Shani Sade Sati Aur Mahadasha kya hoti hai: शनि की साढ़ेसाती और महादशा में क्या है फर्क; जानिए क्या प्रभाव झेलने पड़ते है?
Shani Sade Sati Aur Mahadasha kya hoti hai: जब भी किसी व्यक्ति के जीवन में अचानक मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ता है तो अक्सर लोग कहते है कि तुम्हारे ऊपर शनि की साढ़े साती आ गई है! जिससे लोग काफी चिंतित हो जाते है और तरह तरह के बाबाओं से इसके बारे में उपचार करवाने लगते है। लेकिन यहीं पर एक बड़ी गलतफहमी पैदा हो जाती है। ज्यादातर लोग शनि की साढ़ेसाती और शनि की महादशा दोनों को एक ही चीज समझ लेते हैं जबकि हकीकत में ये दोनों बिल्कुल अलग-अलग होती हैं। इस लेख के माध्यम से समझेंगे कि कैसे ये दोनों हमारे जीवन पर अलग–अलग प्रभाव डालती है।
Shani Sade Sati Aur Mahadasha kya hoti hai: जब भी किसी व्यक्ति के जीवन में अचानक मुश्किलों का पहाड़ टूट पड़ता है तो अक्सर लोग कहते है कि तुम्हारे ऊपर शनि की साढ़े साती आ गई है! जिससे लोग काफी चिंतित हो जाते है और तरह तरह के बाबाओं से इसके बारे में उपचार करवाने लगते है। लेकिन यहीं पर एक बड़ी गलतफहमी पैदा हो जाती है। ज्यादातर लोग शनि की साढ़ेसाती और शनि की महादशा दोनों को एक ही चीज समझ लेते हैं जबकि हकीकत में ये दोनों बिल्कुल अलग-अलग होती हैं। इस लेख के माध्यम से समझेंगे कि कैसे ये दोनों हमारे जीवन पर अलग–अलग प्रभाव डालती है।
जानिए शनि देव का स्वरूप कैसा है?
सबसे पहले शनि देव की प्रकृति को समझना बहुत जरुरी है। बहुत से लोग शनि को केवल एक क्रूर और कष्ट देने वाला ग्रह मानते हैं, लेकिन यह बात पूरी तरह से गलत है। वास्तव में शनि देव को न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है। वे किसी के साथ पक्षपात नहीं करते बल्कि हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार ही फल प्रदान करते हैं। इसीलिए जब भी शनि का प्रभाव किसी की कुंडली में आता है तो जीवन में बदलाव अवश्य आते हैं।
शनि की साढ़ेसाती क्या होती है
साढ़ेसाती शब्द का शाब्दिक अर्थ है साढ़े सात, जो लगभग साढ़े सात वर्षों की उस अवधि को दर्शाता है जब शनि ग्रह आपकी चंद्र राशि के आसपास गोचर करता है। आइए इसे सरल भाषा में समझते हैं, जब शनि आपकी जन्म राशि से ठीक पहले वाली राशि में प्रवेश करता है तब साढ़ेसाती की शुरुआत होती है। फिर शनि आपकी जन्म राशि में आता है, और उसके बाद आपकी राशि से अगली राशि में जाता है।
शनि को एक राशि से दूसरे राशि में जाने पर लगभग ढाई साल का समय लगता है इसलिए तीन राशियों में कुल मिलाकर साढ़े सात साल का समय लग जाता है।
साढ़ेसाती के पहले चरण में अचानक खर्चे बढ़ सकते हैं और मानसिक तनाव का अनुभव हो सकता है। दूसरे चरण में यह सबसे प्रभावशाली चरण माना जाता है। इस चरण में जिम्मेदारियां बढ़ती हैं, सहनशक्ति और कई बार शारीरिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है। तीसरे चरण को उतरती साढ़ेसाती कहते है। इसमें जिन लोगों ने पहले दो चरणों में धैर्य और ईमानदारी से काम किया है, उन्हें राहत मिलने लगती है साथ ही आर्थिक स्थिति और पारिवारिक विवाद भी सुलझने लगते हैं।
शनि की महादशा क्या होती है
अब बात करते हैं शनि की महादशा की, जो साढ़ेसाती से बिल्कुल अलग होती है। इस प्रणाली के अनुसार हर ग्रह की एक निश्चित अवधि होती है जिसमें वह ग्रह व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव डालता है। शनि की महादशा 19 वर्षों तक चलती है जो सभी ग्रहों की महादशाओं में सबसे लंबी अवधियों में से एक है।
शनि की महादशा इस बात पर निर्भर करती है कि आपके जन्म के समय चंद्रमा किस नक्षत्र में था और उस नक्षत्र का स्वामी कौन सा ग्रह था। इसी के आधार पर आपकी महादशाओं का क्रम निर्धारित होता है। शनि महादशा के दौरान शनि आपकी कुंडली का सबसे प्रमुख ग्रह बन जाता है और जीवन के लगभग हर पहलू को प्रभावित करता है, जैसे करियर, धन या स्वास्थ्य आदि। शनि की साढ़ेसाती जीवन में दो से तीन बार आती है जबकि महादशा जीवन में एक ही बार आती है।
क्या साढ़ेसाती और महादशा दोनों एक साथ आ सकती हैं
अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि क्या यह दोनों एक साथ आ सकती हैं? तो बिल्कुल ऐसा हो सकता है। ऐसी स्थिति में शनि का प्रभाव और भी गहरा हो जाता है। इन दोनों के समान प्रभाव व्यक्ति को महसूस होते रहते हैं। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि अच्छा है और उसकी महादशा भी चल रही हो तो इसको लेकर शनि काफी राहत दे सकता है लेकिन साढ़ेसाती साथ में चलते रहने की वजह से आपको कष्ट भी झेलने पड़ सकते हैं। शनि के इन प्रभावों का उद्देश्य हमें कष्ट देना नहीं होता बल्कि हमें मजबूत बनना होता है।