Karwa Chauth Vrat 2023 करवा चौथ का व्रत करते वक्त इन बातों का ध्यान रखें, जानिए कुंवारी लड़कियां रख सकती है व्रत की नहीं?

Karwa Chauth Vrat 2023 करवा चौथ से जुड़े नियम जानने के लिए यहां क्लिक करियें...

Update: 2023-07-25 09:30 GMT

Karwa Chauth Vrat 2023: हर साल कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती हैं। बता दे इस साल करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर 2023 यानी आज मनाया जा रहा है। दरअसल करवा चौथ का ये व्रत सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। साथ ही महिलाएं करवा चौथ के दिन कठिन उपवास रखती है और चांद के निकलने तक पानी की एक बूंद भी ग्रहण नहीं करती हैं। 

बता दे दिन भर व्रत रहने के बाद रात में चौथ का चांद देखने के बाद छलनी में पति का चेहरा देखकर ही महिलाएं व्रत का पारण करती हैं। महिलाएं इस व्रत को पति के दीर्घायु और दांपत्य जीवन में खुशहाली के लिए करती हैं, इसलिए शादी-शुदा महिलाओं के द्वारा ये व्रत रखने का विधान है।  वैसे तो ये व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा करने का विधान है, लेकिन कई बार लोगों के मन में ये प्रश्न भी आता है कि क्या कुंवारी लड़कियां भी करवा चौथ का व्रत कर सकती हैं या नहीं।

करवा चौथ का व्रत करते वक्त लड़कियों का ध्यान रखें

 ज्योतिष की माने तो अविवाहित लड़कियां अपने मंगेतर या प्रेमी जिसे वो अपना जीवन साथी मान चुकी हों, उनके लिए करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं। बता दे मान्यता यह है कि इससे उन्हें करवा माता का आशीष प्राप्त होता है। लेकिन कुंवारी कन्याओं के लिए करवा चौथ व्रत और पूजन के नियम अलग-अलग होते हैं, इसलिए यदि आप अविवाहित हैं और करवा चौथ का व्रत करना चाहती हैं, तो सबसे पहले इन बातों के बारे में जान लेना आपके लिए आवश्यक है।

दरअसल यदि कोई कुंवारी लड़की करवा चौथ का व्रत रखने जा रही है तो निर्जला व्रत करने के बजाए निराहार रहकर व्रत कर सकती है। बता दे ज्योतिष के अनुसार, कुंवारी कन्याओं के लिए निर्जला व्रत रखने की कोई बाध्यता नहीं होती है, क्योंकि उन्हें सरगी आदि नहीं मिल पाती है। इसलिए कुंवारी लड़कियों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए। वैसे तो इस व्रत में भगवान शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और चंद्रमा का पूजन किया जाता है। लेकिन कुंवारी कन्याओं को करवा चौथ के व्रत में केवल मां करवा की कथा सुननी चाहिए और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना चाहिए। बता दे कुंवारी लड़कियां तारों को देखकर अर्घ्य दे सकती हैं और व्रत का पारण कर सकती हैं। बता दे मान्यता के अनुसार, चंद्रमा को अर्घ्य देने का नियम केवल सुहागिन स्त्रियों के लिए होता है। इसके अलावा बता दे कि अविवाहित लड़कियों को छलनी के प्रयोग करने की भी कोई बाध्यता नहीं है। कुंवारी लड़कियां बिना छलनी के ही तारों को देखकर अर्घ्य दे सकती हैं और व्रत का पारण कर सकती हैं।


करवा चौथ व्रत के नियम 

करवा चौथ व्रत शुरू करने से पहले सरगी खाई जाती है। सरगी सूर्योदय के पहले खा लेनी चाहिए। यह सरगी सास देती है। सरगी खाते समय दक्षिण पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए। व्रत की कथा सुननी चाहिए। इस दिन किसी पर क्रोध नहीं करना चाहिए, वरना व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलेगा।

व्रत रखने वाली महिलाएं इस दिन काले और सफेद रंग के कपड़ पहनने से बचें। संभव हो तो इस दिन लाल, पीले या फिर हरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए, ये रंग सुहाग के प्रतीक माने जाते हैं। अगर बेटी विवाहित है तो चौथ माता की पूजा शुरू होने से पहले बेटी के घर पर बयाना जरूर भेजना चाहिए। बयाना में सुहाग का सामान भी भिजवाना चाहिए।

सुहागन महिलाएं छलनी में पहले दीपक रखती हैं, फिर इसके बाद चांद को और फिर अपने पति को देखती हैं। इसके बाद पति अपनी पत्नी को पानी पिलाकर और मिठाई खिलाकर व्रत खुलवाते हैं। सुहागिन महिलाएं चांद को अर्घ्य देकर ही व्रत खोलती हैं। यह व्रत तब तक पूरा नहीं माना जाता है जब तक पत्नी छलनी से चांद और अपने पति का चेहरा ना देख लें।

चांद देखने के बाद मां गौरी की पूजा करें और भगवान को पूरी-हलवा के प्रसाद का भोग लगाएं। करवा चौथ के दिन पूड़ी-सब्जी, खीर, फल और मिठाई का भी भोग लगाना चाहिए। पति की दीर्घायु के साथ परिवार में सुख-शांति बनी रहे इसके लिए कामना करनी चाहिए। बाद में इस भोजन को सास या घर में किसी बड़ी महिला को दे दें। अगर ऐसा संभव नहीं है तो मंदिर में इस भोजन को दान कर दें या फिर किसी जरूरतमंद को दें।

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