Navratri 2025 : 10 दिवसीय नवरात्रि में घटस्थापना, महाअष्टमी और नवमी पर विशेष शुभ योग, आइये जाने नक्षत्र, शुभ योग और नौ देवियों के खास दिन

Navratri 2025 : नवरात्रि के प्रत्येक दिन का नक्षत्र और योग भक्तों की पूजा-साधना और व्रत-निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

Update: 2025-09-19 10:47 GMT

navratri poojan, navratri ghat sthapana : शारदीय नवरात्रि 2025  इस बार 10 दिन तक चलेगी. घटस्थापना 22 सितंबर से शुरू होगी और नवरात्रि का समापन नवमी के दिन 1 अक्टूबर को होगा. पंचांगीय गणना में इस बार जो तिथिगत संयोग बना है यानि चतुर्थी का दो बार पड़ना, वही इस अतिरिक्त दिन का वास्तविक कारण है. 

प्रत्येक दिन का नक्षत्र और योग भक्तों की पूजा-साधना और व्रत-निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इस बार के 10 दिवसीय नवरात्रि में घटस्थापना, महाअष्टमी और नवमी पर विशेष शुभ योग बन रहे हैं, जो आराधना और देवी-पूजन के लिए अद्वितीय अवसर प्रदान करते हैं. आइये जानें तो फिर माता के इस पवन पर्व नवरात्रि के नौ दिनों में विशेष नक्षत्र, योग और किस दिन कौन सी देवी की होगी पूजा. 


22 सितंबर 2025: प्रतिपदा (घटस्थापना / दिन 1)




  • तिथि: प्रतिपदा, नवरात्रि आरम्भ
  • सुबह: नक्षत्र: उत्तरफल्गुनी (प्रातः) बाद में दिन में हस्त नक्षत्र में परिवर्तन.
  • मुख्य योग: प्रारम्भिक शुभ योग (दिन में ब्रह्म/शुभ विन्यास मौजूद रहेगा).
  • देवी: माँ शैलपुत्री (घटस्थापना के अनुष्ठान के साथ).
  • महत्वपूर्ण मुहूर्त: घटस्थापना के लिए उत्तम मुहूर्त प्रातः लगभग 06:0908:06 यदि सुबह यह छूटे तो अभिजित/दोपहर का विकल्प उपयोगी होगा.


23 सितंबर 2025 – द्वितीया (दिन 2)




  • सुबह- नक्षत्र: हस्त
  • योग: ब्रह्म/स्थिर शुभ योग पूरे दिन दिखाई देगा.
  • देवी: माँ ब्रह्मचारिणी- तप, संयम और भक्ति पर ज़ोर.
  • शांत ध्यान और रात्रीकालीन जप के अनुकूल दिन.

24 सितंबर 2025 — तृतीया (दिन 3)




  • सुबह-नक्षत्र: चित्रा.
  • योग: इन्द्र-प्रकार का शुभ योग प्रभावी रहेगा.
  • देवी: माँ चंद्रघंटा- साहस और संतुलन के मुखिया दिन.


25 सितंबर 2025 – चतुर्थी (पहला भाग — दिन 4)





  • सुबह-नक्षत्र: स्वाति.
  • योग: वैधृति-प्रकार के योग का प्रारम्भिक प्रभाव.
  • देवी: माँ कुष्मांडा- सृजनात्मक ऊर्जा के साथ पूजा-साधना उपयुक्त.
  • नोट: यह वही चतुर्थी है जिसका दूसरा भाग अगले दिन भी आता है इसी वजह से नवरात्रि लंबी हुई है.

26 सितंबर 2025: चतुर्थी (दूसरा भाग— दिन 5)




  • सुबह-नक्षत्र: विशाखा; दिन के कुछ हिस्सों में अनुराधा में परिवर्तन.
  • योग: विष्कम्भ-योग (रात्रि/प्रारम्भ में)- यह विशेष-योग इस चतुर्थी-वृद्धि का संकेत देता है.
  • देवी: माँ स्कन्दमाता- मातृत्व और आश्रय का भाव.
  • महत्व: इसी वृद्धि दिन के कारण नवरात्रि 10 दिन हुई. भक्तों के लिए अतिरिक्त साधना-अवसर.

27 सितंबर 2025 — पंचमी (दिन 6)




  • सुबह-नक्षत्र: अनुराधा.
  • योग: प्रीति-योग (संबंधों और सामंजस्य के लिए अनुकूल).
  • देवी: माँ कात्यायनी- दृढ़ता और कर्मयोग का दिन.

28 सितंबर 2025 — षष्ठी (दिन 7)





  • सुबह-नक्षत्र: ज्येष्ठा.
  • योग: आयुष्मान-योग- स्वास्थ्य, दीर्घजीवन व कल्याण के संकेत.
  • देवी: माँ कालरात्रि- अज्ञान और भय पर विजय हेतु विशेष पूजा.
  • रात्रीकालीन अनुष्ठान इस दिन अधिक प्रभावी माने जाते हैं.

29 सितंबर 2025 — सप्तमी (दिन 8)




  • सुबह-नक्षत्र: मूल (सुबह के आरम्भ में प्रभावी)
  • योग: सौभाग्य-योग- सौभाग्य, विवाहित जीवन व पारिवारिक शुभकार्य हेतु अनुकूल.
  • देवी: माँ महागौरी- शुद्धि और सौभाग्य की साधना.

30 सितंबर 2025: अष्टमी / महाअष्टमी (दिन 9)




  • सुबह-नक्षत्र: पूर्वाषाढ़ा (प्रातः)-दिन में परिवर्तित हो सकता है.
  • योग: शोभना-योग- पूजा-कार्य और महाअष्टमी के हवन/संधि-पूजा के लिए शुभ.
  • देवी: माँ सिद्धिदात्री/महागौरी के रूप में पूजन का महत्त्व; कई स्थानों पर सरस्वती-पूजन का सिलसिला भी जुड़ सकता है.
  • महाअष्टमी के दिये-हवन, संध्या हवन व विशेष पाठ के मुहूर्त पर ध्यान दें.

1 अक्टूबर 2025: नवमी (दिन 10 — नवरात्रि समापन)




 

  • सुबह-नक्षत्र: उत्तरा-आषाढ़ा (प्रातः).
  • योग: अतिगण्ड-प्रभाव (सुबह के भाग में) नवरात्रि का समापन
  • देवी: नवमी पर सिद्धि-पूजन और कन्या-पूजन का विशेष महत्व.

विशेष शुभ योग-सूची


  • विष्कम्भ-योग- 2526 सितंबर के पार्श्व में प्रभावी रहेगा; संरक्षा/हवन हेतु महत्वपूर्ण.
  • प्रीति-योग- 2627 के मध्य; सामंजस्य और संबंध सुधार के अनुकूल.
  • आयुष्मान-योग-2729 के प्रारम्भिक दिनों में पाया जा रहा है; स्वास्थ्य-वर्धक संकेत.
  • सौभाग्य-योग- 2930 के आरम्भिक भाग में; विवाह-संबंधी या कन्या-पूजन हेतु अनुकूल.
  • शोभना-योग- 30 सितंबर की संध्या/रात्रि तक प्रभावी; महाअष्टमी में हवन/पूजा के लिए प्रशंसनीय.
  • अभिजीत/अमृत/ब्राह्म मुहूर्त- महाअष्टमी/नवमी जैसी बड़ी तिथियों पर छोटे-छोटे अति-शुभ संयोग बन रहे हैं, इनका उपयोग हवन/कलश-स्थापना/कन्या-पूजन के लिए किया जाता है.



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