Radha ashtami 2024 : कान्हा के हैं अगर परम भक्त तो इस दिन अवश्य करें राधा रानी की पूजा.... आइए जानें पूजा विधि, मुहूर्त और भोग

Radha ashtami 2024 Pooja : ज्योतिष के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि श्री राधा रानी को समर्पित है। इस खास दिन श्री राधा रानी का अवतरण हुआ था, इसलिए इस दिन को राधा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन श्री राधा रानी की पूजा की जाती है और उन्हें उनकी प्रिया चीजों का भोग लगाया जाता है।

Update: 2024-09-10 17:45 GMT

Radha Ashtami 2024 : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद गोविन्द की आराध्य राधा रानी का जन्मोत्सव आता है। हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष यह तिथि 11 सितंबर को पड़ रही है। ऐसे में राधाष्टमी 11 सितंबर को मनाया जाएगा। राधाष्टमी को भी जन्माष्टमी की तरह व्रत रखा जाता है और राधा रानी की पूजा की जाती है।

ऐसा माना जाता है कि यदि आप भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करना चाहते हैं तो सबसे पहले श्रीराधा जी को प्रसन्न करें। इससे भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।

वैदिक पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि 10 सितंबर यानी की आज रात 11 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी और 11 सितंबर को रात 11 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। अतः 11 सितंबर को राधा अष्टमी मनाई जाएगी।

राधा रानी के प्रति असीम भक्ति और श्रद्धा रखने वाले भक्त इस दिन विशेष पूजा अर्चना करते हैं। राधा रानी की भक्ति के बिना श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी मानी जाती है।

इस दिन देवी को घर का बना भोग प्रसाद अर्पित करें। भोग-प्रसाद में तुलसी, पंचामृत, पंजीरी, खीर, हलवा, मालपुआ, पूरी और चना भी शामिल किया जा सकता है। राधा रानी को इन चीजों का भोग लगाना भी शुभ होता है।


राधाष्टमी का महत्व




वैष्णव संप्रदाय में राधा और कृष्ण की संयुक्त पूजा को विशेष स्थान प्राप्त है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की आराधना करता है, उसे भगवान कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है,क्योंकि राधा-कृष्ण का प्रेम और भक्ति एक-दूसरे से अविभाज्य माने जाते हैं।राधा रानी को श्रीकृष्ण की आत्मा कहा जाता है। श्रीमद्भागवत और अन्य पुराणों में राधा-कृष्ण के प्रेम को सर्वोच्च भक्ति का प्रतीक माना गया है। यह प्रेम लौकिक नहीं, बल्कि अलौकिक और अद्वितीय भक्ति का प्रतीक है। राधा रानी के प्रेम को विशुद्ध, निस्वार्थ और समर्पण का सबसे बड़ा उदाहरण माना जाता है। इसलिए राधा अष्टमी का पर्व भक्ति, प्रेम और श्रद्धा का उत्सव है।

पूजा विधि और मंत्र

राधा अष्टमी के दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर पूजा स्थल पर राधा जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। राधा जी को गुलाब के फूल, चंदन, अक्षत, और धूप-दीप अर्पित करें। तुलसी के पत्तों से विशेष पूजा करें, क्योंकि तुलसी राधा रानी को अति प्रिय है। राधा जी के साथ भगवान श्रीकृष्ण का भी पूजन करना चाहिए। उन्हें माखन-मिश्री और विभिन्न मिठाइयां भोग स्वरूप अर्पित करें। पूजा के अंत में आरती करें और व्रत कथा का पाठ करें। इस दिन राधा जी के प्रेम, समर्पण और उनकी भक्ति को हृदय से स्मरण करना चाहिए, जिससे जीवन में प्रेम, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

मंत्र

“ॐ राधायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि तन्नो राधा प्रचोदयात्”

“राधे राधे जय जय राधे, राधे राधे जय जय राधे।”

इन मंत्रों का 108 बार जप करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और राधा-कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।

श्री राधा जी के भोग की विधि

राधा अष्टमी के दिन (Radha Ashtami) श्री राधा रानी की विधि पूर्वक पूजा-अर्चना करें। आप किशोरी जी को मालपुआ का भोग लगाएं। शास्त्रों के अनुसार मानता है कि पूजा थाली में मालपुआ शामिल करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और ग्रह क्लेश की समस्या से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा श्री राधा रानी के भोग में रबड़ी और फल भी शामिल कर सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि इन चीजों का भोग लगाने से किशोरी जी प्रसन्न होती हैं और साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।


राधा अष्टमी पर इन 9 बातों का रखें ध्यान




1. राधा अष्टमी पर ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए।

2. इस दिन देवी को घर का बना भोग प्रसाद लगाना चाहिए।

3. इस दिन वृंदावन की मंगला आरती में हिस्सा लेना शुभ माना जाता है।

4. राधा अष्टमी के दिन कठोर व्रत रखने का संकल्प अवश्य लेना चाहिए।

5. भक्त केवल सात्विक भोजन से ही अपना व्रत पूर्ण करें।

6. राधा अष्टमी को श्री राधा रानी के भजन अवश्य गाएं।

7. इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करें।

8. इस दिन किसी से भी किसी प्रकार का वाद-विवाद और किसी के बारे में बुरा बोलने से बचें।

9. राधा अष्टमी के दिन तामसिक भोजन जैसे- प्याज, लहसुन, अंडे और मांस आदि का सेवन वर्जित है।


धार्मिक मान्यता अनुसार राधा अष्टमी के अवसर पर राधा कृष्ण और लड्डू गोपाल जी का अभिषेक करना चाहिए। गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करने पर व्यक्ति को अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है। जीवन से सभी दुख-संकट दूर होने लगते हैं।


राधा कृष्ण मंदिर समता कॉलोनी में राधाष्टमी पर्व


राधा कृष्ण मंदिर समता कॉलोनी के प्रचार-प्रसार प्रभारी सत्येंद्र अग्रवाल के अनुसार इस धार्मिक पर्व को यादगार बनाने के लिए इस वर्ष विशेष तैयारियां की गई हैं. राधाष्टमी पर्व पर बुधवार को दोपहर 12:00 बजे से श्रृंगार ,आरती एवम छप्पन भोग भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगा. तत्पश्चात भक्तजन शामिल होकर पूजन आरती एवं प्रसादी का पुण्य लाभ प्राप्त करेंगे.


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