Navratri 2025 : आइये जानें नवरात्र घट स्थापना, ज्योति प्रज्वलित, मूर्ति पूजन का शुभ मुहूर्त, प्रिय पुष्प-फल और रंग, यहाँ है आपके हर सवालों का जवाब

Navratri 2025 : देव पंचांग अनुसार घट स्थापना, ज्योति प्रज्वलित, मूर्ति पूजन शुभ मुहूर्त, ज्योति प्रज्वलित अभिजीत मुहूर्त 11.36 से 12.24 तक ।

Update: 2025-09-20 18:43 GMT

Navratri 2025 : शारदीय नवरात्र का पावन पर्व 22 सितंबर से शुरू हो रहा है. इस दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। हर दिन एक विशेष देवी को समर्पित होता है. 

तो आइये फिर महामाया मंदिर रायपुर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ल के अनुसार जानते हैं माँ के नौ स्वरूपों की महिमा, उनका यह नाम क्यों पड़ा. नौ देवियों के प्रिय पुष्प और फल और नवरात्र के नौ दिनों में कौन सा रंग पहनें और इससे होने वाले लाभ. साथ ही जानते हैं घट स्थापना ,ज्योति प्रज्वलित ,मूर्ति पूजन का शुभ मुहूर्त क्या है. 

शैलपुत्री 





22.09.2025 सोमवार अश्विन मासे शुक्ल पक्ष उतरफाल्गुनी नक्षत्रे 1 तिथि


देव पंचांग अनुसार :  घट स्थापना, ज्योति प्रज्वलित, मूर्ति पूजन शुभ मुहूर्त,  ज्योति प्रज्वलित अभिजीत मुहूर्त 11.36 से 12.24 तक ।


विशेष :- माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप शैलपुत्री है. पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रुप में उत्पन्न होने से इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। वृषभ में सवार दाहिने हाथ में त्रिशूल ,बाएं हाथ में कमल पुष्प शोभित हैं माँ का स्वरूप रक्त वर्ण हैं. माँ को परमप्रिय पुष्प गुड़हल(गुलमोहर) में माँ का वास होता है. अतः भक्तों को यह पुष्प अर्पित करना चाहिये, क्योंकि लाल रंग मंगल को व हरा रंग बुध और केतु को दर्शाता हैं.

  • माँ को गाय का शुद्ध घी अर्पित करें-निरोगी काया प्राप्ति हेतु साधक को लाल वस्त्र धारण कर पूजा करना चाहिये।

ब्रम्हचारणी




23.09.2025 मंगलवार अश्विन मासे शुक्ल पक्ष हस्त नक्षत्रे 2 तिथि

विशेष :- माँ दुर्गा की तीसरी शक्ति ब्रम्ह अर्थात तपस्या है. तप का आचरण करने वाली इसीलिए ब्रम्हचारणी नाम पड़ा यह देवी अत्यंत ज्योतिर्मय और भव्य हैं. इसके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं में कमंडलु रहता हैं. शंकर जी को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या करती हैं, जिनकी दशा देख इनकी माँ मैना अत्यंत दुःखी होकर आवाज लगाती हैं. उ मा अरे नही हो उ मा तब पूर्वजन्म का एक नाम उमा भी पड़ा.

  • सफेद कमल पुष्प व मिश्री का भोग अर्पित करें. आयु की वृद्धि हेतु और साधक को पूजा हेतु नीला वस्त्र धारण करना चाहिये.

चंद्रघंटा 




24.09.2025 बुधवार अश्विन मासे शुक्ल पक्ष चित्रा नक्षत्रे 3 तिथि

25.09.2025 गुरुवार अश्विन मासे शुक्ल पक्ष स्वाति नक्षत्रे 3 वृद्धि तिथि

विशेष :- इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र हैं. इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है. इसके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला, दस हाथ और हाथों में खड्ग, त्रिशूल, कमंडलु, बाण इत्यादि अस्त्र- शस्त्र से विभूषित हैं. इनका वाहन सिंह है इनकी मुद्रा युद्ध के लिए उधृत रहने की होती हैं। इनकी घँटे की ध्वनि सदैव अपने भक्तों को प्रेतबाधा से रक्षा करती हैं. माँ का स्वरूप अत्यंत सौम्य और शांति से परिपूर्ण रहता है ।

  • अशोक पुष्प चढ़ाये, खीर का भोग लगाए -दुःखो से दूर होने के लिए तथा पीला वस्त्र ग्रहण कर साधना करें ।

कुष्मांडा 






26.092025 शुक्रवार चतुर्थी तिथि अश्विन मासे शुक्ल पक्ष विशाखा नक्षत्रे 4 तिथि

विशेष :- अपनी मंद हल्की हँसी द्वारा मंद अर्थात ब्रम्हांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से जानते हैं. संस्कृत भाषा में कूष्मांडा का अर्थ कुम्हड़ से भी हैं. माँ अष्ट भुजाओं वाली हैं जो कि कमंडलु, धनुषबाण, कमलपुष्प, चक्र, अमृतपूर्ण कलश ,गदा ,जपमाला और आठवें हाथ मे सभी सिद्धियो को धारण कर सिंह में सवार किये हुए हैं ।

  • माँ को कनेर का पुष्प अर्पित करें तथा मालपुए का भोग लगाएं -कुशाग्र बुद्धि की प्राप्ति हेतुऔर मटमैला वस्त्र धारण कर पूजा करें ।

