Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन आज, जानिए रक्षाबंधन का इतिहास और महत्व

Raksha Bandhan 2025: हिंदू संस्कृति के मुताबिक रक्षाबंधन का त्योहार हर साल श्रावन महिने की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं. ये त्योहार भाई -बहन को प्यार की डोर से बांधता हैं.....इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और भगवान से अपने भाई की तरक्की और खुशियों की प्रार्थना करती हैं, तो वही बदले में भाई अपनी बहन को जीवन भर रक्षा करने का वचन देता है| और कुछ गिफ्ट देकर अपना प्यार जाहिर करता हैं, पर क्या आपको पता है राखी मनाने की शुरुआत कैसे हुई और इसे क्यों मनाया जाता हैं,

Update: 2025-08-09 07:24 GMT

Raksha Bandhan 2025: हिंदू संस्कृति के मुताबिक रक्षाबंधन का त्योहार हर साल श्रावन महिने की पूर्णिमा को मनाया जाता हैं. ये त्योहार भाई -बहन को प्यार की डोर से बांधता हैं.....इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और भगवान से अपने भाई की तरक्की और खुशियों की प्रार्थना करती हैं, तो वही बदले में भाई अपनी बहन को जीवन भर रक्षा करने का वचन देता है| और कुछ गिफ्ट देकर अपना प्यार जाहिर करता हैं, पर क्या आपको पता है राखी मनाने की शुरुआत कैसे हुई और इसे क्यों मनाया जाता हैं,

राखी को मनाने के पिछे पौराणिक कहानिया

इस त्योहार को मनाने के पिछे कई पौराणिक कहानियां हैं...उन्हीं कहानियों में से एक कथा महाभारत से जुड़ी है....कथा के अनुसार जब भगवान श्री कृष्ण ने जब शिशु पाल कावध किया था, तब उनके हाथ से खून बहने लगा, तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़ कर भगवान कृष्ण के अंगुलि पर बांध दी...जिसपर श्री कृष्ण ने वचन दिया की जब भी वो मुसीबत में होंगी वो उनकी मदद करेगें...और यही कारण है जब द्रौपदी का चीरहरण हुआ तब भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बजाई थी....एक और कथा बहुत प्रचलित है...जब देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हो रहा था, इस दौरान इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी ने अपने पति की जीत के लिए उनकी कलाई पर रक्षा सुत्र बांधा था. राजा वृत्तासुर बहुत ताकतवर था....जिसे हराने रे लिए इंद्राणी ने भगवान विष्णु से मदद मांगी....तब भगवान विष्णु ने इंद्राणी को पवित्र धागा दिया और उसे इंद्र की कलाई पर बांधने को कहा....फिर इंद्राणी ने वैसा ही किया जिसके बाद इंद्र युद्ध में जीत गया....

माता लक्ष्मी ने राजा बलि को बांधी थी राखीं

एक और पौराणिक कथा के मुताबिक राक्षस बलि ने भगवान विष्णु के वामन अवतार से तीन पग में उनका सारा राज्य मांग लिया था....और भगवान श्री हरि को पाताल लोक में मेहमान के तौर पर चलने को कह, जब भगवान श्री विष्णु नहीं लौटे तो नारद मुनि ने माता लक्ष्मी को राजा बलि को अपना भाई बनाने की सहाल दी, जिसपर माता लक्ष्मी ने गरीब महिला का रुप धारण कर राजा बलि के पास पहुंची और राजा बलि को भाई बनाकर राखीं बांधी....और बदले में भगवान विष्णु को पाताल लोक से ले जाने का वचन मांग लिया.... और तब से लेकर आज तक हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा पर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता हैं

रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन सिर्फ कच्चे धागों को बांधने वाला नहीं हैं, बल्कि ये धागा भाई बहन के प्यार नि-स्वार्थ प्यार का प्रतीक हैं....बहन की रक्षा के लिए भाई के प्राण भी देने पड़े तो वो पीछे नहीं हटने का ये प्रण लेता है

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