Sharad Purnima 2024: 16 अक्टूबर को आसमान से बरसेगा अमृत, जानें क्यों मनाई जाती है शरद पूर्णिमा ?

सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का बहुत महत्व है। इस साल शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन लोग खीर को चांद की रोशनी के नीचे रखते हैं और अगले दिन प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। आज हम आपको बताएंगे इसकी वजह साथ ही शरद पूर्णिमा का महत्व..

Update: 2024-10-14 08:57 GMT

रायपुर, एनपीजी न्यूज। सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का बहुत महत्व है। इस साल शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन लोग खीर को चांद की रोशनी के नीचे रखते हैं और अगले दिन प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। आज हम आपको बताएंगे इसकी वजह साथ ही शरद पूर्णिमा का महत्व..

हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। इस साल शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को है। हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 16 अक्टूबर को रात 8 बजकर 40 मिनट पर होगा। वहीं इसका समापन 17 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 55 मिनट पर होगा। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय शाम 5 बजकर 7 मिनट का रहेगा। ऐसे में आप इस दौरान चंद्रमा को अर्घ्य दे सकते हैं।


सभी पूर्णिमा में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है शरद पूर्णिमा को

शरद पूर्णिमा को सभी पूर्णिमा में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है। इस दिन लोग मां लक्ष्मी, चंद्रदेव और भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण ने गोपियों के संग रास रचाया था। शरद पूर्णिमा शरद ऋतु के आने का भी संकेत है। वहीं ये भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करने के लिए आती हैं, इसलिए इसे कोजागर पूर्णिमा भी कहते हैं।

शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी में रखी जाती है खीर

मान्यताओं के मुताबिक, शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव अपनी किरणों से अमृत की वर्षा करते हैं। इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं के साथ चमकता है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चांद की रोशनी के नीचे खड़े रहने से शरीर को फायदा पहुंचता है, साथ ही मन में भी पॉजिटिव विचार आते हैं और नकारात्मकता दूर होती है।

चंद्र किरणों से खीर में आ जाते हैं अमृत जैसे औषधीय गुण

यही वजह है कि शरद पूर्णिमा की रात को लोग खीर बनाकर और उसे जालीदार कपड़े या छन्नी से ढंककर रात में खुले आसमान के नीचे चांद की रोशनी में रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा की किरणों से खीर में अमृत जैसे औषधीय गुण आ जाते हैं। अगली सुबह ब्रह्म मुहूर्त में श्री विष्णु को उस खीर का भोग लगाकर प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है।

रावण भी नाभी पर चंद्र किरणों को करता था ग्रहण

कहा जाता है कि लंकापति रावण भी शरद पूर्णिमा की रात चंद्र किरणों को दर्पण के जरिए अपनी नाभि पर ग्रहण करता था।

स्नान-दान और लक्ष्मी पूजा का समय

शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 42 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। वहीं स्नान-दान का समय सुबह 4 बजकर 42 मिनट से लेकर सुबह 5 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। हालांकि राहुकाल और भद्राकाल को छोड़कर किसी भी शुभ मुहूर्त में दान किया जा सकता है।

पूजा के वक्त शरद पूर्णिमा पर इन मंत्रों का करें जाप

  • ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्रय नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ।।
  • श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम:।।
  • श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।
  • ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।।
  • कुबेर की पूजा करते वक्त इस मंत्र का जाप करें
  • ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये धन धान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।।
Tags:    

Similar News