Mana Durga Puja Pandal 2025 : रायपुर में होंगे अक्षरधाम के दर्शन, यहाँ पंचमी से विराजेंगी माँ दुर्गा, जानिए क्या होता है "चक्षु दान"
Mana Durga Puja 2025 : दुर्गा उत्सव समिति की ओर से पिछले 62 साल से दुर्गा पूजा उत्सव का आयोजन किया जा रहा है.
Mana Durga Puja 2025 : शारदीय नवरात्र पर माँ भगवती की भक्ति बड़े जोर-शोर से चल रही है. माँ के लिए शहर में एक से बढ़कर एक पंडाल बनाये गए हैं. लेकिन एक पंडाल रायपुर में चर्चा का विषय बना हुआ है और वो है अक्षरधाम पंडाल.
जी हां इस बार आपको नवरात्र के अवसर पर रायपुर शहर में ही अक्षरधाम देखने का सौभाग्य प्राप्त होगा. हम बात कर रहे हैं रायपुर शहर के सबसे बड़े दुर्गा पंडाल (Mana Durga Puja Pandal 2025) माना की, जो पूरे प्रदेश में चर्चित है और यहाँ हर साल लाखों लोग बंगाली समाज समेत माँ की आराधना के लिए आते हैं.
यह जगह रायपुर में बच्चों से लेकर बड़ों तक माँ की आराधना के साथ-साथ घूमने के लिए भी नवरात्र पर वन ऑफ़ द फेवरेट जगह है. इस शारदीय नवरात्र माना का दुर्गा पंडाल आकर्षण का केंद्र बना है. इस पंडाल को अक्षरधाम मंदिर के तर्ज पर बनाया गया है. स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर की तर्ज पर बने इस पंडाल को कोलकाता के लगभग 40 कारीगरों के द्वारा ढाई महीने में तैयार किया गया है. अक्षरधाम मंदिर के थीम पर बनाए गए इस पंडाल में ऑस्ट्रेलियन प्लाईवुड, बांस, थर्माकोल और कपड़े का उपयोग किया गया.
"चक्षु दान" : नवरात्र के पंचमी के दिन से मां दुर्गा होंगी विराजित- Mana Durga Puja Pandal 2025
मिली जानकारी के अनुसार बंगाली समाज में यह परंपरा रही है कि नवरात्र के पंचमी के दिन से मां दुर्गा को विराजित किया जाता है. बंगाली समाज में नवरात्र के पांचवें दिन बेल पूजा का कार्यक्रम आयोजित होता है और उसी दिन मां दुर्गा को विधि विधान से पंडाल में विराजित किया जाता है. यह पूजा चक्षु दान कहलाती है.
भारतीय परंपरा में चक्षु दान का विशेष आध्यात्मिक महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि जब तक देवी दुर्गा की प्रतिमा में नेत्र नहीं बनाए जाते, तब तक उसमें देवी का आत्मिक वास नहीं होता। जैसे ही माँ के नेत्र बनाए जाते हैं, उसी क्षण उसमें दिव्य ऊर्जा का संचार होता है — यह केवल एक कलात्मक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक गहन श्रद्धा और आत्मिक समर्पण का प्रतीक है।
दुर्गा पूजा का बजट लगभग 40 से 45 लाख
माना दुर्गा उत्सव समिति के अनुसार हर साल यहां के पंडाल में नए थीम और नई तरह के डेकोरेशन किए जाते हैं. इस बार भी समिति ने कुछ अलग करने की कोशिश की है. थर्माकोल से डेढ़ महीने में पंडाल तैयार किया गया है. अक्षरधाम की थीम पर बने पंडाल का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद कोलकाता के कारीगर वापस चले गए हैं. हालांकि कुछ काम अभी भी चल रहा है. इस बार का दुर्गा पूजा का बजट लगभग 40 से 45 लाख का है.
गौरतलब है की दुर्गा उत्सव समिति की ओर से पिछले 62 साल से दुर्गा पूजा उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. दुर्गा पंडाल के ठीक बाजू में मीना बाजार और मेले का भी आयोजन किया जाता है.