Jyotirlinga Darshan 4 (Omkareshwar Jyotirlinga) : राजा मंधाता और कुबेर ने कठोर तपस्या कर किया था ज्योतिर्लिंग को प्रगट, यहाँ शिव जी आते हैं प्रतिदिन रात को सोने, चौसर के पासे मिलते हैं बिखरे हुए
Omkareshwar Jyotirlinga : ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बिना ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन अधूरे होते हैं। इसके अलावा ओंकारेश्वर में ओंकार पर्वत की परिक्रमा का भी विशेष महत्व है।
Jyotirlinga Darshan 4 Omkareshwar Jyotirlinga: ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। नर्मदा नदी के बीच एक द्वीप पर बने ओंकार पर्वत पर यह ज्योतिर्लिंग विराजमान है। कहते हैं कि भगवान राम के वंशज राजा मंधाता और कुबेर ने यहां भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। इससे प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन दिए और ज्योति के रूप में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में स्थापित हो गए। आइये आज 12 ज्योतिर्लिंग दर्शन की कड़ी में NPG NEWS बताते हैं ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा के बारे में.
ओंकारेश्वर मंदिर में हर रात भगवान शिव और माता पार्वती विश्राम करने के लिए आते हैं। रात में यहां गुप्त शयन आरती की जाती है, जिसमें मंदिर का सिर्फ एक पुजारी मौजूद रहता है। इसके बाद यहां चौसर और पासे रखकर मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। सुबह मंदिर खोलने पर चौसर के पासे बिखरे हुए मिलते हैं।
भगवान शिव से जुड़े 12 ज्योतिर्लिंगों में मध्य प्रदेश स्थित ओंकारेश्वर का चौथा स्थान आता है. यहां पर भगवान शिव नर्मदा नदी के किनारे ॐ के आकार वाली पहाड़ पर विराजमान हैं. हिंदू धर्म में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिग को लेकर कई मान्यताएं हैं. जिसमें सबसे बड़ी मान्यता ये है कि भगवान भोलेनाथ तीनों लोक का भ्रमण करके प्रतिदिन इसी मंदिर में रात को सोने के लिए आते हैं.
महादेव के इस चमत्कारी और रहस्यमयी ज्योतिर्लिंग को लेकर यह भी मानना है कि इस पावन तीर्थ पर जल चढ़ाए बगैर व्यक्ति की सारी तीर्थ यात्राएं अधूरी मानी जाती है. आइए महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर महादेव के इस दिव्य ज्योतिर्लिंग की पूजा का धार्मिक महत्व और लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं.
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी के बीच है, क्योंकि इस दौरान मौसम सुहावना रहता है। मंदिर प्रतिदिन सुबह 5:00 बजे से रात 9:30 बजे तक खुला रहता है। शांतिपूर्ण दर्शन के लिए सुबह 5:00 बजे से 7:00 बजे के बीच जाना बेहतर होता है, क्योंकि इस समय भीड़ कम होती है।
33 करोड़ देवताओं संग विराजते हैं भगवान शिव
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से लगभग 78 किमी की दूरी पर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है. यह एकमात्र मंदिर है जो नर्मदा नदी के उत्तर में स्थित है. यहां पर भगवान शिव नदी के दोनो तट पर स्थित हैं. महादेव को यहां पर ममलेश्वर व अमलेश्वर के रूप में पूजा जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग के आस-पास कुल 68 तीर्थ स्थित हैं और यहां भगवान शिव 33 करोड़ देवताओं के साथ विराजमान हैं. महाशिवरात्रि के अवसर पर इस मंदिर में शिवभक्तों की भारी भीड़ दर्शन और पूजन के लिए उमड़ती है. इसी को ध्यान रखते हुए इस साल महाशिवरात्रि के अवसर भगवान शिव का यह ज्योतिर्लिंग 24 घंटे दर्शन के लिए खुला रहेगा. ओंकारेश्वर मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां पर दर्शन एवं पूजन करने पर व्यक्ति के सारे पाप दूर हो जाते हैं.
महत्व
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में दर्शन करने से भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा अशांत मन को यहां आने से शांति मिलती है। जीवन की समस्याओं का समाधान होता है। इस ज्योतिर्लिंग के पास ही ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग भी स्थित है।
कहते हैं कि ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बिना ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन अधूरे होते हैं। इसके अलावा ओंकारेश्वर में ओंकार पर्वत की परिक्रमा का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
परमार और मराठा राजाओं ने कराया निर्माण
मालवा के परमार राजाओं ने ओंकारेश्वर मंदिर का जिर्णोद्धार कराया था। इसके बाद मराठा राजाओं ने ओंकारेश्वर मंदिर का निर्माण करवाकर इसे भव्य स्वरूप दिया था।
मंदिर से जुड़ी धार्मिक कथा
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी एक कथा आती है, जिसके अनुसार राजा मांधाता ने एक बार भगवान शिव की कठिन तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें दर्शन देकर दो वर मांगने को कहा. जिसके बाद मांधाता ने पहले वर में उन्हें इसी स्थान पर विराजमान होने को कहा और उसके बाद कहा कि आपके नाम के साथ मेरा नाम भी जुड़ जाए. मान्यता है कि तभी से भगवान शिव यहां पर विराजमान हैं और लोग इस क्षेत्र को मांधाता के नाम से जानते हैं.
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे
अगर आप हवाई यात्रा कर रहे हैं तो ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से 77 किलोमीटर दूर इंदौर हवाई अड्डा है। यहां से बस व टैक्सी के माध्यम से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा 133 किमी की दूरी पर उज्जैन हवाई अड्डा भी है। उज्जैन जा रहे हैं तो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन भी यात्रा के दौरान किए जा सकते हैं।
वहीं अगर आप रेल से ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं तो ओंकारेश्वर के सबसे करीब रतलाम-इंदौर-खंडवा लाइन पर स्थित ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से महज 12 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। सड़क मार्ग से भी ओंकारेश्वर जा सकते हैं। राज्य परिवहन निगम की बसें आसानी से ओंकारेश्वर पहुंचा देंगी।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास स्थित दर्शनीय स्थल
इस ज्योतिर्लिंग के पास ही अंधकेश्वर, झुमेश्वर, नवग्रहेश्वर नाम से भी बहुत से शिवलिंग स्थित हैं, जिनके दर्शन के लिए जा सकते हैं। इसके अलावा प्रमुख दार्शनिक स्थलों में अविमुक्तेश्वर, महात्मा दरियाई नाथ की गद्दी, श्री बटुक भैरव, मंगलेश्वर, नागचंद्रेश्वर और दत्तात्रेय व काले-गोरे भैरव भी है।