शत्रु नाश, मोक्ष प्राप्ति और कार्यसिद्धि।

(9) आयु-दस वर्ष, नाम-सुभद्रा, फल-मनोकामना पूर्ति।

लाभ:-👉

  • ब्राम्हण कन्या की पूजा से- सर्व कार्यों में सफलता,
  • क्षत्रिय कन्या की पूजा से -विजय प्राप्ति,
  • वैश्य कन्या की पूजा से-धनधान्य व यश की प्राप्ति,
  • शूद्र कन्या की पूजा से -अभिचार सिद्धि ।

फल:-👉 कुँवारी पूजन से मनुष्य सम्मान, लक्ष्मी, पृथ्वी, सरस्वती और महान तेज मिलता हैं ।


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