Ram Lalla Aarti Live Today : अयोध्या से लाइव : मंगला आरती के बाद दिव्य श्रृंगार में विराजे रामलला, मंदिर परिसर में उमड़ा जनसैलाब; आप भी घर बैठे लें आशीर्वाद

Ram Lalla Aarti Live Today : अयोध्या धाम में प्रभु श्री रामलला के भव्य मंदिर में आज सुबह की शुरुआत अलौकिक आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ हुई। रामलला की मंगला आरती के साथ ही पूरी अयोध्या नगरी जय श्री राम के उद्घोष से गुंजायमान हो उठी।

Update: 2025-12-21 01:42 GMT

 Ram Lalla Aarti Live Today : अयोध्या से लाइव : मंगला आरती के बाद दिव्य श्रृंगार में विराजे रामलला, मंदिर परिसर में उमड़ा जनसैलाब; आप भी घर बैठे लें आशीर्वाद

Ram Lalla Aarti Live Today : अयोध्या | अयोध्या धाम में प्रभु श्री रामलला के भव्य मंदिर में आज सुबह की शुरुआत अलौकिक आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ हुई। रामलला की मंगला आरती के साथ ही पूरी अयोध्या नगरी जय श्री राम के उद्घोष से गुंजायमान हो उठी। कड़ाके की ठंड के बावजूद, हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु ब्रह्ममुहूर्त में ही राम जन्मभूमि परिसर के बाहर अपनी बारी की प्रतीक्षा करते देखे गए। जैसे ही मुख्य गर्भगृह के पट खुले, स्वर्ण आभा से सुसज्जित रामलला का बाल स्वरूप देखकर भक्त भाव-विभोर हो गए। आज की आरती विशेष थी, क्योंकि प्रभु को ताजे पुष्पों और विशेष रत्नों से जड़ित आभूषणों से सजाया गया था, जो उनकी मोहक मुस्कान को और भी जीवंत बना रहे थे।

Ram Lalla Aarti Live Today : आरती संपन्न होने के बाद मंदिर की दिनचर्या अपने निर्धारित क्रम में आगे बढ़ी। सुबह की आरती के पश्चात रामलला का विशेष भोग और राजभोग श्रृंगार प्रारंभ हुआ। मुख्य पुजारी के सानिध्य में वेदमंत्रों के उच्चारण के साथ प्रभु को शुद्ध देशी घी से निर्मित मिष्ठान और फलों का भोग लगाया गया। मंदिर प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं के लिए दर्शन की सुगम व्यवस्था की गई है, जिससे भक्त बिना किसी असुविधा के 'राम पथ' से होते हुए मुख्य मंदिर तक पहुँच रहे हैं। आरती के बाद परिसर में स्थित अन्य छोटे मंदिरों और रामलला की पुरानी प्रतिमा के दर्शन के लिए भी भक्तों की कतारें लगी रहीं।

Full View

Ram Lalla Aarti Live Today : मंदिर परिसर के भीतर और बाहर का वातावरण आज पूरी तरह उत्सव जैसा है। आरती के बाद श्रद्धालु हनुमानगढ़ी की ओर प्रस्थान कर रहे हैं, क्योंकि मान्यता है कि रामलला के दर्शन से पहले बजरंगबली की आज्ञा लेना आवश्यक है। सरयू तट पर भी सुबह से ही स्नान और ध्यान का दौर जारी है। राम जन्मभूमि पथ पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों के बीच भक्तों को कतारबद्ध तरीके से दर्शन कराए जा रहे हैं। आज विशेष रूप से फूलों की सजावट और सुगंधित अगरबत्तियों के धुएं ने पूरे परिसर को एक दिव्य लोक में बदल दिया है।

दोपहर के समय रामलला की भोग आरती की तैयारी शुरू हो जाती है, जो कि भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र होती है। मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, आज विशेष उत्सवों की श्रृंखला में श्रद्धालुओं के लिए भारी मात्रा में प्रसाद का वितरण भी किया जा रहा है। रामलला के दरबार में होने वाले इन आध्यात्मिक अनुष्ठानों ने न केवल अयोध्या, बल्कि पूरे देश के रामभक्तों को श्रद्धा के सूत्र में बांध दिया है।


अयोध्या में अन्य दर्शन

अयोध्या धाम में प्रभु श्री रामलला के दर्शन करने के बाद इस धर्म नगरी की यात्रा तभी पूर्ण मानी जाती है, जब आप यहाँ के अन्य पौराणिक और ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करते हैं। राम जन्मभूमि मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित हनुमानगढ़ी अयोध्या का सबसे महत्वपूर्ण स्थल है। मान्यता है कि अयोध्या में रहने के लिए हनुमान जी से अनुमति लेना आवश्यक है, इसलिए भक्त सबसे पहले बजरंगबली के इस विशाल किलेनुमा मंदिर में मत्था टेकते हैं। यहाँ की ऊंची सीढ़ियाँ और हनुमान जी की जागृत प्रतिमा भक्तों में असीम ऊर्जा भर देती है। इसके बाद कनक भवन जाना एक अद्भुत अनुभव होता है, जिसे 'सोने का घर' भी कहा जाता है। माना जाता है कि यह भवन माता कैकेयी ने देवी सीता को मुँह दिखाई में दिया था। यहाँ के गर्भगृह में श्री राम और माता जानकी की अत्यंत सुंदर स्वर्ण मुकुट वाली प्रतिमाएं विराजमान हैं, जिनकी आभा देखकर मन मंत्रमुग्ध हो जाता है।

