Mahakal Bhasm Aarti Today : भस्म की वर्षा, डमरू की गूँज, क्रिसमस की सुबह आरती में उमड़ा आस्था का सैलाब, अलौकिक दर्शन से निहाल हुए भक्त, आप भी करें घर बैठे दर्शन
Mahakal Bhasm Aarti Today : साल के अंतिम सप्ताह और कड़ाके की ठंड के बीच आज तड़के 3:00 बजे जब मंदिर के पट खुले, तो हर-हर महादेव के जयघोष से आकाश गूंज उठा।
Mahakal Bhasm Aarti Today : भस्म की वर्षा, डमरू की गूँज, क्रिसमस की सुबह आरती में उमड़ा आस्था का सैलाब, अलौकिक दर्शन से निहाल हुए भक्त, आप भी करें घर बैठे दर्शन
Ujjain Mahakal Live 25 December 2025 : उज्जैन : आज 25 दिसंबर की सुबह जब पूरी दुनिया उत्सव के माहौल में थी, तब उज्जैन की क्षिप्रा तट पर स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के आंगन में भक्ति का एक अलग ही नजारा देखने को मिला। साल के अंतिम सप्ताह और कड़ाके की ठंड के बीच आज तड़के 3:00 बजे जब मंदिर के पट खुले, तो हर-हर महादेव के जयघोष से आकाश गूंज उठा। आज मार्गशीर्ष मास की पंचमी तिथि पर बाबा महाकाल का दिव्य दरबार पूरी तरह श्रद्धालुओं से खचाखच भरा हुआ था।
Ujjain Mahakal Live 25 December 2025 : आज की भस्म आरती का अलौकिक दृश्य आज सुबह की भस्म आरती बेहद खास रही। नियम के अनुसार, सबसे पहले बाबा का जलाभिषेक किया गया और फिर दूध, दही, घी, शहद व शक्कर के पंचामृत मिश्रण से अभिषेक हुआ। इसके बाद आज बाबा महाकाल को विशेष रूप से भांग, चंदन और सूखे मेवों से सजाया गया।
आरती के दौरान जब महानिर्वाणी अखाड़े के साधुओं ने ताजे भस्म की वर्षा की, तो पूरा नंदी हॉल और कार्तिकेय मंडपम शिवमय हो गया। आज बाबा का श्रृंगार एक राजा के रूप में किया गया था, जिनके मस्तक पर चांदी का छत्र और मस्तक पर दिव्य त्रिपुंड शोभायमान था।
दिन भर का आरती कार्यक्रम : कब और कैसे होंगे दर्शन?
यदि आप आज मंदिर में हैं या दर्शन की योजना बना रहे हैं, तो भस्म आरती के बाद होने वाली इन आरतियों का क्रम और समय आपके लिए महत्वपूर्ण है:
1. दद्योदक आरती (सुबह 7:30 से 8:15)
भस्म आरती के विश्राम के बाद भगवान का पुन: पूजन होता है। इसे 'दद्योदक आरती' कहा जाता है। इसमें बाबा को विशेष रूप से दही और मीठे चावल का भोग लगाया जाता है। यह आरती उन भक्तों के लिए बहुत सुखद होती है जो भस्म आरती में शामिल नहीं हो पाए।
2. भोग आरती (सुबह 10:30 से 11:15)
यह मंदिर की सबसे भव्य मध्याह्न आरती है। इसमें भगवान महाकाल को राजसी भोजन अर्पण किया जाता है। आज पर्यटकों की भारी भीड़ के चलते भोग आरती के समय विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई है। इस दौरान ढोल-नगाड़ों की थाप पर पूरा मंदिर परिसर झूम उठता है।
3. संध्या कालीन पूजन (शाम 5:00 से 5:45)
शाम ढलते ही बाबा महाकाल का अभिषेक और विशेष पूजन शुरू होता है। इस समय मंदिर की लाइटिंग और महाकाल लोक की भव्यता देखते ही बनती है। यह समय ध्यान और शांति के लिए उत्तम माना जाता है।
4. संध्या आरती (शाम 6:30 से 7:15)
यह शाम की मुख्य आरती है। इस समय बाबा का श्रृंगार उतारकर पुन: नया श्रृंगार किया जाता है। शाम की इस आरती में कपूर और धूप की खुशबू पूरे परिसर को महका देती है। इस समय दर्शनार्थियों की संख्या अपने चरम पर होती है।
