Pitru Paksha Trayodashi Shraddh 2025 : क्या गर्भस्थ शिशु व बच्चों का भी होता है श्राद्ध, क्या है मलिन षोडशी परंपरा ? जानिए यहाँ है आपके हर सवालों के जवाब

Pitru Paksha 2025 : पितृपक्ष के दौरान अगर किसी की तिथि ज्ञात ना हो तो उसका तर्पण त्रयोदशी तिथि के दिन कर सकते हैं.

Update: 2025-09-16 05:59 GMT

Pitru Paksha 2025  : पितृ पक्ष के बस अब कुछ ही दिन बाकि रह गए हैं. पर उन दिनों में अब भी कुछ खास तिथि है जो काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है. लोगों को बड़े-बुजुर्गों के श्राद्ध के नियम तो पता होते हैं लेकिन कई बार ये सवाल उठता है कि जिन बच्चों की मृत्यु गर्भ में ही हो गई हो क्या उनका श्राद्ध किया जाता है ? जन्म लेने के बाद किस उम्र तक के बच्चों का श्राद्ध शास्त्रसम्मत है. तो आइये फिर जानते हैं किस उम्र तक के बच्चों का श्राद्ध कब कौर कितने आयु में किया जाता है.  


पितृपक्ष के दौरान अगर किसी बच्चे की तिथि ज्ञात ना हो तो उसका तर्पण त्रयोदशी तिथि के दिन कर सकते हैं. ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस बार त्रयोदशी तिथि 19 सितम्बर को होगी. इस दिन आपको अपने परिवार के मृत बच्चों का श्राद्ध करने का मौका है, जिससे आपके परिवार के दुलारों की आत्मा को शांति मिल सके. 




 मलिन षोडशी परंपरा इनके लिए 

कई बार गर्भावस्था के दौरान किसी कारणवश संतान की मृत्यु हो जाती है तो शास्त्रों के अनुसार उसका श्राद्ध कर्म नहीं किया जाता है. अजन्मी संतान की आत्मा की शांति मलिन षोडशी परंपरा का निर्वहन किया जाता है. मलिन षोडशी हिंदू धर्म में मृत्युपरांत किया जाने वाला एक अनुष्ठान है, जो मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति और परिवार को अशुभ प्रभाव से बचाने के लिए किया जाता है. मलिन षोडशी क्रिया मृत्यु से अंतिम संस्कार तक के समय में की जाती है.

किस उम्र तक के बच्चों का नहीं होता श्राद्ध ?



वहीं जो बच्चे जन्म के बाद मृत्यु को प्राप्त हुए हैं उन बच्चों के श्राद्ध के नियम बच्चे की मृत्यु की उम्र पर निर्भर करते हैं. नवजात शिशु से 2 वर्ष से कम उम्र के बालक का कोई श्राद्ध नहीं होता इनकी भी मलिन षोडशी होती है और तर्पण किया जाता है क्योंकि पारंपरिक श्राद्ध कर्म इनके लिए नहीं किया जाता है. इन बच्चों का श्राद्ध और वार्षिक क्रिया नहीं होती है.

किस तिथि पर होता है बच्चों का श्राद्ध ?

पितृपक्ष में 6 साल से बड़े बच्चे की मृत्यु तिथि पर ही उसका श्राद्ध किया जाता है, लेकिन तिथि ज्ञान न होने पर त्रयोदशी पर पूर्ण विधि विधान से किया गया श्राद्ध बच्चों की मृतात्मा को प्राप्त होता है. अगर तिथि ज्ञात ना हो तो त्रयोदशी तिथि में ही तर्पण करना चाहिए.इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है.


तर्पण क्यों किया जाता है ?


जब कोई बच्चा नवजात शिशु की मृत्यु के बाद प्रेत योनि में अटक जाता है. तर्पण के बाद शिशु पितृ बनता है और मोक्ष प्राप्त करता है. अगर नवजात शिशु की किसी कारण से मृत्यु हो जाती है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति करना जरूरी होता है.नवजात शिशु का केवल तर्पण किया जाता है और नवजात शिशु का पिंडदान ना करें.

किस तिथि पर होता है बच्चों का श्राद्ध ?

पितृपक्ष के दौरान अगर किसी की तिथि ज्ञात ना हो तो उसका तर्पण त्रयोदशी तिथि के दिन कर सकते हैं. ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

 

गर्भावस्था में शिशु के श्राद्ध के नियम ?

गर्भावस्था के दौरान किसी कारण से अजन्मी संतान की मृत्यु माता के गर्भ में हो जाती है तो शास्त्रों के अनुसार उसका श्राद्ध कर्म नहीं किया जाता है.

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