अयोध्या की आध्यात्मिक यात्रा में सरयू नदी के तट और राम की पैड़ी का स्थान अत्यंत दर्शनीय है। राम की पैड़ी पर हरिद्वार के हर की पैड़ी जैसा अनुभव होता है, जहाँ शाम के समय दीपोत्सव और लेजर शो का आयोजन पर्यटन को नया आयाम देता है। सरयू नदी के किनारे स्थित नया घाट पर संध्या आरती में शामिल होना जीवन का सबसे शांत और पावन अनुभव हो सकता है। यहीं समीप में स्थित नागेश्वरनाथ मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसकी स्थापना भगवान राम के पुत्र कुश ने की थी। शिवरात्रि और सावन के महीने में यहाँ भक्तों का तांता लगा रहता है। इसके अतिरिक्त, दशरथ महल भी देखने योग्य है, जो राजा दशरथ का निवास स्थान माना जाता है और यहाँ के भजनों की मधुर ध्वनि पूरे वातावरण को भक्तिमय बनाए रखती है।

यदि आप अयोध्या के इतिहास और संस्कृति को और गहराई से जानना चाहते हैं, तो आपको मणि पर्वत और गुलाब बाड़ी की ओर रुख करना चाहिए। मणि पर्वत के बारे में पौराणिक कथा है कि जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेकर जा रहे थे, तब पर्वत का एक हिस्सा यहाँ गिर गया था। वहीं, अयोध्या से थोड़ी दूरी पर स्थित भरत कुंड (नंदीग्राम) वह स्थान है जहाँ भरत जी ने खड़ाऊ रखकर 14 वर्षों तक तपस्या की थी। आधुनिक अयोध्या में नव-निर्मित लता मंगेशकर चौक भी सेल्फी और पर्यटन के लिए एक बड़ा केंद्र बन गया है, जहाँ लगी विशाल वीणा भारतीय कला का शानदार प्रदर्शन करती है। इन सभी स्थलों का भ्रमण न केवल आपकी अयोध्या यात्रा को यादगार बनाएगा, बल्कि आपको त्रेतायुग की स्मृतियों से भी जोड़ देगा।

अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि मंदिर का इतिहास केवल ईंट और पत्थरों की कहानी नहीं है, बल्कि यह सदियों पुरानी आस्था, संघर्ष और धैर्य का प्रतीक है। इसके इतिहास को हम तीन मुख्य भागों में समझ सकते हैं:

1. प्राचीन और पौराणिक काल (त्रेता युग से 15वीं शताब्दी तक)

पौराणिक मान्यताओं और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, अयोध्या वह पवित्र नगरी है जहाँ भगवान श्री राम ने अवतार लिया था। माना जाता है कि यहाँ भगवान राम के पुत्र कुश ने सबसे पहले मंदिर बनवाया था। बाद में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने यहाँ एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया, जिसमें 84 स्तंभ थे। गुप्त वंश के शासनकाल और 12वीं शताब्दी के गहड़वाल राजाओं के समय भी यहाँ एक विशाल और समृद्ध मंदिर होने के प्रमाण मिलते हैं।

2. मध्यकालीन संघर्ष (1528 से 19वीं शताब्दी तक)

मंदिर के इतिहास में सबसे बड़ा मोड़ 1528 में आया। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, मुगल शासक बाबर के सेनापति मीर बाकी ने यहाँ स्थित मंदिर को नुकसान पहुँचाया और उसी स्थान पर 'बाबरी मस्जिद' का निर्माण कराया। इसके बाद से ही इस स्थान को वापस पाने के लिए छोटे-बड़े कई संघर्ष शुरू हो गए। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान 1853 में पहली बार यहाँ बड़ी सांप्रदायिक हिंसा दर्ज की गई, जिसके बाद अंग्रेजों ने विवादित स्थल पर बाड़ लगा दी थी।

3. आधुनिक काल और कानूनी लड़ाई (1949 से वर्तमान तक)

1949: आजादी के बाद 22-23 दिसंबर की रात को मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे रामलला की मूर्तियाँ प्रकट हुईं, जिसके बाद सरकार ने इस स्थान को 'विवादित' घोषित कर ताला लगवा दिया।

1980 के दशक: विश्व हिंदू परिषद (VHP) और अन्य संगठनों ने मंदिर निर्माण के लिए बड़ा आंदोलन शुरू किया। 1989 में मंदिर का शिलान्यास किया गया।

1992: 6 दिसंबर 1992 को हज़ारों कारसेवकों ने विवादित ढांचे को गिरा दिया, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा और दशकों तक कानूनी लड़ाई चली।

2019 का ऐतिहासिक फैसला: 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुए पूरी 2.77 एकड़ जमीन रामलला को सौंप दी और मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया।

4. भव्य मंदिर का निर्माण और उद्घाटन

5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर का भूमि पूजन किया। इसके बाद नागर शैली में इस भव्य मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री के हाथों रामलला की 'प्राण प्रतिष्ठा' संपन्न हुई, जिसने 500 वर्षों के लंबे इंतजार को समाप्त किया। आज यह मंदिर न केवल वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है, बल्कि दुनिया भर के हिंदुओं की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है।

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