5. शयन आरती (रात 10:30 से 11:00)
दिन की अंतिम आरती 'शयन आरती' होती है। इसमें बाबा को विश्राम कराया जाता है। पुजारियों द्वारा मधुर भजनों का गायन होता है और भगवान को शयन वस्त्र धारण कराए जाते हैं। इसके बाद गर्भगृह के पट अगले दिन तड़के तक के लिए बंद कर दिए जाते हैं।
प्रशासनिक सतर्कता और श्रद्धालुओं का उत्साह
25 दिसंबर 2025 को क्रिसमस और साल के अंत की छुट्टियों के कारण उज्जैन में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है। भक्तों की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्थानीय प्रशासन और मंदिर प्रबंध समिति ने विशेष यातायात और दर्शन व्यवस्था लागू की है। यदि आप आज बाबा महाकाल के दर्शन के लिए जा रहे हैं, तो यह जानना जरूरी है कि शहर के भीतर निजी वाहनों का प्रवेश कई मार्गों पर प्रतिबंधित कर दिया गया है। इंदौर, देवास और आगर की ओर से आने वाले वाहनों के लिए शहर के बाहरी हिस्सों में विशाल पार्किंग स्थल बनाए गए हैं, जहाँ से मंदिर तक पहुँचने के लिए प्रशासन द्वारा निशुल्क शटल बसों का संचालन किया जा रहा है।
दर्शन की सुगमता के लिए प्रशासन ने प्रवेश मार्गों को श्रेणियों में विभाजित किया है। सामान्य दर्शनार्थियों के लिए प्रवेश का मुख्य केंद्र मानसरोवर भवन को बनाया गया है। यहाँ से श्रद्धालु 'महाकाल लोक' के भव्य गलियारे से होते हुए कतारबद्ध होकर मंदिर के गर्भगृह की ओर बढ़ रहे हैं। भीड़ के दबाव को देखते हुए कतारों को ज़िग-ज़ैग तरीके से व्यवस्थित किया गया है ताकि भक्तों को धूप और अव्यवस्था से बचाया जा सके। वहीं, जिन श्रद्धालुओं ने 250 की शीघ्र दर्शन रसीद ली है, उनके लिए गेट नंबर 4 और 5 से प्रवेश की अलग व्यवस्था है, जिससे वे कम समय में भगवान के दर्शन कर पा रहे हैं।
पार्किंग की व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के लिए कर्कराज पार्किंग को मुख्य केंद्र बनाया गया है, जहाँ बड़ी बसों और चार पहिया वाहनों को पार्क किया जा रहा है। इसके अलावा, दोपहिया वाहनों के लिए भील समाज पार्किंग और हरसिद्धि माता मंदिर के समीप छोटे पार्किंग स्थल चिह्नित किए गए हैं। श्रद्धालुओं को सलाह दी गई है कि वे अपने जूते-चप्पल और कीमती सामान जैसे मोबाइल या बैग या तो अपने रुकने के स्थान पर छोड़ दें या मानसरोवर गेट पर स्थित निशुल्क क्लॉक रूम में जमा करें, ताकि मंदिर के भीतर प्रवेश करते समय उन्हें किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
महाकाल दर्शन के पश्चात यदि आप काल भैरव, हरसिद्धि माता या मंगलनाथ मंदिर जाने की योजना बना रहे हैं, तो मुख्य सड़कों के बजाय रिंग रोड का उपयोग करना बेहतर होगा। आज शाम को रामघाट पर होने वाली शिप्रा आरती के समय भी भारी भीड़ रहने की संभावना है, इसलिए वहाँ समय से पहले पहुँचना उचित रहेगा। प्रशासन ने पूरे क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों और सादे कपड़ों में पुलिस बल की तैनाती की है ताकि सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता रहे। भक्तों से अनुरोध किया जा रहा है कि वे धैर्य बनाए रखें और मंदिर समिति के निर्देशों का पालन करें ताकि इस विशेष दिन पर उनकी धार्मिक यात्रा सुखद और मंगलमय हो सके।