Mahakal Bhasm Aarti Live Today : भस्म से सजे अघोरी स्वरूप : देखिए उज्जैन के राजा महाकालेश्वर की आज सुबह की सबसे भव्य आरती
Mahakal Bhasm Aarti Live Today : धार्मिक नगरी उज्जैन में आज सुबह की शुरुआत बाबा महाकाल के जयघोष और दिव्य भस्म आरती के साथ हुई।
Mahakal Bhasm Aarti Live Today : भस्म से सजे अघोरी स्वरूप : देखिए उज्जैन के राजा महाकालेश्वर की आज सुबह की सबसे भव्य आरती
Mahakal Bhasm Aarti Live Today : 24 दिसंबर 2025 उज्जैन। धार्मिक नगरी उज्जैन में आज सुबह की शुरुआत बाबा महाकाल के जयघोष और दिव्य भस्म आरती के साथ हुई। ब्रह्म मुहूर्त में जब पूरी दुनिया सो रही होती है, तब महाकालेश्वर मंदिर के कपाट 'जय श्री महाकाल' के गूँजते उद्घोष के साथ खोले गए। सबसे पहले भगवान का जलाभिषेक किया गया, जिसके बाद दूध, दही, शहद और फलों के रसों से बाबा का पंचामृत अभिषेक संपन्न हुआ।
Mahakal Bhasm Aarti Live Today : आज सुबह की भस्म आरती का दृश्य अत्यंत मनमोहक था। भगवान महाकाल को भांग, चंदन और सूखे मेवों से विशेष रूप से श्रृंगारित किया गया। इसके पश्चात महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से बाबा को ताजी भस्म अर्पित की गई। झालर, शंख और नगाड़ों की गूँज के बीच हुई इस आरती ने श्रद्धालुओं को भक्ति के चरम आनंद से सराबोर कर दिया। मंदिर परिसर में मौजूद हजारों भक्तों ने इस अलौकिक दृश्य का लाभ लिया और बाबा का आशीर्वाद प्राप्त किया।
द्युति आरती (प्रातः कालीन): भस्म आरती के संपन्न होने के कुछ समय बाद भगवान की नियमित पूजा होती है, जिसे 'द्युति आरती' कहा जाता है। इसमें बाबा का शुद्ध जल से अभिषेक कर उन्हें नए वस्त्र और आभूषण धारण कराए जाते हैं।
भोग आरती (दोपहर): दोपहर के समय भगवान महाकाल को विशेष नैवेद्य अर्पण किया जाता है। इस 'भोग आरती' में बाबा को शुद्ध सात्विक भोजन का भोग लगाया जाता है। यह आरती काफी भव्य होती है और इसमें बड़ी संख्या में दर्शनार्थी शामिल होते हैं।
संध्या आरती (शाम): शाम ढलते ही मंदिर में संध्या आरती का आयोजन होता है। इस समय पूरा मंदिर दीपों की रोशनी से जगमगा उठता है। शाम की आरती में बाबा का रूप बेहद सौम्य और आकर्षक दिखाई देता है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
शयन आरती (रात्रि): दिन की अंतिम आरती 'शयन आरती' होती है। इस समय भगवान को विश्राम के लिए तैयार किया जाता है। भक्ति गीतों और शांत वातावरण के बीच बाबा की यह आरती की जाती है, जिसके बाद मंदिर के पट रात भर के लिए बंद कर दिए जाते हैं।
उज्जैन में भगवान महाकालेश्वर के दर्शन और विशेष रूप से भस्म आरती के लिए बुकिंग प्रक्रिया को समझना बहुत जरूरी है। यदि आप भस्म आरती में शामिल होना चाहते हैं, तो इसके लिए सबसे सुरक्षित और आसान तरीका ऑनलाइन बुकिंग है। आपको श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर 'भस्म आरती बुकिंग' के विकल्प को चुनना होता है। यहाँ आपको अपनी यात्रा की तारीख, आधार कार्ड की जानकारी और अपना फोटो अपलोड करना पड़ता है। याद रखें कि भस्म आरती की बुकिंग अक्सर एक महीने पहले ही खुल जाती है और बहुत जल्दी फुल हो जाती है, इसलिए अपनी यात्रा तय होते ही इसे बुक कर लेना चाहिए।
