Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ भगवान के भोग का छत्तीसगढ़ से खास कनेक्शन, रथ यात्रा पर अर्पित होता है जांजगीर-चांपा का मालपुआ

रथ यात्रा का पर्व पूरे भारत में बड़े ही हर्षोंउल्लास के साथ मनाया जाता है और रथ यात्रा का भव्य आयोजन ओडिशा में देखने को मिलता है जिसमें सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी कई श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं। भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ बड़े ही उत्साह के रथ यात्रा पर निकलते हैं और इस बार रथ यात्रा का पर्व 27 जून को है। रथ यात्रा के अवसर पर भगवान को विशेष भोग अर्पित किया जाता है।

Update: 2025-06-23 13:35 GMT

Jagannath Rath Yatra 2025

रथ यात्रा का पर्व पूरे भारत में बड़े ही हर्षोंउल्लास के साथ मनाया जाता है और रथ यात्रा का भव्य आयोजन ओडिशा में देखने को मिलता है जिसमें सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी कई श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं। भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ बड़े ही उत्साह के रथ यात्रा पर निकलते हैं और इस बार रथ यात्रा का पर्व 27 जून को है। रथ यात्रा के अवसर पर भगवान को विशेष भोग अर्पित किया जाता है। कहा जाता है कि साल में सिर्फ एक बार ही भगवान को इस भोग को अर्पित किया जाता है ये भोग जितना स्वादिष्ट होता है उतना ही ये खास भी माना जाता है आइए जान लेते हैं कि भगवान का प्रिय भोग क्या है।

छत्तीसगढ़ से अर्पित किया जाता है मालपुए का भोग- 

रथ यात्रा के खास अवसर पर भगवान को मालपुआ का भोग लगता है और ये खास भोग छत्तीसगढ़ से अर्पित किया जाता है। बता दें कि जांजगीर-चांपा से ये विशेष भोग भगवान जगन्नाथ को समर्पित किया जाता है। साल में सिर्फ एक बार ही भगवान इस खास मालपुए का सेवन करते हैं। भगवान के इस खास प्रसाद को पाने के लिए दूर दूर से भक्त पहुंचते हैं। 

कैसे बनता है मालपुआ- 

मालपुआ बनाने के लिए सबसे पहले गेहूं का आटा, गुड़, सौंफ, काली मिर्च, तेल, दूध, और पानी रख लें। सबसे पहले आप स्टील का बर्तन लें उसमें गेहूं का आटा डाले फिर गुड़ डालें और सौंफ, काली मिर्च, इलाइची पाउडर डालें फिर गर्म दूध और थोड़ा सा पानी डालकर घोल को मिला लें। याद रखें कि गेंहूं का घोल गाढ़ा होना चाहिए ज्यादा पतला ना हो फिर इस घोल को 30 मिनट के लिए रख दें उसके बाद गैस ऑन करें और तेल गर्म कर मालपुआ तले ध्यान रहे कि एक बार में एक ही मालपुआ डालें अगर आपकी कढ़ाई बड़ी है तो एक साथ तीन चार मालपुआ भी डाल सकते हैं मालपुआ को आपस में चिपकने ना दें इसे हल्की आंच में लाल होने तक सेकें। उसके बाद मालपुआ बाहर निकाल लें। अब इस मालपुआ में तुलसी का पत्ता डालकर भगवान जगन्नाथ को भोग लगाएं और प्रसाद का सेवन करें।

मालपुआ क्यों है खास

मालपुआ को लेकर ये बात कही जाती है कि ये खास प्रसाद भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। मालपुए का भोग भगवान को अति प्रिय है कहा जाता है कि मालपुए का भोग लगाने से भगवान प्रसन्न होते हैं। इस प्रसाद को पाने के लिए भक्त घंटो भीड़ में खड़े रहते हैं क्योंकि ये भोग सिर्फ प्रसाद नहीं बल्कि भगवान का आशीर्वाद भी माना जाता है।

कहा जाता है कि रथ यात्रा के पहले भगवान बीमार होते हैं 15 दिन तक भगवान बीमार पड़ते हैं फिर रथयात्रा का आयोजन होता है जहां वे अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। पुरी रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ रथ यात्रा पर निकलते हैं। ऐसी मान्यता है कि रथ यात्रा में शामिल होने से भक्तों के जीवन के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उन्हे मोक्ष मिलता है।

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