Rang Panchami 2025 Katha Hindi: रंग पंचमी क्यों मनाई जाती है? जानिए क्या है रंगपंचमी की कथा?

Rang Panchami 2025 Katha Hindi: आज(19 मार्च) रंग पंचमी मनायी जा रही है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है. यह दिन विशेष रूप से देवी-देवताओं के साथ रंग खेलने और उनकी पूजा-अर्चना करने का दिन माना जाता है. इस दिन का खास महत्व है क्योंकि यह दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के साथ उनके प्रेम भरे रंगों के खेल को याद करने और श्रद्धा पूर्वक उनका पूजन करने का है. आइये जानते है रंग पंचमी(Rang Panchami 2025 Katha Hindi) से जुड़ी कथा

Update: 2025-03-19 09:52 GMT
प्रेम, समृद्धि, खुशहाली का प्रतीक रंग पंचमी, जानिए क्या है रंगपंचमी की कथा
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Rang Panchami 2025 Katha Hindi: आज(19 मार्च) रंग पंचमी मनायी जा रही है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है. यह दिन विशेष रूप से देवी-देवताओं के साथ रंग खेलने और उनकी पूजा-अर्चना करने का दिन माना जाता है. इस दिन का खास महत्व है क्योंकि यह दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के साथ उनके प्रेम भरे रंगों के खेल को याद करने और श्रद्धा पूर्वक उनका पूजन करने का है.

रंग पंचमी पर विशेष रूप से अबीर-गुलाल चढ़ाकर पूजा की जाती है. इस दिन को देवी-देवताओं के होली के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता स्वर्ग से धरती पर आकर भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के साथ होली खेलते हैं. इस दिन देवी-देवताओं की विशेष पूजा और कथा का पाठ करने से जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है.आइये जानते है रंग पंचमी(Rang Panchami 2025 Katha Hindi) से जुड़ी कथा

रंग पंचमी की कथा

रंग पंचमी के दिन जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, जिनके माध्यम से इस दिन की महिमा और महत्व को बताया गया है. पहली कथा भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी से जुड़ी हुई है, जबकि दूसरी कथा भगवान शिव, माता पार्वती और कामदेव से संबंधित है.

रंग पंचमी की पहली कथा

रंग पंचमी का संबंध द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के साथ जुड़ा हुआ है. पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी के साथ चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को होली खेली थी. इस दिन जब गोपियों ने भगवान कृष्ण के साथ राधा रानी को प्रेम में रंगते हुए देखा, तो वे भी भगवान कृष्ण की प्रेम लीला में शामिल हो गईं. वे भी राधा रानी के साथ रंग खेलते हुए उनकी खुशी का हिस्सा बनीं. इस दिन धरती पर हर तरफ रंग बिखरे हुए थे और वातावरण खुशियों से भरा हुआ था.

जब देवी-देवताओं ने स्वर्ग से धरती पर इस अद्भुत दृश्य को देखा, तो उनके मन में भी भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के साथ होली खेलने की इच्छा जागी. इसके बाद देवी-देवता भी गोपियों और ग्वालों का रूप धारण कर धरती पर आए और भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के साथ होली खेली. यही कारण है कि रंग पंचमी को देवी-देवताओं की होली भी कहा जाता है. मान्यता है कि आज भी भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी अपने भक्तों के साथ वेश बदल कर रंग पंचमी पर धरती पर आकर होली खेलते हैं. इस दिन के साथ जुड़ी यह कथा रंग पंचमी के त्योहार को विशेष रूप से मान्यता और पवित्रता प्रदान करती है.

रंग पंचमी की दूसरी कथा

रंग पंचमी से जुड़ी एक और कथा भगवान शिव, माता पार्वती और कामदेव से जुड़ी हुई है. इस कथा के अनुसार, जब माता पार्वती ने अपने हवन कुंड में कूदकर आत्मदाह कर लिया, इसक बाद भगवान शिव पूरी तरह से साधना में लीन हो गए. इस दौरान धरती से लेकर स्वर्ग तक तारकासुर नामक असुर का अत्याचार बढ़ गया. तारकासुर के वध के लिए जरूरी था कि भगवान शिव और माता पार्वती विवाह करें. इसलिए देवताओं ने भगवान शिव की साधना को भंग करने के लिए कामदेव को भेजा.

कामदेव ने भगवान शिव की साधना को भंग करने के लिए पुष्प बाण चलाया. इससे भगवान शिव की साधना भंग हो गई और क्रोध में आकर उन्होंने तीसरा नेत्र खोल दिया, जिससे कामदेव भस्म हो गए. इसके बाद देवी रति ने भगवान शिव से प्रार्थना की और उनके विलाप को सुनकर भगवान शिव ने कामदेव को फिर से जीवन दान दिया. इस अवसर पर देवताओं और ऋषियों ने रंगों के साथ त्योहार मनाया. कहा जाता है कि तब से ही रंग पंचमी मनाई जाने लगी और यह त्योहार अब हर साल मनाया जाता है.

रंग पंचमी और पूजा विधि

रंग पंचमी पर देवी-देवताओं की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन को मनाने के लिए खास पूजा विधि का पालन किया जाता है. मान्यता है कि रंग पंचमी के दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा करके उन्हें अबीर-गुलाल चढ़ाना चाहिए. इसके अलावा भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा भी करनी चाहिए.

1. स्नान और शुद्ध वस्त्र पहनें:

रंग पंचमी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए और फिर शुद्ध वस्त्र पहनने चाहिए. यह दिन विशेष रूप से पवित्र माना जाता है, और पवित्रता के साथ पूजा करने से लाभ होता है.

2. भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा करें:

इस दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा करनी चाहिए. उन्हें विशेष रूप से अबीर-गुलाल चढ़ाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए.

3. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा:

इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए और उन्हें भी अबीर-गुलाल चढ़ाना चाहिए. यह पूजा विशेष रूप से सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए की जाती है.

4. कथा का पाठ करें:

रंग पंचमी के दिन पूजा के समय कथा का पाठ करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इससे घर में खुशहाली और समृद्धि बनी रहती है.

5. दान और तर्पण:

इस दिन विशेष रूप से दान और तर्पण करना चाहिए. गरीबों को भोजन कराना और जरूरतमंदों को सहायता करना पुण्य का कार्य माना जाता है.

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