First Time Kanwar Yatra: पहली बार करने वाले हैं कांवड़ यात्रा: जानिए नियम-तैयारी और महत्व, जिससे यात्रा हो फलदायी और सुरक्षित

Update: 2025-07-12 11:52 GMT

Kanwar Yatra Kaise Kare: 11 जुलाई 2025 से सावन (Sawan 2025) माह के साथ ही भगवान शिव के कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) की भी शुरुआत हो गई है। देशभर के विभिन्न हिस्सों से शिवभक्त 'बोल बम' (Bol Bam) के जयघोष के साथ ही गंगा जल लेने के लिए पदयात्रा पर निकल पड़े हैं। कांवड़िए पवित्र नदियों से जल लेकर शिवरात्रि के दिन उसे शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। मान्यता है कि इस पुण्य कार्य से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

क्या होती है कांवड़ यात्रा?

कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) हिंदू धर्म में आस्था और भक्ति का विशेष पर्व है। यह यात्रा पावन महीने के दौरान की जाती है, जब शिवभक्त देश के पवित्र नदियों जैसे मुख्यतः गंगा से जल भरकर अपने नजदीकी या इच्छित शिव मंदिरों (Shiv Mandir) में जाकर जलाभिषेक करते हैं। यह जल मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) के दिन शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है। 

यात्रा से पहले जरूरी तैयारी

कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) पर निकलने से पहले शिवभक्तों को कुछ जरूरी सामग्री अपने साथ ले जानी चाहिए जैसे कांवड़ जिसमें जल को ढोया जाता है। गंगाजल को भरने के लिए वाटर प्रुफ पात्र, लाल पीले वस्त्र, फूल, त्रिशूल, डमरू, रूद्राक्ष, भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर अपने साथ जरूर रखें। इसके साथ ही व्यक्तिगत उपयोग के लिए गमछा नी कैप, दातुन , मेडिकेशन किट जरूर रखें।

पालन करें ये नियम

बता दें कि कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) एक साधारण पदयात्रा नहीं है बल्कि एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है। इसके लिए कुछ नियमों का पालन अनिवार्य माना गया है। जैसे ब्रह्माचार्य का पालन, जमीन पर सोना, स्वच्छता और संयम, न दाढ़ी बनाए न बाल कटवाएं, पहचान पत्र और एमरजेंसी नंबर अपने साथ रखें। 

स्वास्थ्य को न करें नजरअंदाज

चूंकि कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) पैदल होती है, इसलिए इसमें शारीरिक रूप से सक्षम होना आवश्यक है। इसलिए यात्रा से पहले एक बार पूरा बॉडी चेकअप जरूर करवाएं। शरीर में अगर कोई कमजोरी या पुराना रोग हो तो डॉक्टर से सहाल लें।

आध्यात्मिक महत्व

कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) भगवान शिव के प्रति असीम भक्ति, निष्ठा और समर्पण का प्रतीक है।  यह न केवल मानसिक बल को बढ़ाती है, बल्कि आत्मा को भी शुद्ध करती है। मान्यता है कि इस यात्रा से शिवभक्तों के पापों का नाश होता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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