Shami Puja on Dussehra: दशहरे पर शमी के पेड़ की करें पूजा, घर में हमेशा रहेगा लक्ष्मी का वास, शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से भी मिलेगी राहत

दशहरे के दिन शमी के वृक्ष की पूजा का बहुत महत्व है। इसकी पूजा से आपको कई चमत्कारिक लाभ मिलेंगे, जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे।

Update: 2024-10-12 06:17 GMT

रायपुर, एनपीजी न्यूज। आज यानि 12 अक्टूबर को दशहरा का त्योहार मनाया जा रहा है। आज के दिन जहां मां दुर्गा ने दैत्य महिषासुर का वध कर संसार के उसके आतंक से मुक्ति दिलाई, तो वहीं भगवान श्रीराम ने भी रावण का वध कर बुराई का अंत कर दिया। आज के दिन को विजयादशमी भी कहते हैं।

दशहरा पर जरूर करें शमी के वृक्ष की पूजा

दशहरा के दिन शमी के वृक्ष की पूजा का बेहद महत्व है। माना जाता है कि शमी की पूजा करने से घर में सालभर लक्ष्मी का वास होता है। शमी की पूजा से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। शमी के वृक्ष की पत्तियों को मां महालक्ष्मी को अर्पित किया जाता है। भगवान भोलेनाथ पर भी इसे चढ़ाया जाता है। इससे आपके घर में अगर कोई नकारात्मकता है, तो वो दूर होती है और माता लक्ष्मी की कृपा आपको प्राप्त होती है। लोग रावण दहन के बाद एक-दूसरे को शमी के पत्ते भी बांटते हैं।

शमी के पेड़ की पूजा से जुड़ी कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि वर्तन्तु के शिष्य कौत्स थे। महर्षि वर्तन्तु ने कौत्स को शिक्षा दी। जब गुरू दक्षिणा देने की बारी आई, तो महर्षि ने कौत्स से 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राएं मांग लीं। कौत्स के पास इतनी स्वर्ण मुद्राएं नहीं थीं, इसलिए वे महाराज रघु के पास गए और उनसे कहा कि गुरु दक्षिणा के रूप में उन्हें अपने गुरू महर्षि वर्तन्तु को 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राएं देनी हैं। लेकिन दिक्कत ये थी कि महाराज रघु के खजाने में भी इतनी स्वर्ण मुद्राएं नहीं थीं, उनका खजाना खाली था। इस पर उन्होंने कौत्स से 3 दिन का समय मांगा।

कुबेर ने शमी की पत्तियों को बदल दिया स्वर्ण में

राजा रघु ने भगवान कुबेर से भी मदद मांगी, लेकिन उन्हें स्वर्ण मुद्राएं नहीं मिलीं। तब राजा रघु ने स्वर्ग लोक पर आक्रमण करने के बारे में सोचा, जिससे देवराज इंद्र घबरा गए और कुबेर को स्वर्ण मुद्राएं देने को कहा। इंद्र के आदेश पर कुबेर ने राजा के यहां मौजूद शमी वृक्ष के पत्तों को स्वर्ण में बदल दिया। कहते हैं कि यह घटना विजयादशमी के दिन हुई थी, बस तभी से दशहरे पर शमी के वृक्ष की पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। इसलिए विजयादशमी पर जो भी शमी के वृक्ष की पूजा करता है, उसके घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती।

पांडवों ने शमी के पेड़ में छिपाए थे अपने अस्त्र-शस्त्र

दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में अर्जुन ने भी शमी के वृक्ष की पूजा की थी। इसके बाद वे तप करने चले गए थे और महाभारत युद्ध में विजय पाई थी। इसके अलावा पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान अपने अस्त्र भी शमी के पेड़ पर ही छिपाकर रखे थे।

श्रीराम ने भी की थी शमी के वृक्ष की पूजा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने भी त्रेता युग में शमी के वृक्ष की पूजा की थी। तब से इसकी पूजा का विधान चला आ रहा है।

इस तरह से करें शमी के वृक्ष की पूजा

  • शमी के पेड़ पर जल चढ़ाएं।
  • उस पर चंदन और अक्षत लगाएं।
  • फूल चढ़ाएं। इसके बाद शमी के पेड़ के पास दीपक जलाकर आरती करें।
  • पूजा के बाद वृक्ष की कुछ पत्तियां तोड़कर पूजा घर में रख दें।
  • लाल कपड़े में अक्षत, एक सुपारी के साथ इन पत्तियों को बांध लें।
  • इसके बाद इस पोटली को बुजुर्ग से प्राप्त करें और भगवान श्रीराम की परिक्रमा करें, ऐसा करने से आपके घर कभी धन-धान्य की कमी नहीं होगी।

शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से पीड़ित जातकों को मिलती है राहत

जो लोग भी शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या से पीड़ित हैं, उन्हें दशहरे के दिन शमी के पेड़ की पूजा करनी चाहिए, आपको राहत मिलेगी। पहले पेड़ पर पर तिलक लगाएं। इसके बाद इसके नीचे तिल के तेल का 11 दीपक जला लें। दशहरे के दिन शमी वृक्ष की पूजा करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव से राहत मिलती है।

कहा जाता है कि रावण के वध के बाद भगवान राम ने भी शमी वृक्ष की पूजा की थी। अभी कुंभ, मीन और मकर राशि के लोग शनि की साढ़ेसाती से पीड़ित हैं, वहीं कर्क और वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है। इन राशि वाले जातकों को ये उपाय करने से काफी राहत मिलेगी।

दशहरे पर शमी की पूजा करने से ये लाभ मिलते हैं-

  • व्यक्ति की संकटों से रक्षा होती है।
  • व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
  • घर से हर तरह का तंत्र-मंत्र और बाधा का असर खत्म हो जाता है।
  • सभी प्रकार के दोष समाप्त हो जाते हैं।
  • शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या का प्रभाव भी कम होता है।
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