मेघनाद के पास थीं कई गुप्त शक्तियां, इंद्र को परास्त कर कहलाया इंद्रजीत, आज रावण के साथ होता है उसका भी दहन
रावण और मंदोदरी के बेटे मेघनाद के पास कई गुप्त और रहस्यमयी शक्तियां थीं। अपनी शक्ति के बल पर उसने इंद्र को भी हरा दिया था, जिसकी वजह से वो इंद्रजीत कहलाया। आज हम आपको बताएंगे कि मेघनाद किन-किन शक्तियों का स्वामी था, साथ ही उसके बारे में और भी कई खास बातें...
रायपुर, एनपीजी डेस्क। रावण और मंदोदरी के बेटे मेघनाद के पास कई गुप्त और रहस्यमयी शक्तियां थीं। अपनी शक्ति के बल पर उसने इंद्र को भी हरा दिया था, जिसकी वजह से वो इंद्रजीत कहलाया। आज हम आपको बताएंगे कि मेघनाद किन-किन शक्तियों का स्वामी था, साथ ही उसके बारे में और भी कई खास बातें...
आज विजयादशमी यानि दशहरे के दिन रावण के साथ-साथ उसके बेटे मेघनाद का भी दहन किया जाता है। मेघनाद बेहद शक्तिशाली योद्धा था, साथ ही वो पिता का आज्ञाकारी पुत्र भी था। वो रावण और मंदोदरी का सबसे बड़ा बेटा था।
मेघनाद के बारे में खास बातें
रावण को एक ऐसा पुत्र चाहिए था जो महाबलशाली हो, महापराक्रमी और अपराजेय हो। चूंकि रावण महाशक्तिशाली और बहुत विद्वान के साथ-साथ बहुत बड़ा ज्योतिष भी था। उसने सभी ग्रहों को भी बंदी बना लिया था। रावण ने सभी ग्रहों को अपने मनमुताबिक अपने बेटे की जन्म कुंडली के 11वें भाव जो लाभ स्थान कहा जाता है, वहां रख दिया। लेकिन रावण के बारे में न्याय के देवता शनिदेव सबकुछ जानते थे। शनिदेव नहीं चाहते थे कि आगे जाकर संसार के लिए कोई मुश्किल खड़ी हो, इसलिए वे 11वें स्थान से खिसकर 12वें स्थान यानि व्यय या हानि भाव में आ गए।
मेघनाद का अर्थ होता है- मेघों की तरह भयंकर गर्जना करने वाला
इसके चलते रावण की अभिलाषा धरी की धरी रह गई। ये बात जब रावण को पता चली, तो वे भयंकर क्रोधित हो गया और शनि के पैर पर प्रहार किया। वाल्मीकि जी ने जो रामायण लिखी है, उसमें लिखा है कि जब मेघनाद का जन्म हुआ, तो वो रोया नहीं बल्कि उसके मुंह से बिजली के कड़कने की आवाज सुनाई देती थी, यही वजह है कि उसका नाम रावण ने मेघनाद रखा था। मेघनाद का अर्थ होता है- मेघों की तरह भयंकर गर्जना करने वाला।
मेघनाद था कई मायावी शक्तियों का स्वामी
मेघनाद के पास एक से बढ़कर एक रासायनिक अस्त्र थे, जिन्हें देख भगवान श्रीराम भी हैरत में पढ़ गए थे। नागपाश मेघनाद का ऐसा ही अस्त्र था, जिसके प्रयोग से वो शत्रु के शरीर में जहरीले सर्पों का विष प्रवेश करा देता था। मेघनाद ने इस अस्त्र का प्रयोग लक्ष्मण पर किया था, लेकिन भगवान गरुड़ की समय रहते मदद मिलने से लक्ष्मण की जान बच गई।
मेघनाद के पास था वैष्णव अस्त्र
मेघनाद के पास वैष्णव अस्त्र था। वानरों को खत्म करने के लिए उसने इस अस्त्र का प्रयोग किया। मेघनाद ने हनुमान जी पर भी वैष्णव अस्त्र का प्रयोग किया, लेकिन ब्रह्मा जी के वरदान के कारण उन पर इस अस्त्र का कोई प्रभाव नहीं हुआ।
शक्ति अस्त्र से मूर्छित हो गए थे लक्ष्मण जी
इस अस्त्र का प्रयोग मेघनाद ने लक्ष्मण जी पर किया था, जिससे व मूर्छित हो गए थे। इस अस्त्र का असर खत्म करने के लिए संजीवनी बूटी का इस्तेमाल किया गया था, जिसे हनुमान जी लेकर आए थे।
ब्रह्मशिरा अस्त्र से 67 करोड़ वानरों को मारा
मेघनाद ने ब्रह्मशिरा अस्त्र के प्रयोग से लगभग 67 करोड़ वानर सैनिकों को मार दिया था।
ब्रह्मा जी से मिला था मेघनाद को अनोखा वरदान
ब्रह्मा जी ने मेघनाद को वरदान दिया था कि अगर वो अपनी कुल देवी निकुंभला देवी का यज्ञ करेंगे, तब इसके पूर्ण होने पर उसे एक ऐसा रथ प्राप्त होगा, जिस पर बैठकर अगर वो कोई भी युद्ध करता है, तो उसे परास्त नहीं किया जा सकेगा और न ही उसका वध ही किया जा सकेगा। ब्रह्मा जी मेघनाद को ये भी वरदान दिया था कि धरती पर जो व्यक्ति 14 सालों तक लगातार नहीं सोया हो, केवल वही उसका वध कर सकेगा और ऐसे सिर्फ लक्ष्मण जी ही थे। उन्होंने ही मेघनाद का अंत किया।