स्कन्दमाता




27.09.3025 शनिवार अश्विन मासे शुक्ल पक्ष अनुराधा नक्षत्रे 5 तिथि


विशेष :- इनके विग्रह में भगवान स्कन्द जी बालरूप में इनकी गोद में बैठे हैं. भगवान स्कन्द कुमार कार्तिकेय नाम से भी जाने जाते हैं. इन्ही भगवान स्कन्द की माता होने से दुर्गा माँ की पंचम शक्ति का नाम स्कन्दमाता पड़ा माता की चार भुजाएं हैं, जिसमें कमलपुष्प, वरमुद्रा धारण किये हुए कमल आसन पर विद्यमान रहती हैं. इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता हैं. सिंह भी इनका वाहन है।

  • अगस्त्य पुष्प व केले का भोग लगाएं -निरोगी काया हेतु तथा साधक को हरे वस्त्र धारण कर पूजा करनी चाहिए।
  • * विशेष रूप से माँ को सोलह श्रृंगार समर्पित करना चाहिए व कम से कम 108 नींबूओं की माला बनाकर पहनाना चाहिए ।

कात्यायनी




28.09.2025 रविवार अश्विन मासे शुक्ल पक्ष ज्येष्ठा नक्षत्रे 6 तिथि

विशेष :- कत नामक ऋषि थे जिसके पुत्र ऋषि कात्य हुए इन्ही कात्य के गोत्र में महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने जगदम्बा की कठिन तपस्या की माँ भगवती उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म ले प्रार्थना स्वीकारी माँ और उसी समय दैत्य महिषासुर का अत्याचार बढ़ा हुआ था. तब ब्रम्हा, विष्णु, महेश तीनों देवताओं ने अपने अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी उत्पन्न किये जिसकी प्रथम पूजा महर्षि कात्यायन ने की इसी कारण कात्यायनी माँ कहलाई । माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और चार भुजा धारण की हुई अभयमुद्रा, वरमुद्रा, कमलपुष्प तथा तलवार लिए हुए इनका वाहन सिंह हैं ।

  • बिल्वपत्र अर्पित करें, शहद का भोग लगाएं - सौन्दर्यवान व आकर्षणवान हेतु और बंदन रंग का वस्त्र धारणकर पूजा करें ।

कालरात्रि




29.09.2025 सोमवार अश्विन मासे शुक्ल पक्ष मूल नक्षत्रे 7 तिथि

विशेष :- इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है सिर के बाल बिखरे हुए है. गले में विधुत की तरह चमकने वाली माला एवं त्रिनेत्री हैं, माँ की नासिका के स्वास प्रसवास से अग्नि के समान भयंकर ज्वालय निकलती रहती हैं. इनका वाहन गर्दभ(गधा)है माँ के हाथ में वरमुद्रा, अभयमुद्रा, लोहे की कांटाऔर खड्ग(कटार)धारण किये ।

  • कदम्बपुष्प अर्पित करें एवं गुड़ का भोग लगाएं - अचानक संकटों से रक्षा प्राप्ति हेतु तथा सफेद वस्त्र धारण कर पूजा करें ।

महागौरी




30.09.2024 मंगलवार अश्विन मासे शुक्ल पक्ष पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रे 8 तिथि


ग्राम /नगर देवी ज्योत जंवारा हवन पूजन प्रातः 07 बजे से प्रारंभ होगा। एवं कमलगट्टे की माला बनाकर माँ को पहनाये ।


विशेष :- इनकी आयु 8 वर्ष की मानी गयी हैं. इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण सफेद है व चार भुजाओं से सोभित इनका वाहन वृषभ हैं ,मुद्रा शांत हैं । भगवान शिव के वरण के लिए कठिन तप करती हैं, जिसके कारण शरीर भयानक काला पड़ जाता हैं तो भगवान जब प्रसन्न होकर शरीर को गंगाजी के पवित्र जल से मलकर धोए तब विधुत प्रभा के समान अत्यंत कांतिमय गौर हुए तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा.

  • चम्पा पुष्प चढ़ाये व नारियल का भोग लगाएं-संतान सम्बधी परेशानी से निवृत्ति हेतू ,और साधक ग़ुलाबी वस्त्र धारण कर पूजा करें।

सिद्धिदात्री 




01.10.2025 बुधवार अश्विन मासे शुक्ल पक्ष उत्तराषाढ़ा नक्षत्रे 9 तिथि


प्रातः काल ज्योति जवारा विसर्जन व 10 बजे से माँ दुर्गा सरस्वती प्रतिमा हवन पूर्णाहुती तदुपरांत कुँवारी कन्या पूजन,पारणा ,भंडारा

विशेष :- मार्कण्डेय पुराण के अनुसार माँ सिद्धिदात्री भक्तों और साधको को सभी सिद्धिया प्रदान करने में समर्थ हैं । देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी ही कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था. इनकी अनुकम्पा से भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था इसी कारण वे लोक में अर्धनारीश्वर के नाम से भी प्रसिद्ध हुए। माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं. इनका वाहन सिंह हैं ये कमलपुष्प पे आसीन हैं माँ सिद्धिदात्री का सम्पूर्ण शरीर गौर वर्ण होता हैं।

  • मदार पुष्प भेंट करें तथा तिल का भोग लगाएं अनहोनी से बचने हेतु ।


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