Mahakal Bhasm Aarti Live Today : उज्जैन से बाबा महाकाल की दिव्य भस्म आरती का सीधा प्रसारण, देखिए भगवान का अलौकिक श्रृंगार और अभिषेक की पूरी विधि लाइव

Mahakal Bhasm Aarti Live Today : विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल के दरबार में आज भोर की बेला में आस्था का अनूठा संगम देखने को मिला।

Update: 2025-12-19 00:57 GMT

Mahakal Bhasm Aarti Live Today : उज्जैन से बाबा महाकाल की दिव्य भस्म आरती का सीधा प्रसारण, देखिए भगवान का अलौकिक श्रृंगार और अभिषेक की पूरी विधि लाइव

Mahakal Bhasm Aarti Live Today : उज्जैन : विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल के दरबार में आज भोर की बेला में आस्था का अनूठा संगम देखने को मिला। कड़ाके की ठंड के बीच हजारों भक्तों ने जय श्री महाकाल के जयघोष के साथ अपने दिन का मंगलमय आरंभ किया।

Mahakal Bhasm Aarti Live Today : भस्म आरती और श्रृंगार का वैभव, ब्रह्म मुहूर्त में पट खुलते ही सबसे पहले बाबा का जलाभिषेक और पंचामृत स्नान कराया गया। इसके पश्चात भगवान का अत्यंत मनमोहक भांग श्रृंगार किया गया। सूखे मेवों, अबीर और चंदन के लेपन से बाबा का दिव्य मुखारविंद तैयार किया गया। महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भस्म अर्पित करते ही पूरा गर्भगृह भक्तिमय ऊर्जा से भर उठा। डमरू और शंख की मंगल ध्वनि के बीच संपन्न हुई इस आरती ने हर श्रद्धालु को भावविभोर कर दिया।

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Mahakal Bhasm Aarti Live Today : सुबह की आरती के बाद

आम दर्शन का प्रारंभ: भस्म आरती की पूर्णता के बाद पट आम दर्शनार्थियों के लिए खोल दिए गए हैं। दर्शन की कतारें महाकाल लोक तक पहुंच गई हैं, जहाँ श्रद्धालु सुगमता से बाबा के दर्शन कर रहे हैं।

भोग आरती (प्रातः 10:30 बजे): भस्म आरती के बाद अगली प्रमुख गतिविधि 'भोग आरती' होगी। इसमें बाबा को चांदी के थाल में राजसी भोजन अर्पित किया जाएगा।

अन्नक्षेत्र में सेवा: मंदिर समिति के अन्नक्षेत्र में भक्तों के लिए शुद्ध प्रसादी का वितरण शुरू हो गया है। श्रद्धालु दर्शन के पश्चात यहाँ भोजन प्रसाद ग्रहण करेंगे।

नगर दर्शन का सिलसिला: महाकाल दर्शन के बाद श्रद्धालु अब हरसिद्धि माता, काल भैरव और मंगलनाथ मंदिर की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे पूरे अवंतिका नगर में एक उत्सव जैसा वातावरण बना हुआ है।

उज्जैन में बाबा महाकाल के दर्शन के बाद श्रद्धालुओं के लिए अवंतिका नगरी (उज्जैन) के अन्य तीर्थों का दर्शन करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ की यात्रा तभी पूर्ण मानी जाती है जब आप इन प्रमुख स्थानों पर शीश नवाते हैं:

महाकाल दर्शन के बाद इन प्रमुख स्थानों पर जाएँ

काल भैरव मंदिर: परंपरा के अनुसार, महाकाल के दर्शन के बाद काल भैरव के दर्शन अनिवार्य हैं। इन्हें उज्जैन का 'सेनापति' माना जाता है। यहाँ भगवान को मदिरा का भोग लगाने की प्राचीन परंपरा है।

हरसिद्धि माता मंदिर: यह शक्तिपीठ महाकाल मंदिर के समीप ही स्थित है। यहाँ माता सती की कोहनी गिरी थी। शाम के समय यहाँ के विशाल दीप स्तंभों को जलते देखना एक अलौकिक अनुभव होता है।

मंगलनाथ मंदिर: उज्जैन को पृथ्वी का केंद्र माना जाता है और यह स्थान मंगल ग्रह की जन्मभूमि है। जिन भक्तों की कुंडली में मंगल दोष होता है, वे यहाँ विशेष पूजा के लिए आते हैं।

सांदीपनि आश्रम: यह वह ऐतिहासिक स्थान है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा ने गुरु सांदीपनि से शिक्षा ग्रहण की थी। यहाँ आज भी वह अंकपाद स्थान है जहाँ भगवान अपनी पट्टी धोते थे।

गढ़कालिका और भर्तृहरी गुफा: तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध माँ गढ़कालिका का मंदिर और राजा भर्तृहरी की तपस्या स्थली (गुफा) भी दर्शन योग्य हैं।

उज्जैन मंदिर की गौरवशाली विरासत

उज्जैन की विरासत केवल पत्थरों और नक्काशी में नहीं, बल्कि यहाँ के कण-कण में रची-बसी आध्यात्मिकता में है। क्षिप्रा नदी के तट पर बसी यह नगरी अवंतिका के नाम से जानी जाती है, जो सात मोक्षदायिनी नगरियों में से एक है। महाकालेश्वर मंदिर की संरचना मराठा, भूमिज और चालुक्य वास्तुकला का अद्भुत मिश्रण है। मंदिर का 'दक्षिणमुखी' होना इसे अन्य सभी ज्योतिर्लिंगों से विशिष्ट बनाता है, जो काल (मृत्यु) पर विजय का प्रतीक है।

यहाँ की विरासत का सबसे जीवंत हिस्सा सिंहस्थ कुंभ है, जो हर 12 वर्ष में पूरी दुनिया को अपनी ओर खींचता है। सम्राट विक्रमादित्य के न्याय और कालिदास के साहित्य की साक्षी यह नगरी आज 'महाकाल लोक' के निर्माण के बाद आधुनिकता और प्राचीनता का एक नया मेल प्रस्तुत कर रही है। यहाँ की गलियों में शिव पुराण की कथाएँ और पत्थरों पर उकेरी गई देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ आज भी भारत के स्वर्णिम काल की गवाही देती हैं।

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