Sharad Purnima : शरद पूर्णिमा पर क्यों बनाई जाती है खीर, जानिए इस दिन होने वाला लाभ

Sharad Purnima शरद पूर्णिमा की रात को आकाश से अमृत वर्षा होती है। इसलिए शरद पूर्णिमा पर रात में खुले आसमान के नीचे खीर रखने का विशेष महत्व है। आपको शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त बताते हैं।

Update: 2023-10-27 05:00 GMT

Sharad Purnima 2023शरद पूर्णिमा कब है? :  शरद पूर्णिमा का विशेष पर्व अश्विन महीने के आखिरी दिनमनाया जाता है।  शरद पूर्णिमा का बहुत महत्व है। शास्त्रों में अश्विन माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को रास पूर्णिमा और कोजागरी पूर्णिमा बताया गया है। शास्त्रों में ये भी बखान है कि इस पूर्णिमा को इसलिए इन नामों से बुलाया जाता है क्योंकि इस दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग महारास रचाया था। शरद पूर्णिमा के बारे में कहा जाता है कि इस पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा नजदीक होता है। साथ ही ये भी कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को आकाश से अमृत वर्षा होती है। इसलिए शरद पूर्णिमा पर रात में खुले आसमान के नीचे खीर रखने का विशेष महत्व है। चलिए आपको शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त बताते हैं। इस दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है।

शरद पूर्णिमा पर क्या है विधान

ऐसा बताया जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा धरती के बहुत ज्यादा पास होता है। साथ ही शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन रात के समय मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करते हुए अपने भक्तों की दुख-तकलीफें दूर करती हैं। ये दिन सुख-समृद्धि के मायने से भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन रात के समय खुले आसमान के नीचे खीर रखने का विधान है। यहां जाने खीर रखने का क्या महत्व है।

शरद पूर्णिमा पर खीर खाने का लाभ

शास्त्रों में बताया गया है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूरा होकर पृथ्वी पर अमृत वर्षा करता है। वहीं श्रीमद्भागवत महापुराण के मुताबिक, चंद्रमा को औषधि का देवता माना जाता है। ऐसे में इस दिन चंद्रमा की रोशनी को जरूर ग्रहण करना चाहिए। इस दिन स्वास्थ्य के लिए चंद्रमा की रोशनी बहुत शुभकारी होती है।

इसलिए शरद पूर्णिमा की रात खुले आसमान के नीचे थोड़ी देर समय जरूर बिताना चाहिए। साथ ही शरद पूर्णिमा की रात खुले आसमान के नीचे चावल और दूध से बनी खीर हल्की महीन कपड़े से ढक्कर रखी जाती हैं। इस तरह से रखा जाता है जिससे खीर पर चंद्रमा की किरणें पड़ सके। फिर ये खीर खाने से औषधीय गुण प्राप्त होते हैं और रोगों से मुक्ति मिल जाती है।

ये भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर चांदी के बर्तन में खीर रखे, इसके बाद उसका सेवन करने से लोगों की रोगप्रतिरोधक क्षमता दोगुनी हो जाती हैं। साथ ही सभी रोगों का नाश हो जाता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण देखें तो चांदी के बर्तन में खाने से प्रतिरोधक क्षमता अधिक हो जाती है। साथ ही विषाणु दूर रहते हैं। ऐसे में इस दिन चांदी के बर्तन में खीर रखने के बाद खाने से खीर अमृत समान हो जाती है।

शरद पूर्णिणा की रात को 10-12 बजे के बीच चंद्रमा अधिक प्रभावशाली रहता है। इसलिए इस दौरान चंद्रमा का दर्शन जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से आंखों की बीमारियां, सांस की बीमारियों समेत कई बीमारियों से मुक्ति मिल जाती है।

इस दिन खीर को कांच या मिट्टी के बर्तन में ही रखें। इस दिन व्रत करें र मन को शांत रखें, किसी के लिए भी द्वेष की भावना अपने मन में ना लाएं। इस दिन खीर का भोग भगवान श्री कष्ण को जरुर लगाएं। इस दिन चंद्र देव की पूजा करने का विधान है. साथ ही इस मंत्र का जाप भी जरुर करें, 'ऊं सोम सोमाय' नम: मंत्र का जाप जरुर करें।

शरद पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है. साथ ही शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी, चंद्रमा और श्री कृष्ण जी की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. शरद पूर्णिमा के दिन व्रत रखने का विधान है. माना जाता है कि अगर आप शरीर को व्रत के दिन खाली रखते हैं तो बेहतर तरीके से अमृत की प्राप्ति हो पाएंगी.

शरद पूर्णिमा 2023 शुभ मुहूर्त

शरद पूर्णिमा का पर्व 28 अक्टूबर, 2023 शनिवार के दिन मनाया जाएगा. ऐसा माना जाता है शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है. इस दिन का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन आकाश से अमृत की वर्षा होती है. इसीलिए शरद पूर्णिमा के दिन लोग खीर जरुर बनाते हैं. इस दिन खीर बनाकर रात को खुले आकाश के नीचे रखी जाती है और अगले दिन उसका सेवन किया जाता है. इसीलिए शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी में रखी गई खीर का बहुत महत्व बताया गया है।

  • 28 अक्टूबर 2023 को सुबह 04.17 मिनट से पूर्णिमा तिथि शुरू होगी.
  • 29 अक्टूबर 2023 को सुबह 01.53 मिनट पर पूर्णिमा तिथि का समाप्त होगी.
  • 28 अक्टूबर शाम 5.47 मिनट पर चंद्रोदय
  • ब्रह्म मुहूर्त- 04:40 AM से 05:29 AM।
  • अभिजित मुहूर्त- 11:45 AM से 12:31 PM।
  • विजय मुहूर्त- 02:05 PM से 02:51 PM।
  • गोधूलि मुहूर्त- 05:46 PM से 06:10 PM।
  • अमृत काल- 11:42 AM से 01:15 PM।





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