Monsoon Mandir: ना मौसम विभाग, ना सैटेलाइट! इस मंदिर से पता चलता है कब आएगा मानसून, वैज्ञानिक भी रह गए दंग!
Monsoon Mandir: क्या आपने किसी ऐसे मंदिर के बारें में सुना है जो मौसम को लेकर भविष्यवाणी करता हो। आज हम आपको भारत के एक ऐसे मंदिर के बारें में बताने जा रहे हैं जो कई वर्षों से मानसून को लेकर भविष्यवाणी कर रहा है और हैरान करने वाली बात यह है कि इस मंदिर की भविष्यवाणी सच होती है। इतना ही नहीं मंदिर के इस रहस्य को वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए हैं।
Monsoon Mandir: क्या आपने किसी ऐसे मंदिर के बारें में सुना है जो मौसम को लेकर भविष्यवाणी करता हो। आज हम आपको भारत के एक ऐसे मंदिर के बारें में बताने जा रहे हैं जो कई वर्षों से मानसून को लेकर भविष्यवाणी कर रहा है और हैरान करने वाली बात यह है कि इस मंदिर की भविष्यवाणी सच होती है। इतना ही नहीं मंदिर के इस रहस्य को वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए हैं।
दरअसल उत्तर प्रदेश के कानपुर के निकट स्थित घाटमपुर के बेहटा गांव में एक ऐसा रहस्यमय मंदिर मौजूद है, जो हर साल मानसून से पहले बारिश का संकेत देता है। भगवान जगन्नाथ को समर्पित यह मंदिर केवल श्रद्धा और आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि इसके साथ जुड़ा मौसम पूर्वानुमान आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बना हुआ है।
स्थानीय लोगों की ये मान्यता है कि यह मंदिर करीब 4000 वर्ष पुराना है। गांव वालों का दावा है कि हर साल मानसून के आगमन से लगभग एक सप्ताह पहले, मंदिर के गुंबद से भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा पर पानी की बूंदें गिरने लगती हैं। मंदिर के महंत के मुताबिक यह बूंदें बारिश के स्वरूप का संकेत देती हैं। हल्की नमी कम वर्षा का संकेत मानी जाती है, स्पष्ट बूंदें सामान्य बारिश को दर्शाती हैं, जबकि अधिक मात्रा में गिरती बूंदें अच्छे मानसून का संकेत देती हैं। इस वर्ष भी उन्होंने अच्छे मानसून की संभावना जताई है। यह मंदिर ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर से भी प्राचीन है और यहां मौर्य, गुप्त व सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष भी मिल चुके हैं। रविवार की रात भी मंदिर में प्रतिमा पर बूंदें देखी गईं, जिससे लोगों में एक बार फिर आश्चर्य और आस्था दोनों जाग उठे हैं।
इस अनोखी घटना को लेकर कई वैज्ञानिक अब तक मंदिर का निरीक्षण कर चुके हैं। मंदिर को लेकर वैज्ञानिकों ने यहां दो बार अध्ययन किया है। उनके मुताबिक मंदिर की यह बूंदें पत्थर में जमी नमी के कारण बनती हैं। हालांकि, इसके पीछे का असली कारण अब भी विज्ञान के लिए स्पष्ट नहीं हो पाया है।
स्थानीय लोगों का यह मानना है कि उन्होंने कई सालो से यह चमत्कार देखा है और उनके पूर्वज भी इन्हीं बूंदों के आधार पर खेती के निर्णय लिया करते थे। आज जब विज्ञान भी असमर्थ है, तब यह प्राचीन मंदिर लोगों की आस्था और मौसम के संकेतों का अनोखा संगम बना हुआ है।