ऑनलाइन के अलावा एक ऑफलाइन विकल्प भी उपलब्ध है, लेकिन इसमें टिकट मिलना थोड़ा अनिश्चित होता है। इसके लिए आपको दर्शन की तारीख से ठीक एक दिन पहले सुबह-सुबह मंदिर के पास बने भस्म आरती काउंटर पर जाकर लाइन में लगना होता है। यहाँ अपना आधार कार्ड दिखाकर आप फॉर्म भर सकते हैं। यदि कोटा खाली होता है, तो आपको अगले दिन की सुबह वाली आरती के लिए अनुमति मिल जाती है। भस्म आरती के लिए प्रति व्यक्ति शुल्क लगभग 200 होता है और इसमें शामिल होने के लिए विशेष ड्रेस कोड (पुरुषों के लिए धोती और महिलाओं के लिए साड़ी) का पालन करना अनिवार्य है।
यदि आप केवल सामान्य दर्शन करना चाहते हैं और भस्म आरती में शामिल नहीं हो रहे हैं, तो आप सीधे मंदिर पहुँचकर कतार में लग सकते हैं। जिन भक्तों के पास समय कम होता है, उनके लिए मंदिर प्रशासन ने 'शीघ्र दर्शन' की व्यवस्था भी की है। इसके लिए आप मंदिर परिसर के काउंटर से 250 की रसीद कटवा सकते हैं, जिससे आप एक अलग और छोटी लाइन के माध्यम से जल्दी दर्शन कर पाते हैं। वहीं अगर आप बाबा महाकाल के गर्भगृह में जाकर अभिषेक करना चाहते हैं, तो उसके लिए 1500 की विशेष रसीद लेनी होती है, जिसमें निर्धारित नियमों और समय के अनुसार प्रवेश दिया जाता है।
भगवान महाकालेश्वर की महिमा अपरंपार है, क्योंकि वे बारह ज्योतिर्लिंगों में एकमात्र ऐसे ज्योतिर्लिंग हैं जो दक्षिणमुखी हैं। तंत्र शास्त्र और अध्यात्म में दक्षिण दिशा को काल (मृत्यु) की दिशा माना जाता है, और चूंकि शिव स्वयं 'कालों के काल' महाकाल हैं, इसलिए वे इस दिशा के स्वामी बनकर अपने भक्तों को अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाते हैं। उज्जैन की इस पावन धरा को पृथ्वी का केंद्र (नाभि स्थान) माना जाता है, जहाँ बाबा महाकाल युगों-युगों से विराजमान होकर संपूर्ण सृष्टि का संचालन कर रहे हैं। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से महाकाल के दरबार में हाजिरी लगा देता है, उसके जीवन के सारे कष्ट मिट जाते हैं और उसे जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है।
महाकाल की महिमा का सबसे अनूठा स्वरूप उनकी भस्म आरती में देखने को मिलता है, जो पूरी दुनिया में केवल यहीं संपन्न होती है। शिव का भस्म से श्रृंगार इस सत्य का प्रतीक है कि यह संसार नश्वर है और अंत में सब कुछ राख (भस्म) में मिल जाना है, लेकिन शिव शाश्वत हैं। बाबा महाकाल को उज्जैन का राजा माना जाता है; प्राचीन काल से यह परंपरा चली आ रही है कि उज्जैन में कोई दूसरा राजा रात नहीं गुजार सकता। उनकी सवारी हो या उनका दिव्य श्रृंगार, हर रूप भक्तों के भीतर एक नई ऊर्जा और श्रद्धा का संचार करता है। यहाँ आने वाला हर श्रद्धालु खाली हाथ नहीं लौटता, क्योंकि महाकाल की कृपा मात्र उनके दर्शन मात्र से ही प्राप्त हो जाती है।