Mahakal Bhasma Aarti Live Today : उज्जैन से भस्म आरती लाइव, कालों के काल महाकाल का मनमोहक रूप, घर बैठे करें दर्शन
Mahakal Bhasma Aarti Live Today : धार्मिक नगरी उज्जैन में आज 18 दिसम्बर सुबह का सूर्योदय आध्यात्मिक ऊर्जा और श्रद्धा के अद्भुत संगम के साथ हुआ।
Mahakal Bhasma Aarti Live Today : उज्जैन से भस्म आरती लाइव, कालों के काल महाकाल का मनमोहक रूप, घर बैठे करें दर्शन
Mahakal Bhasma Aarti Live Today : उज्जैन। धार्मिक नगरी उज्जैन में आज 18 दिसम्बर सुबह का सूर्योदय आध्यात्मिक ऊर्जा और श्रद्धा के अद्भुत संगम के साथ हुआ। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान श्री महाकालेश्वर के दरबार में रोज की तरह आज भी तड़के भस्म आरती का भव्य आयोजन किया गया। ब्रह्म मुहूर्त में जब पूरा शहर निद्रा में था, तब महाकाल मंदिर के पट खुलते ही शंखनाद और डमरूओं की गूंज ने चारों दिशाओं को शिवमय कर दिया।
Mahakal Bhasma Aarti Live Today : परंपरा के अनुसार, सबसे पहले भगवान महाकाल का जलाभिषेक किया गया, जिसके बाद दूध, दही, घी, शक्कर और शहद से बने पंचामृत से बाबा का अभिषेक हुआ। आज के विशेष श्रृंगार में बाबा महाकाल को भांग, सूखे मेवे और चंदन से बेहद आकर्षक रूप में सजाया गया। जैसे ही महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भस्म अर्पित की गई, पूरा नंदी हॉल और कार्तिकेय मंडपम 'जय महाकाल' के उद्घोष से गुंजायमान हो उठा। आरती के दौरान कपूर की खुशबू और मंत्रोच्चार ने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। बड़ी संख्या में देश-विदेश से आए भक्तों ने इस अलौकिक दृश्य का लाभ उठाया और कतारबद्ध होकर बाबा के दर्शन किए।
आरती के पश्चात दिनभर के विशेष आयोजन
भस्म आरती के इस दिव्य आयोजन के संपन्न होने के बाद आज मंदिर और शहर में धार्मिक गतिविधियों का सिलसिला निरंतर जारी रहेगा। सुबह की आरती के बाद अब भगवान महाकाल का नियमित राजभोग श्रृंगार किया जाएगा, जिसमें उन्हें विशेष पकवानों का भोग लगाया जाएगा। इसके साथ ही, आज मंदिर परिसर के अन्य देवालयों में भी विशेष अभिषेक और शांति पाठ के आयोजन रखे गए हैं। दोपहर में श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क अन्नक्षेत्र में विशेष प्रसादी का वितरण होगा। शाम के समय संध्या आरती में बाबा का भव्य श्रृंगार बदला जाएगा, जिसे देखने के लिए स्थानीय नागरिकों की भारी भीड़ जुटने की संभावना है। वहीं, शिप्रा तट पर भी आज विशेष दीप दान और आरती के कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की गई है, जिससे पूरी अवंतिका नगरी में आज उत्सव जैसा माहौल बना रहेगा।
देवाधिदेव महादेव का स्वरूप और महाकाल मंदिर की अविस्मरणीय विरासत
भगवान भोलेनाथ का स्वरूप अनंत है, जो सृष्टि के सृजन, पालन और संहार के चक्र को अपने भीतर समेटे हुए हैं। वे जितने सरल हैं कि मात्र एक लोटा जल और बेलपत्र से प्रसन्न होकर 'आशुतोष' कहलाते हैं, उतने ही रौद्र भी कि उनके तीसरे नेत्र के खुलने मात्र से ब्रह्मांड का अहंकार भस्म हो जाता है। उनके मस्तक पर चंद्रमा शीतलता का प्रतीक है, तो कंठ में विष अग्नि की तीव्रता को शांत करता है। जटाओं से बहती मां गंगा और देह पर लिपटे सर्प इस बात का प्रमाण हैं कि शिव विष और अमृत, जीवन और मृत्यु, तथा वैराग्य और गृहस्थ जीवन के बीच का वह संतुलन हैं, जो पूरे संसार को थामे हुए है। उनका 'भोला' होना उनकी करुणा को दर्शाता है, जो अपने भक्तों के लिए काल को भी जीत लेते हैं।
उज्जैन की इस पावन धरा पर स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विरासत हजारों वर्षों के इतिहास और अटूट श्रद्धा को खुद में संजोए हुए है। महाकाल मंदिर विश्व का एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है, जिसे शास्त्रों में तंत्र साधना और मोक्ष प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम माना गया है। प्राचीन ग्रंथों और कालिदास के मेघदूतम में भी इस भव्य मंदिर की महिमा का वर्णन मिलता है। मंदिर की स्थापत्य कला मराठा, भूमिज और चालुक्य शैलियों का एक अनूठा संगम है। यहाँ का तीन मंजिला शिखर आकाश को छूता प्रतीत होता है, जिसके सबसे निचले तल पर महाकालेश्वर, मध्य में ओंकारेश्वर और ऊपरी तल पर भगवान नागचंद्रेश्वर विराजते हैं, जिनके दर्शन वर्ष में केवल एक बार नागपंचमी पर होते हैं।
मंदिर की सबसे बड़ी विरासत यहाँ की 'भस्म आरती' है, जो सदियों से चली आ रही एक अनूठी परंपरा है। यह आरती जीवन की नश्वरता और शिव के अविनाशी होने का संदेश देती है। उज्जैन की यह विरासत केवल पत्थरों और मूर्तियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वह जीवंत ऊर्जा है जो शिप्रा नदी के तट पर हर युग में संतों, राजाओं और आम भक्तों को अपनी ओर खींचती रही है। महाकाल की यह नगरी कालचक्र से ऊपर है, जहाँ महादेव 'कालों के काल' बनकर अपनी प्रजा की रक्षा करते हैं और भारतीय संस्कृति की आध्यात्मिक चेतना को अमर बनाए हुए हैं।