Mahadev Dongri : छत्तीसगढ़ का द्रोणागिरी पर्वत है "महादेव डोंगरी", जड़ी-बूटियों में भगवान शिव का आशीर्वाद... संजीवनी बूटी की तरह यहाँ हर मर्ज की दवा

महादेव डोंगरी : आज हम आपको छत्तीसगढ़ के उस शिव मंदिर के दर्शन कराएँगे जो प्रकृति की गोद में, मैकल पर्वत श्रेणी के बीच में बसा हुआ है. कहा जाता है कि, इस पहाड़ी पर दुर्लभ जड़ी बूटियों का खजाना है. आज भी भोलेनाथ की कृपा यहां लोगों पर बरसती है'.

Update: 2024-08-05 09:29 GMT

Mahadev Dongri : श्रीराम-रावण युद्ध में मेघनाद के दिव्यास्त्र से लक्ष्मण मुर्छित हो गए थे, तब हनुमानजी द्रोणागिरी पर्वत संजीवनी बूटी लेने के लिए आए थे, ठीक वैसे ही एक पर्वत छत्तीसगढ़ के डोंगरगांव में है. हम बात कर रहे हैं डोंगरगांव से करीब 12 किलोमीटर दूर तिलईरवार गांव में महादेव पहाड़ी की. इस पहाड़ी को स्थानीय भाषा में महादेव डोंगरी के नाम से जाना जाता है.

यहां का दृश्य बेहद ही मनोरम और तृप्त कर देने वाला है. वहीं भगवान शंकर का मंदिर आध्यात्मिक चेतना को जगाने वाला है. यहां सैकड़ों साल पुरानी महादेव की प्राचीन मूर्तियां भी हैं. वहीं विशेष मौके पर वैद्य समुदाय शिवशंकर का आशीर्वाद लेकर लोगों के इलाज के लिए यहां से जड़ी-बूटी इकट्ठा करते हैं. कहा जाता है कि यहां कि जड़ी-बूटियों में भगवान शिव का आशीर्वाद है.


पहुंच मार्ग

राजनांदगांव जिला मुख्यालय से नागपुर रोड में टप्पा होते हुए गांव तिलईरवार से पहाड़ी पर विराजित भगवान शिव के दर्शन करने के साथ ही प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठा सकते हैं. वहीं दूसरी ओर ब्लॉक मुख्यालय डोंगरगांव से मारगांव, गिरगांव होते हुए माहुलझोपड़ी के समीप से इस महादेव डोंगरी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है.


संतान प्राप्ति के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं 



भगवान शिव की अलौकिक प्रतिमा प्रकृति की गोद में बसी छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है. यहां मां आदिशक्ति दुर्गा की दिव्य प्रतिमा भी स्थापित है. यहां के लोगों की मान्यता है कि महादेव पहाड़ पर विराजे भगवान शंकर और मां शीतला की पूजा से सभी मनोकामना पूर्ण होती है. संतान प्राप्ति के लिए भक्त दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. भगवान शिव की प्रतिमा और महादेव डोंगरी का क्षेत्र रहस्यों से भरा है.


पूरी पहाड़ी जड़ी बूटियों का है खजाना



महादेव पहाड़ी पर बड़ी मात्रा में दुर्लभ प्रजाति के पेड़-पौधे और जड़ी-बूटियां मौजूद हैं. जिन्हें भी इन जड़ी-बूटियों की जानकारी है वे अपने रोगों को ठीक करने के लिए जड़ी-बूटियों को ले जाते हैं. स्थानीय वैद्य बताते हैं की नाग पंचमी और ऋषि पंचमी के समय विशेष तौर पर वैद्य समुदाय यहां पहुंचता है. इस पहाड़ी पर ऐसे बहुत से दुर्लभ पेड़ और जड़ी बूटियां हैं, जिन पर शोध की आवश्यकता है. इस पहाड़ी पर मंदिर के समीप मैदान में बहुत ही दुर्लभ शंखपुष्पी का पौधा देखने को मिला. सफेद और नीला शंखपुष्पी एक ऐसा पौधा है जो दिमाग तेज करने के लिए दवा के रूप में उपयोग किया जाता है. महादेव पहाड़ी ऐसे बहुत से रहस्य छुपाए हुए है, जहां शोध की आवश्यकता है. वहीं ऊपर पहाड़ी से दिखने वाला दृश्य बहुत ही मनोरम है और मंदिर के आस-पास बड़ा मैदानी इलाका है.


बरसात के मौसम में नीचे तक आ जाते हैं बादल 

भगवान शंकर जहां विराजते हैं वहां का दृश्य अलौकिक ही होगा. इसका साक्षात प्रमाण यह पहाड़ी है. बरसात के मौसम में बादल पहाड़ के नीचे तक आ जाते हैं. बादलों के नीचे आने का कारण पहाड़ की गर्मी है. वहीं इस स्थल पर एक शिला भी है जिस पर भरी गर्मी में बैठने पर भी शीतलता का एहसास होता है. ग्रामीण बताते हैं कि महादेव पहाड़ी पर एक गुफा है. जहां प्राचीन समय में महादेव की पूजा अर्चना होती थी और नगाड़े बजाए जाते थे. जिसके प्रमाण आज भी है, लेकिन अब गुफा का द्वार संकरा हो चुका है, जिससे अंदर जा पाना मुश्किल हो गया है.

Tags:    

Similar News